लड़के वाले (भाग – 6) – मीनाक्षी सिंह : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : जैसा कि आप सबने अभी तक पढ़ा कि नरेश जी अपने बड़े बेटे उमेश जो कि फौज में हैं, के लिए लड़की देखने भुवेश जी के घर अपने बड़े भाई साहब रमेश , पत्नी वीना और बेटों उमेश और समीर के साथ आयें हुए हैं… तभी समय ज्यादा बीतने पर भाई साहब रमेश लड़की शुभ्रा को बुलाने के लिए कहते हैं…

इधर लड़की के दादा नारायण जी लड़के वालों का दिमाग चाटने में लगे हुए हैं… उनकी दहेज वाली बात पर नरेश जी कहते हैं कि हमारे घर में एक छोटी गाड़ी तो हैं पर बहू के आने के बाद सब लोग एक ही गाड़ी में नहीं आ पायेंगे इसलिये ….

अब आगे….

नरेश जी गाड़ी की बात कर रहे होते हैं तभी भाई साहब रमेश जी उनकी बात को काटते हुए कहते हैं ये सब बातें तो बाद में भी होती रहेंगी नरेश … पहले बिटिय़ा से मिल लिया जाए तो ज्यादा सही रहेगा..

जी भाई साहब ,, ये भी सही कहा ….

मिलना क्या हैं ….हमाई लाली तो हीरा हैं हीरा…. उसे तो कोई फेल ही ना कर सकें हैं… गुणों की खान हैं… किस्मत वाला होगा आपका छोरा जो हमाई छोरी मिल जावे जो….. नारायण जी मूँछो पर तान देते हुए बोले…

ऐसी बड़ाई तो हर लड़की वाला करें हैं… वो कोई दूसरे लोक से तो आयी नहीं हैं.. वीना जी मन ही मन बुदबुदायी ….

इतनी बड़ाई लड़की की सुनने के बाद लड़के वाले बस अब यहीं चाह रहे कि अब लड़की आयें बस …

तभी घर की दो औरतें शुभ्रा को ऐसे पकड़कर ला रही थी जैसे जयमाला के लिए स्टेज पर ले जा रही हो लड़की को….

शुभ्रा को देख सभी लड़के वालों की नजर लड़की के चेहरे पर कम उसके पैरों पर ज्यादा थी कि कहीं पैरों में कोई दिक्कत तो नहीं जो सुहाग फिल्म के अक्षय कुमार के बाप की तरह लाया जा रहा हैं लड़की को…. शुभ्रा के आतें ही नारायण जी ने उस से कहा प्रणाम कर लाली सभी को… शुभ्रा ने बारी बारी से सबसे नमस्ते किया… सभी की निगाह शुभ्रा के चेहरे पर गयी… जिस पर इतना फॉउंडेशन लगा हुआ था साथ में गहरे रंग की लिपिस्टिक … हाथों में भर भर चूड़ी , कड़े, कानों में भी पुराने ज़माने की डिजाइन के झुमके, गले में भी कोई मटरमाला पहन रखी थी….

बाल खुले हुए थे जो उसके माथे पर बार बार आ रहे थे… गहरे गुलाबी रंग की सिल्क की साड़ी , पैर तो दिख ही नहीं रहे थे ,, साड़ी से ढ़के हुए थे…. यह देख उमेश मन ही मन सोचा कितनी ओल्ड फैशन् हैं लड़की… और इतना मेकअप थोप रखा हैं कि चेहरे का तो पता ही नहीं चल रहा कि चेहरे की बनावट कैसी हैं… पैरों में भी ऊँची ऊँची चमकदार सैंडिल झलक रही थी… कुल मिलाकर उमेश के मन को ना भायी शुभ्रा… शायद किसी को भी नहीं भायी थी क्यूँकि सभी के चेहरे के भाव फीके पड़ चुके थे….

शुभ्रा को पकड़े वो औरतें अभी भी खड़ी हुई थी…. दादा नारायण जी आँखें दिखाते हुए औरतों को इशारा कर रहे थे जैसे कहना चाह रहे हो कि क्या सत्यानाश कर दिया हैं लाली के चेहरे का….

तभी बुआ जी बोली… का टुकुर टुकुर घूर रहे हो बाऊजी… कुछ चाहिए तो बताओ … फिर दूसरी बुआ बोली कि मैं जाने हूँ बाऊ जी को रोटी चाहिए … सबर तो हैं ही नहीं… चिल्लाकर बोली बुआ ओ री … बबिता ,,, बाऊ जी को रोटी दे जा…

नारायण जी गुस्से मे बोले…. का बांवरी हो गयी हैं…. मैने कब कही कि मुझे रोटी चाहिए… इतनी देर से लाली को लेकर खड़ी हैं … बैठा दे उसे… जो पूछना हो छोरे वाले पूछ ले…

वहीं तो जगह देख रहे बाऊ जी कि कहां बैठाये लाली को तभी उमेश की माँ वीना जी बोली… अब तो बारिश भी बंद हो गयी हैं… पानी भी नहीं टपक रहा… वहीं सोफे पर बैठते हैं सभी…

ये कहीं ना बहनजी ने समझदारी वाली बात … ए रे भुवेश… सोफे पर बैठा सबको… तू भी बैठ जा… हार गया होगा…

जी पिताजी …

सभी लोग सोफे पर बैठ गए तभी भुवेश जी अपनी लाठी लेकर सोफे पर बैठने आ ही रहे थे कि जमीन पर पड़े पानी पर उनका पैर फिसलने ही वाला था पता नहीं शुभ्रा अपने पापा को ही देखने में लगी थी कि फुर्ती से सोफे से उठ भुवेश जी को गिरने से बचा लिया उसने…. और घूरकर अपने पापा की तरफ देख रही थी जैसे कहना चाह रही हो कि इतने घबराये हुए क्यूँ रहते हो आप… देखकर नहीं चल सकते… लड़की हूँ बोझ नहीं… यहां नहीं तो कहीं और सही ब्याह हो ही जायेगा पर आप परेशान मत हो…

मैं ठीक हूँ… जा तू बैठ….

शुभ्रा ने अपने हाथ का सहारा दे अपने पापा को बैठाया .. उनके डंडे को सोफे से टिका दिया… जो लोग पहली बार पढ़ रहे हैं उन्हे बताती चलूँ कि शुभ्रा के पिताजी का एक पैर नहीं हैं…

लड़के वाले मन में सोचते हैं चलो लड़की भावों से भरी हुई हैं… अपने पिताजी को बहुत प्यार करती हैं… एक पोइंट तो गया शुभ्रा के खाते में…

सभी लोग बैठ चुके हैं… कुछ देर शांति छायी रहती हैं बैठक में तभी नारायण जी सभी के चेहरों को पढ़ते हुए बोले…. आप लोगों को जो पूछना हैं लाली से पूछ लो…. तभी तपाक से नरेशजी का छोटा बेटा समीर बोलता हैं….

आगे की कहानी कल…. तब तक के लिए राम राम…..

मीनाक्षी सिंह की कलम से

आगरा

लड़के वाले (भाग – 5

लड़के वाले (भाग – 7)

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