इज्जत : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi :

“अरे यह काम वाली नहीं आ रही। घर में कितना काम है।”  ‌‌मनीषा झल्लाते हुए कहती है।

मनीषा की सास सावित्री जी पलट कर कहती हैं,”इन कामवालियों पर तो बहाने ही होते हैं। नैना की गोद भराई है परसों। कौन संभालेगा इतना काम”

अगले दिन काम वाली बाई मुंह को लटकाए हुए सी आती है। सावित्री जी उसे आते ही आड़े हाथ लेती है,”आ गई महारानी, कहाँ रही इतने दिन।”

कामवाली धीमे स्वर में बोली,”वो मांजी मेरी लड़की चली गई।”

वाई अपनी बात पूरी ही करती इससे पहले ही सावित्री जी तपाक से कहती हैं,”चली गई या भाग गई। किसी लड़के के साथ मुंह काला करके। तू काहे को इतना दुखी हो रही है। तुम्हारी कौन सी इज्जत होती है?आज इसके संग,कल उसके साथ।”

रम्मो आंखों में आंसू भरकर काम पर लग जाती है। आखिर पापी पेट का सवाल था।

अगले दिन रम्मो जब काम पर आई तो देखती है कि पूरे घर में मातम सा छाया पड़ा है। कल को तो नैना की गोद भरी जानी थी पर यहां तो माहौल ही कुछ और है।

कामवाली बाई रम्मो डरते डरते मनीषा से पूछती है,”दीदी क्या बात हो गई।”

मनीषा कहती है,”वो नैना किसी के साथ चली गई।”

चली गई किसके साथ रम्मो ने पलट कर पूछा।

मनीषा सिसकती हुई कहती है,”वह सब्जी की रेहड़ी वाला आता था ना। उसी के साथ चली गई।”

“चली गई या भाग गई खानदान की इज्जत में बट्टा लगाकर।”अब बोलने की बारी रम्मो कामवाली की थी।

“मेरी तो कोई इज्जत नहीं थी लेकिन आपकी बेटी तो आपकी इज्जत पर #धब्बा लगा कर चली गई।”

कामवाली की बात सुनकर सावित्री जी को ऐसा लगा जैसे किसी ने उनके कान में पिघलता हुआ शीशा उड़ेल दिया हो।

रम्मो कहती हुई अपना थैला उठाकर तेजी से बाहर निकल जाती है।

गरीब हो या अमीर इज्जत सभी रखते हैं। किसी को छोटा समझकर उसका तिरस्कार नहीं करना चाहिए।

#धब्बालगाना

स्वरचित मौलिक

प्राची अग्रवाल

खुर्जा उत्तर प्रदेश

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