लड़के वाले भाग – 5 – मीनाक्षी सिंह : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi :

अभी तक आप लोगों ने पढ़ा कि नरेश जी अपने बेटे उमेश के लिए लड़की देखने लड़की वालों के घर आयें हुए हैं.. जहां सब कुछ उट पटांग हैं… चाय नाश्ता हो चुका हैं… उमेश के ताऊ रमेशजी लड़की को बुलाने को कहते हैं… तभी दरवाजे के पीछे खड़ी बुआ जी दौड़ती हुई कमरे में आती हैं… पूछती हैं… छोरी तैयार हैं…. तभी पीछे से लड़की के पिता भुवेशजी ज़िनका एक पैर नहीं हैं.. हड़बड़ाते हुए आते हैं और बोलते हैं… तैयार हो गयी हो शुभ्रा तो ले चलो… तभी अकेली शुभ्रा को तैयार करने में लगी घर की चार औरतें भुवेश जी की तरफ घूरकर देखती हैं… बड़ी बुआ कहती हैं.. आपकी ही छोरी हैं ये भाई साहब … अभी तक बाहर बैठी पढ़वे में लगी रही…… अब आयी हैं… बखत लगेगा… तब तक बातों में लगाओ छोरे वाले को… तुम कहो तो मैं जाऊँ ऐसी ऐसी बातें करूँगी कि समय कैसे गुजर जाए खबर ही न लगे…

रहने दे… उसके लिए पिताजी ही काफी हैं… बेटा शुभ्रा पढ़ाई तो बाद में भी हो जायेगी पर लड़के वाले रोज रोज तुझे थोड़े ना देखने आ रहे… अब चेहरे पर ख़ुशी ला मेरी लाली…

पापा… आपको तो पता था ना कि कल मेरा लास्ट पेपर हैं… पूरी साल खराब नहीं करनी मुझे….मेरे कितना कहने पर भी आपने लड़के वालों को मना नहीं किया… किसी और दिन आ जाते तो कयामत ना आ जाती….

देखो, कैसे पटर पटर जबान चलावे हैं भाई साहब से… आज तक मजाल हैं भाई साहब के सामने हमने चूँ भी की हो.. जहां कहां वहां बैठ गए… अब उम्र के साथ थोड़ा बोल भी लेवे हैं… और जे छोरी तो ….

कुछ मत कहो मेरी शुभ्रा को… वो ज़ितना मेरे से खुली हैं उतना ही मेरी इज्जत भी करें हैं… समझी बन्नो (बड़ी बहन )…. बेटा उन्हे इतवार को ही टाइम था आने का… मना कर देता तो कहीं मन ही ना बदल जाता उनका…

तो ठीक हैं पापा…मैं जैसी हूँ वैसी ही चलूँगी … सांवली हूँ तो क्या हुआ… मुझे मत लगाओ ये पाउडर , लिपिस्टिक … मैं चोटी करती हूँ… ऐसे ही जाऊंगी… बाल नहीं खोलने मुझे…

हां बड़ी आयी… खुद को बहुत खूबसूरत समझे हैं… तुझे पता हैं तेरी माँ को जब हम देखने गए थे तो इतनी संजी संवरी बैठी थी कि देखते ही आँखें चौंधिया जायें … तू तो उनके पैरों की धूल भी ना … जायेगी ऐसे मर्द जैसी बनकर उनके सामने… बड़ी बुआ गुस्से में बोली…

शुभ्रा फिर कुछ बोलने ही वाली थी पर तभी अपने माँ पापा के चेहरे को देख चुप पड़ गयी… वो जानती थी बुआ जी को कि कुछ और बोला तो अभी यहीं धरती पर लोट जायेगी… और माथे पर हाथ रख रोने लगेंगी कि मेरा तो कोई इस घर में सम्मान ही ना करें हैं.. नेक सी पलटकर जवाब देवे हैं… अपना बैग उठा बाहर तक टेसुएं बहाते हुए चल देंगी…. फिर ना सोचेंगी बुआ जी कि घर में मेहमान बैठे हैं… इसलिये चुपचाप बुत सी बनी शुभ्रा खुद के चेहरे पर लीपा पोती कराने लगी….

दूसरी तरफ बैठक में बैठे लड़के वाले घड़ी की तरफ देख रहे…

दादा जी फिर बोले.. हां तो लाली के आने से पहले मैं घर का मुखिया नारायण मिश्रा…. कुछ बातें समझा दूँ आप लोगों को….

जी कहिये … क्या कहना हैं आपको ?? उमेश के ताऊ रमेश जी बोले… अब नरेशजी और रमेशजी सोचे अब आयें हैं बुढ़ऊँ मुद्दे की बात पर …

तो मैं जे कह रहा था… अपने दोनों हाथों को मोड़कर अपने अन्दाज में नारायण जी बोले…. हमारा एक जे घर हैं 400 गज में… एक गांव में हैं ज़िसे पिता जी के जाने के बाद मैने अपने चारों बेटों में बांट दिया… ऐसे ही खेती का भी हिसाब किताब कर दिया हैं…

समीर और उमेश सोच रहे हम क्या इनकी जायदाद में हिस्सा मांगने आयें हैं जो हमें सफाई दे रहे…. दोनों भाई एक दूसरे की तरफ देख फिर दादा जी की तरफ मुड़ गए…

नारायण जी आगे बोले…. मेरा बेटा भुवेश ज़िसकी लाली को देखने के मारे तुम लोग आयें हो और इतना खर्चा पानी हुआ हैं… वो मेरा भुवेश सीआरपीएफ में था…. बड़ी ईमानदारी से नौकरी करता था पर ईमानदारी दुनिया में सबको हजम नहीं होती… सभी लड़के वाले दादा जी की हर बात पर अपना सर हिलाते….

तो मेरे भुवेश को फंसाकर उसे मारने की साजिश की गयी… ज़िसमें उसकी एक टांग कट गयी… हम पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा … यह सुन उमेश की माँ वीना जी भावुक हो गयी… मेरे छोरे की सरकारी नौकरी छूट गयी… उसे कुछ भी सरकार की तरफ से ना मिला.. तीन तीन छोरी और दो बेटे हैं उसके… कहने को मेरे चार बेटे हैं पर मेरी गालियां और गुस्सा बस मेरा भुवेश और मेरी बहू ही बर्दाश्त कर सके हैं.. यह बोलते हुए अपनी आँखों में आयें आंसुओं को नारायण जी पोंछने लगे…

अब नरेशजी और रमेश जी इस घर के दूसरे पहलू से वाकीफ हुए….

तो कुल मिलाके बात जे हैं लला कि मेरे भुवेश पर देने को कुछ नहीं हैं लड़की के सिवा…. पर मैने कुछ व्यवस्था कर रखी हैं अपनी शुभ्रा के लिए… अब आप लोगों की क्या मांग हैं खुलकर बता दीजिये …

यह बात सुन नरेश जी बोले… हमारे घर में एक चार पहिया गाड़ी तो हैं पर बेटे के ब्याह के बाद इतने लोग एक गाड़ी में नहीं आ पायेंगे…. तो….

उमेश और समीर मन ही मन सोचे अभी लड़की तो फाईनल हुई नहीं पापा दहेज पर पहुँच गए… उधर शुभ्रा भी तैयार हो चुकी हैं… उसे भी घर की दो औरतें पकड़कर ला रही हैं..

अब आगे क्या होगा कल जानते हैं.. तब तक के लिए राधे राधे ….

मीनाक्षी सिंह की कलम से

आगरा

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