• infobetiyan@gmail.com
  • +91 8130721728

प्रेम का मौसम उम्र देखकर नहीं आता.. – निधि शर्मा 

आज सुबह-सुबह शर्मा जी जग गए और बिना पत्नी को बताएगी धीरे से दरवाजा खोले और घर से निकलकर पड़ोसी के बगीचे तक गए और बड़े प्रेम से बोले। “बेटा क्या तुम मुझे एक लाल गुलाब का फूल दे सकती हो..? अभी तो बाजार भी नहीं खुला होगा और इतनी सुबह ठंड में मुझे बाजार जाने की इच्छा भी नहीं है, इसीलिए तुमसे मांग रहा हूं।” शर्मा अंकल अपने पड़ोसी कनिका से बोल रहे थे।

कनिका बोली “अंकल जी आज तो आप बहुत प्रेम से कह रहे हैं वरना तो आप अक्सर बागान से गुलाब तोड़ कर ले जाते हो! आखिर आप करते क्या है रोज-रोज गुलाब का! मैं ये फूलों का बगीचा अपनी खुशी के लिए लगाई हूं मगर आप, हर रोज एक फूल तोड़ लेते हो ये अच्छी बात नहीं है और सुबह-सुबह आप गुलाब के फूल का करोगे क्या…?”

वो मुस्कुराते हुए बोले “ये फूल मैं तुम्हारी आंटी को देता हूं उसे गुलाब के फूलों की खुशबू बहुत पसंद है।” वो हंसकर बोली “अंकल बाजार में भी मिलता है फूल वहां से लेकर दे दो।” वो बोले “वो सारे फूल बासी होते हैं, उनमें वो खुशबू नहीं होती जो तुम्हारी आंटी को पसंद आती है।”

वो हंसकर बोली “अंकल जी ये लाल गुलाब तो 14 फरवरी को देते हैं। आप इस उम्र में इस लाल गुलाब का क्या करोगे, फरवरी के महीने की अभी शुरुआत ही हुई है और आप तो हर रोज आंटी को फूल देते हो ऐसा क्यों…?”

वो बोले “बेटा बहारों का मौसम उम्र देख कर नहीं आता है! और कहां लिखा है कि प्यार का महीना साल में एक महीने ही आता है। प्रेम तो वो बहार है जो पूरे साल अपनी खुशबू फैलाता है, बस हम सब प्यार को एक सीमा में बांध देते हैं जो कि बड़ी गलत बात है।”

तभी कनिका के पति विवेक आए और बोले “क्या बात कही है अंकल आपने..! ये आजकल के लोग इस बात को समझते ही नहीं है और बाद में हम पर इल्जाम लगाते हैं कि तुम साल में एक ही दिन हमें तोहफा देते हो और प्यार करते हो।” उन्होंने एक फूल तोड़ कर अंकल को दे दिया अंकल मुस्कुराते हुए चले गए।




वो बोली “तुम्हें कुछ लगता है बोलने में उनके सामने बड़े महान बन रहे थे। अरे वो फूल तोड़कर हर रोज ले जाते हैं,अरे इतना ही बीवी से प्यार करते हैं तो बाजार से लेकर दे दे।” विवेक मुस्कुराकर बोला “सोचो कल को अगर मैं भी तुम्हारे लिए ये सब करूंगा तो तुम्हें कैसा लगेगा। मुझे तो लगता है जो आज अंकल कर रहे हैं हर लड़की या पत्नी अपने प्रेमी और पति से यही उम्मीद करती है।”

कनिका मुस्कुरा कर बोली “सच कह रहे हो किसी प्यार करने वाले को अगर हमारी तरफ से ये मदद मिल जाए, तो हो सकता है हमारा प्यार भी इस उम्र में इतना ही बढ़ता जाए।” और वो हंसकर कनिका का हाथ पकड़कर अंदर चला गया।

इतनी शोरगुल से शर्मा अंकल की पत्नी जग गई थी और वो ऊपर खिड़की से सब देख रही थीं। जैसे ही शर्मा जी घर के अंदर आए और फूल आगे करते हुए नंदिनी आंटी को बोले “प्यार के महीने की हर तारीख तुम्हें बहुत-बहुत मुबारक हो। जब तक तुम्हें प्रेम से ये फूल न दे दूं मेरे दिन की शुरुआत नहीं होती तुम यूं ही मुस्कुराती रहो और फूल तुम पर अपनी खुशबू लुटाती रहे।”

वो मुस्कुराकर फूल लेते हुए बोलीं “तुम मन के चोर तो थे ही फूलों के भी चोर बन गए हो ये अच्छी बात नहीं है! याद रखना कोई इस उम्र में अगर तुम्हारी शिकायत मेरे पास करेगा तो मैं तुम्हें नहीं बचाऊंगी।”  इतना कहते हुए वो मुस्कुराती हुई चाय का प्याला उनके आगे बढ़ाई।

