नई पीढ़ी की नई सोच बदल रही है समाज का स्वरूप: कितनी सही कितनी गलत – खुशबू पुरी

समाज में परिवर्तन होता रहता है। अक्सर हम अपने आसपास हो रहे बदलावों को मूक  होकर देखते रहते हैं। देखना एक तरीके से सही भी है क्योंकि परिवर्तन होना एक प्राकृतिक प्रक्रिया है। फिर प्रत्येक व्यक्ति अपनी ही निजी समस्याओं में भी घिरा होता है तो वह समाज की समस्याओं में दखल देने से बचता … Read more

“जैसे शादी पवित्र बंधन, वैसे ही तलाक भी पवित्र  है” – सुधा जैन : Short Stories in Hindi

Short Stories in Hindi : शीर्षक पढ़कर चौंकिए मत आप कहेंगे तलाक भी पवित्र कैसे हो सकता है?  प्रस्तुत है ,इस विषय में मेरी कहानी … प्रिया ने कुछ माह पहले ही मेरी स्कूल में शिक्षिका के तौर पर ज्वाइन किया है, नई पदस्थ हुई है। एकदम दुबली पतली ,सुंदर आंखों में गहरी कालिमा है, … Read more

मैंने सदैव तुम्हारी भावनाओं का तिरस्कार किया है! – ज्योति आहूजा

आज रमा और सुशांत जी अपने बेटे और बहू को एयरपोर्ट पर छोड़कर घर वापस आए थे। सुशांत जी और उनकी पत्नी रमा के दो बच्चे है।एक बेटी कीर्ति और बेटा कुणाल। बेटी की शादी सुशांत जी ने तीन साल पहले एक अच्छे घर में कर दी थी।अच्छा रिश्ता मिल रहा था तो बेटी के … Read more

सांवला रंग – भगवती सक्सेना गौड़

दरवाजे पर कॉल बेल बज रही थी, जाकर रीना ने जल्दी से दरवाजा खोला।  सामने महिमा पुलिस की वर्दी पहने खड़ी थी, आई.पी.एस का बैच लगाए। आज उसको पहली बार वर्दी मे उंसकी आँखे भर आयी। रीना ने खुश होकर कहा, “वाह, तुम्हे यूँ देखकर मैं प्रसन्न हो गयी, सरप्राइज विजिट, घर मे सब ठीक … Read more

“तिरस्कृत कब तक” – कुमुद मोहन

सुरेशबाबू घर में घुसे तो बहुत खुश थे” बहुत खुश नज़र आ रहे हो क्या कोई लॉटरी निकल आई है” कहकर किचन से हाथ पोंछते हुए मीता बाहर निकली! “अरे भाई लॉटरी ही समझो वो पूना से मन्नो जीज्जी का फोन आया उनके जेठ का लड़का अमेरिका में बड़ी कंपनी में काम करता है उसकी … Read more

अपनों के बीच – ‌ऋतु गुप्ता

शांता के पति श्यामलाल उसे समझाते हुए कहते हैं, कितनी बार कहा है शांता तुम्हे कि बहू के आगे पीछे मत घूमा करो, उसे काम संभालने में दिक्कत होती है,मुझे भी बिल्कुल अच्छा नहीं लगता जब बहू तुम्हें नकारते हुए मना करती है।  अब अपना मन मोह माया से हटाकर प्रभु सुमिरन में लगाओ, क्यों … Read more

अब इससे ज्यादा करने की सामर्थ नहीं है मुझमें – किरन विश्वकर्मा

आभा घर के काम जल्दी-जल्दी निपटा रही थी……आज कपड़े धोने की मशीन भी लगाई थी तो उसमें ही काफी समय लग गया था और स्कूल से बच्चों के आने का समय हो गया था और उसे बच्चों के खाने के लिए खाना भी बनाना था….कि तभी सासू मां का फोन आया और कुछ सामान उन्होंने … Read more

बहू का तिरस्कार, अब से सास ननदों  के अधिकार क्षेत्र में नहीं होगा। – सुल्ताना खातून

देखा दीदी कैसे इसका मुँह सूज गया, हमलोग के मायके आते ही, इसीलिए हमलोग यहां नहीं आना चाहते, लेकिन जब तक माँ पिताजी हैं हमलोग आयें भी ना…महारानी तो यही चाहती हैं हमलोग ना आयें, नीलिमा की तीन नंबर वाली नंद अपने से बड़ी बहन से खुसूर पुसूर कर रहीं थी नीलिमा के चाय नास्ता … Read more

पतिदेव..हर काम पूजा है !! – मीनू झा

सोमा…सोमा… कहां हो भाई इतनी देर से बुला रहा हूं–शेखर ने आवाज लगाई। हां बोलिए ना कुछ काम बांकी पड़ा था वहीं निपटा रही थी किसके फटे को सिल रही थी?? क्या आप भी ना??और अगर ऐसा कर भी रही थी तो आपको तो खुश होना चाहिए कि भगवान के बाद आपकी पत्नी को इतनी … Read more

तिरस्कार का पुरस्कार – कमलेश राणा

नारी तुम केवल श्रृद्धा हो, विश्वास रजत नग पद तल में।  पीयूष स्त्रोत सी बहा करो, जीवन के सुंदर समतल में।   जयशंकर प्रसाद की कामायनी में कही गई ये पंक्तियाँ जीवन में नारी के महत्व और परिवार को सुचारु रूप से चलाने में उसकी भूमिका को दर्शाती हैं पर इसके लिए उसे परिवार का सहयोग, … Read more

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