शहनाई की धुन – आशा झा सखी : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : अविरल अंतर्मुखी व्यक्तित्व का स्वामी है। उसे कहीं आना- जाना ज्यादा पसंद नहीं। पर अपने एकलौते दोस्त वैभव की जिद पर उसे उसकी बारात में शामिल होना पड़ा। जब अविरल अपने एकलौते दोस्त की शादी में डांस करते- करते थक गया तो खाना खाकर चुपचाप मंडप के नीचे बैठ गया। ताकि कुछ आराम कर सके। वो तो जनवासे में जाकर चुपचाप आराम ही करना चाहता था ,पर अपने मित्र के कारण वो ये करने में असफल रहा।

उसको अपने दोस्त वैभव की तरफ से स्पस्ट चेतावनी है कि मेरे साथ ही रहना है हर पल। कुछ देर बाद अविरल के पास वैभव के जीजाजी और छोटा भाई पुलकित भी आकर बैठ गए। वैभव मंडप में बैठा है। तभी पंडित जी ने आवाज लगायी- कन्या को जल्दी बुलाइये। मुहूर्त का समय बीता जा रहा है। उसी समय चूड़ियाँ की खनक सुनायी दी। उस आवाज ने सबका ध्यान खींचा। वधु एक लड़की के साथ चली आ रही थी। पुलकित बोल उठा– ये लड़कियाँ कितना शोर करती हैं।

ऐसे – ऐसे जेवर पहनती हैं कि उनके होने का दूर से ही पता चल जाता है।यदि कोई चुपचाप इनका हाथ पकड़ने की कोशिश भी करे तो सबको पता चल जाये।इस बात पर जीजाजी बोले- बेटा, जरा धीरे बोलना ये बात। यदि किसी कन्या ने सुन ली न,तो फिर रह जाना अकेले ही।कोई न पटने वाली फिर , ये सुनकर वो हँसने लगे।

अविरल भी धीरे से मुस्कुरा दिया। वधु को बैठा कर वो लड़की भी पास में ही बैठे हुए लड़कियों के समूह में बैठ गयी। कुछ देर तक शांति रही । थके होने के साथ -साथ मौसम भी ठंडा होता जा रहा था। तो रजाई की गर्माहट धीरे – धीरे सबको अपने आगोश में लेने का प्रयास कर रही थी। रात्रि अपने इस कार्य में कुछ सफल कुछ असफल होती प्रतीत हो रही थी। तभी एक संगीत सी मधुर खिलखिलाहट ने अविरल का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया।

उसने आवाज की ओर देखा,तो बस देखता ही रह गया। वो उस एक पल में अपना सबकुछ उस मुस्कान पर हार गया। जब बहुत देर तक वो बिना पलक झपकाए ही उस मधुर मुस्कान में खोया ही रहा तो बगल में बैठे जीजा जी को टोकना ही पड़ा- लगता है ,एक और विकेट गिरा। फिर पुलकित से कहने लगे। चलो भाई, अब तुम एक और शादी में डांस करने को तैयार हो जाओ। बहुत जल्द अपने अविरल जी घोड़ी चढ़ने वाले हैं।

इतना सुन वो दोनों हँसने लगे और अविरल ने शर्म के मारे अपना सिर झुका लिया। पर फिर भी वो कनखियों से उस मुस्कान का रसपान करने का मौका नहीं चूकता। कुछ देर बाद पता नहीं उसे क्या सुझा । वो अपना मोबाइल लेकर मंडप के फोटो लेने लगा। जीजा जी ने कहा भी , अरे यार क्यों परेशान हो रहे हो ।

फोटोग्राफर है न , पर तभी उसका फोकस उस लड़की की तरफ देख कर बोले, ले लो बेटा। अपने पास भी तो कुछ यादें होनी चाहिए न। अविरल ने मुस्कुराते हुए दो- चार फोटो ले लिए। लड़कियों में शायद छठी इंद्री सबसे ज्यादा सक्रिय होती है। किसी के निहारने को भी वो दूर से ही पहचान लेती हैं। शायद उस लड़की को भी इस बात का आभास हो गया और वो वहाँ से उठ कर चली गयी।

फिर वो लड़की मंडप के नीचे नजर नहीं आयी। अविरल का दिल बैठ गया। उसने बहुत खोजा पर निराशा ही हाथ लगी। उसने हिम्मत कर शादी वाले घर के भी चक्कर लगा लिए ,पर वो न दिखी। अब अविरल का मन भी मंडप के नीचे न लगा तो वो भी आराम करने चला गया। सुबह उठकर तैयार होकर वो वैभव के पास बैठ गया।