वो बोले “तुमने सब देख लिया अरे वो तो ऐसे ही बोल रही थी।” आंटी बोली “ये अच्छी बात नहीं कोई अपने बगीचे में प्यार से फूल लगाता है और तुम हर रोज उसे तोड़ कर मुझे दे देते हो।” अंकल बोले “जब मैं तुम्हारे घर से तुम्हें तुम्हारे माता-पिता के खिलाफ जाकर चुरा कर ला सकता हूं और जीवन भर उनकी बातें सुनता रहा तो बहारों के मौसम में, तुम्हारे लिए एक फूल तोड़ने के लिए तो मैं सब कुछ सुन सकता हूं।” और वो हंसने लगे।

शर्मा अंकल ने अपने परिवार के खिलाफ जाकर आंटी को उनके घर से भगाकर उनसे शादी की थी। दोनों एक-दूसरे को पसंद करते थे पर उस जमाने में ये प्यार का मौसम, ये प्यार का महीना कोई इन बातों को नहीं समझता था। जो नजर को भा जाए कोई कैसे उसे दूर कर रह पाए तो प्यार की खातिर वो हर किसी के लिए बुरे बन गए पर अपने प्यार को हासिल किया।

उनकी एक बेटी है जिसे उन्होंने पूरी आजादी दी उसने भी अपनी मर्जी से शादी की थी। पिता ने बस इतना ही बोला “अपने पैरों पर खड़ी रहो ताकि तुम्हें कभी अपने फैसले पर अफसोस ना हो।” वो भी अपनी जिंदगी में बहुत खुश रहती है, बेटी विदेश में रहती है जिसके कारण माता-पिता के पास कम ही आना जाना होता है। पति-पत्नी एक-दूसरे के लिए बहुत है, शर्मा जी अपनी हरकतों से अपनी पत्नी को एहसास ही नहीं होने देते हैं कि वो घर में अकेले हैं।




दोनों शाम में पार्क में टहलने निकल जाते आंटी अपनी सखियों के साथ अलग मंडली में बैठती और ये अपने दोस्तों के साथ ठहाके लगाते थे। सब इनके शायराना अंदाज को जानते थे उनके एक मित्र अशोक बाबू बोले “शर्मा जी आज के बच्चे कहते हैं फरवरी का महीना प्यार का महीना होता है तो आपने मैडम के लिए क्या योजना बनाई है?”

वो हंसकर बोले “बहारों का मौसम 1 महीने ही क्यों आता है! तभी तो आजकल के बच्चों का प्रेम आया राम और गया राम जैसा हो गया है। अरे हम तो कहते हैं पूरे साल इतना अपनी पत्नी और प्रेमिका से प्रेम करो कि वो तुम्हारे बिना एक पल भी रहना मंजूर न करें। प्रेम एक एहसास है जो हर रूप में होता है प्रेम हमारे बच्चे हैं, प्रेम हमारा घर है, प्रेम पत्नी का हर वो काम है जो वो अपने पति के लिए करती है।”

तभी एक मित्र बोले “पत्नी के प्यार के रूप कि व्याख्या तो आपने बता दी पर हमारे प्यार की बात नहीं कि..!” वो बोले “प्रेम वो एक प्याली चाय है जो कभी पति प्यार से अपनी पत्नी के लिए बनाता है, हमारा प्यार वो है जब हम कभी प्यार से उससे पूछते हैं अगर थक गई हो तो मैं तुम्हारा काम कर देता हूं। प्रेम के रूप अनेक हैं तो इस बाहर के मौसम को क्यों 1 महीने में समेट दिया है!”

अंकल की इन बातों को सुनकर उनके मित्र बोले “बताओ शर्मा जी इस उम्र में भी मैडम के लिए इतना कुछ सोचते हैं। तभी तो हमारी पत्नी इस उम्र में भी हमें गालियां देती है और कहती है, जवानी में तो कुछ किया नहीं कम से कम बुढ़ापे में ही अपने मित्र से सीख लो कि कैसे वो अपनी पत्नी को अपनी बातों से ही प्रेम करते हैं।”

अंकल बोले “सही बात है हर रोज दिन में अगर एक बार उन्हें एहसास दिलाओ कि हम दोनों एक-दूसरे के लिए सदा है। तो कभी वो शिकायत ना करें..”  श्रीवास्तव अंकल बोले “शर्मा जी आपको अलग से इस बहार के मौसम के लिए क्लास खोलनी पड़ेगी।” और सब हंसने लगे।

तभी सारी औरतें वहां आई और आंटी बोली “अगर ये बहारों का मौसम का ट्यूशन क्लास खत्म हो गया हो तो घर चले। अब शाम होने को आई है, ठंडी हवा भी चल रही है आपके पैरों में दर्द होने लगेगा।” फिर सभी अपने-अपने घरों की तरफ चल पड़े।

जाते समय शर्मा जी ने देखा विवेक घर के बाहर अकेले एक कोने में सिगरेट पी रहा था। वो पत्नी से बोले “तुम चलो मैं अभी आता हूं।” वो विवेक के पास जाकर बोले “क्या बात है बरखुरदार तुम इस वक्त अकेले अकेले…!”  विवेक ने जल्दी से अपने सिगरेट को नीचे फेंककर बुझाया और बोला “सॉरी अंकल बस ऐसे ही खड़ा हूं।” वो बोले “नहीं कोई बात जरूर होगी वरना तुम अकेले यहां ये नहीं कर रहे होते! तुम्हारे चेहरे से तुम्हारी परेशानी साफ-साफ दिखाई दे रही है।”




दोनों पड़ोसी थे कभी-कभी बातें होती थी परंतु उम्र का इतना फासला था कि कभी मन की बात एक-दूसरे से कर नहीं पाते थे। परंतु अंकल के व्यवहार से हर कोई वाकिफ था, उनके बार-बार पूछने पर उसने अपनी पारिवारिक समस्या उनके सामने रखी। अंकल हंसकर बोले “तुम आजकल के नौजवानों की यही परेशानी है। बहुत जल्दी हार मान जाते हो और गलत आदतों का शिकार बन जाते हो।”

विवेक बोला “मैं अभी परिवार को बढ़ाना नहीं चाहता मुझ पर और भी जिम्मेदारियां है।” अंकल हंसकर बोले “परिवार बढ़ता है तो प्यार कम नहीं होता वो भी बढ़ता ही जाता है। जैसे मौसम बदलता रहता है, महीने आते हैं जाते हैं परंतु वो कभी खत्म नहीं होते हैं। ये भी एक एहसास है जो दो लोगों को एक-दूसरे से और जोड़ देता है और हमारा प्यारा मजबूत होता जाता है। उसे एहसास दिलाओ कि तुम उसके लिए सबकुछ करोगे, बदले में बस उसकी एक मुस्कुराहट और उसकी खुशी के लिए तो देखना वो भी तुमसे ज्यादा तुम्हें प्यार करेगी।” इतना कहकर अंकल चले गए।

कुछ रोज बाद विवेक और कनिका एक साथ साथ शर्मा अंकल के घर आया। लाल गुलाब का गुलदस्ता आगे बढ़ाते हुए वो बोली “अंकल ये आपके लिए है। आज का दिन खास है तो आप ये आंटी को अपनी तरफ से दीजिए और हमें भी आशीर्वाद दीजिए कि हमारे जीवन में भी प्यार का मौसम सदा बना रहे।” शर्मा अंकल ने बड़े प्यार से दोनों को बिठाया और खूब सारी बातें करने लगे।

आंटी बोली “प्यार का मौसम कहीं जाता नहीं है बस हमारे देखने का नजरिया अलग हो जाता है। हम अपनी जिम्मेदारियों में कहीं न कहीं इस लाल रंग से दूर हो जाते हैं, फूलों की खुशबू हमें पास बुलाती है परंतु न जाने हम अपनी किस दुनिया में खोए रहते हैं जो उसके करीब नहीं जा पाते है। ईश्वर करे तुम्हारे जीवन में बहारों का मौसम यूं ही बना रहे क्योंकि बहारों का मौसम उम्र देखकर नहीं आता, बस एक-दूसरे की भावनाओं और एहसासों को दिल से समझने की कोशिश करना सब अच्छा होगा।”

हर रोज शर्मा अंकल को चुपके से गुलाब तोड़ने की जरूरत नहीं पड़ती थी अब कनिका खुद अपने हाथों से एक गुलाब हर सुबह उनके आगे कर देती थी और मुस्कुराकर अपने आने वाले जीवन में ऐसे ही बाहर के मौसम की कल्पना करती थी।

दोस्तों प्यार का मौसम पूरे साल ही रहता है बस उसे देखने और समझने का नजरिया हमारा बदल जाता है। ये बहारों का मौसम हर उम्र में होता है बस साथी का साथ होना चाहिए और मन में उसके लिए ढेर सारा प्यार होना चाहिए।

आपको ये कहानी कैसी लगी अपने अनुभव और विचार कमेंट द्वारा मेरे साथ साझा करें। कहानी को मनोरंजन एवं सीख समझ कर पढ़ें कृपया अन्यथा ना लें बहुत-बहुत आभार

#प्रेम 

निधि शर्मा 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!