लगभग सभी रस्म निपट गयी थीं। बस कुछ देर में ही विदा की तैयारी होनी थी। पर अविरल का मन उदास सा होने लगा। वो चुपचाप सा अकेला ही बैठा था कि एक चमत्कार हुआ। एकदम से उसकी निगाह सामने की ओर गयी। सामने के कमरे में उसने अपनी स्वप्नसुंदरी को पाया। वो वधु और अन्य सखियों के साथ मिलकर हँसी- मजाक कर रही थी।

उसने अपने को पास खड़े एक पेड़ की ओट में किया और उसके रूप सौंदर्य को अपनी आँखों में उतारने लगा। जब बहुत देर से अविरल किसी को दिखाई न दिया तो उसकी खोज खबर शुरू हुई। जब बहुत ढूँढने पर भी अविरल दिखाई न दिया तो जीजा जी व पुलकित निराश होकर एक किनारे रखी कुर्सी पर बैठ ही रहे थे तो अचानक ही दोनों की नजर अविरल पर पड़ी। दोनों हँसते हुए उसके पास पहुँचे और उसके कंधे पर हाथ रखते हुए बोले- बेटा, कब तक यूँ ही दूर से निहारोगे।

जाकर बात करो , तो कुछ बात भी आगे बढ़े। अविरल – जीजा जी ,आपको तो पता ही है । मैंने आज तक किसी लड़की को नजर उठा कर भी नहीं देखा। ये पहली लड़की है जो मन में बस गयी है। बस हिम्मत नहीं हो रही बात करने की। जीजा जी- हम्मममम्म , चलो तुम्हारे लिए कुछ जुगाड़ करते हैं। पर बात तो तुमको ही करनी पड़ेगी।इतना बोलकर जीजाजी चले गए।

अविरल उस लड़की को निहारने में मस्त हो गया। कुछ ही देर में अविरल को आवाज देकर बुलाया गया और मर्सिडीज चला कर पास के मंदिर तक ले जाने को बोला गया। अविरल के कान में उसके जीजा जी ने बोल दिया- जब तक हम लोग मंदिर से होकर आए तुम अपनी महबूबा को अपने दिल का हाल बता कर सारी बात कर लेना।

ऐसा मौका फिर न मिलेगा दोबारा। यदि चूक गए तो जीवन भर रोते रह जाओगे। अविरल ने सिर हिला कर अपनी सहमति दे दी। गाड़ी मंदिर के पास रुकी। वर- वधु के साथ सभी लोग उतर कर दर्शन करने जाने तभी अविरल ने सबसे पीछे चल रही उस लड़की का हाथ पकड़ कर रोकते हुए कहा- रुकिए जरा, आपसे कुछ बात करनी है। उस लड़की ने घूरते हुए अविरल से अपना हाथ छुड़ाना चाहा, तो अविरल हिम्मत जुटाते हुए बोला- पहली बार किसी का हाथ पकड़ा है ।

उम्मीद करता हूँ कभी छौड़ने की नौबत नहीं आएगी। वो लड़की बोली- मैं कुछ समझी नहीं? अविरल- मैंने आज तक कभी किसी लड़की की तरफ आँख उठाकर भी नहीं देखा।पर आपकी जादुई मुस्कान में खो गया हूँ। मैं एक सॉप्टवेयर इंजीनियर हूँ मल्टीनेशनल कंपनी में। आपको हमेशा खुश रखूँगा। अविरल ने उस लड़की को कार की बोनट से टिकाकर उसकी आँखों में देखते हुए कहा-

“तुझको होठों पर सजाना चाहता हूँ

तुझको आँखों में बसाना चाहता हूँ

जी लूँ जी भरकर तेरा साथ

तुझको बाहों में छुपाना चाहता हूँ

हो जाये फिर पूरी आज जीवन की आस

अपने लवों को तेरे लवों से मिलाना चाहता हूँ

तुझको मैं सिर्फ अपना बनाना चाहता हूँ।। “

तुम चाहो तो इसे मेरी एकतरफा मोहब्बत कह सकती हो , पर क्या करूँ दिल पर किसी का जोर नहीं है। तुम मेरा पहली और आखिरी प्यार हो । बोलो , तुमको मेरा प्यार मंजूर है? लड़की शर्माते हुए वहाँ से जाते हुए बोली– ये सारी बातें घर के बड़े लोग तय करते हैं। आप अपने माता- पिता को मेरे घर भेजिएगा पापा से बात करने के लिए और तेजी से मंदिर के अंदर चली गयी। तभी जीजाजी बाहर आये और इशारों से पूछा – क्या रहा परिणाम। अविरल मुस्कुराते हुए बोला- मिशन फतेह। जीजाजी खुशी व्यक्त करते हुए बोले- चलो ,फिर एक और शहनाई की धुन सुनने की तैयारी करते है।

आशा झा सखी

जबलपुर (मध्यप्रदेश)

 

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!