राधिका, ये घर मेरा भी है – मंजू ओमर: Moral stories in hindi

राधिका आज बेमन से बिस्तर पर पड़ी थी उठने की इच्छा ही नहीं हो रही थी । चाय की तलब तो लग रही थी लेकिन बनाने की इच्छा नहीं हो रही थी। तभी दरवाजे पर दस्तक हुई। राधिका घर में अकेले थी इसलिए उसे ही उठना पड़ा दरवाजा खोलने के लिए ।जब दरवाजा खोला तो … Read more

यह घर भी तुम्हारा है – लतिका श्रीवास्तव : Moral stories in hindi

ऑटो रुक गया था जैसे ही सोनाली ने बैठने के लिए अपने कदम आगे बढ़ाए ऑटो के अंदर किसी को  देख तत्काल कदम भी मानो बाहर आने को तत्पर हो उठे थे..। मैडम बैठना है कि नहीं बैठना मेरा टेम खोटी मत करो ऑटो ड्राइवर की तीखी प्रतिक्रिया और घर जल्दी पहुचने की विवशता ने … Read more

ये घर तुम्हारा भी है – वीणा सिंह : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  :  वक्त कैसे कैसे दिन दिखाता है… कविता बहुत कुछ कहना चाहती थी पर…. दरवाजे पर निरीह से खड़े माता पिता का हाथ पकड़ अंदर लाते हुए कहा #ये घर तुम्हारा भी है #अपने किए से शर्मिंदा रामलाल जी और शीला जी अपराधी की तरह सिर झुकाए अंदर आ तो गए … Read more

आखिरी मुलाकात – श्रीप्रकाश श्रीवास्तव: Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  : ‘‘मम्मी, आप चाय में चीनी बहुत डालती है।’’ अजय का स्वर तल्ख था। ‘‘क्या करूं। कभी कभी अंदाजा नहीं मिल पाता है,‘‘वसुधा के स्वर से लाचारी स्पष्ट थी। ‘‘एक ही काम आप रोज करती है तब भी सही नहीं कर पाती?’’अजय के कथन पर वसुधा का मन भींग गया। यह … Read more

वसीयत – रश्मि सहाय : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  :  पंकज ड्राइंग रूम के सोफे पर अधलेटे से थे, और सामने पड़े थे कुछ पेपर, और ड्राइंगरूम में ही लगभग समवयस्क उनकी एक बहन और तीन भाई भी मौजूद थे।     बातचीत का एक दौर खत्म हो चुका था, और वहां सन्नाटा पसरा हुआ था। सभी की आंखों में आज से … Read more

इसमे संकोच कैसा – विभा गुप्ता : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  :     ” आप यहाँ बैठिये भाईसाहब…मैं अभी पानी लेकर आती हूँ।” सोफ़े की ओर इशारा करते हुए सुनंदा जी अपने समधी प्रशांत बाबू को कहकर रसोई में चली गईं।तभी दिवाकर बाबू भी प्रशांत बाबू का सामान लेकर आ गये और बोले,” अब आप यहाँ आराम से रहिये।”   ” मैं यहाँ… … Read more

जेठानी की अकड़ और देवरानी का स्वाभिमान  – स्वाति जैन : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  : मालकिन मैं जा रही हूं , रमा की आवाज कान में पड़ी तो रुचिका बोली खाना खा लिया !! हाँ मालकिन खा लिया रमा बोली !! रूचिका बोली , मैंने तेरे बच्चों के लिए खीर डिब्बे में भरकर रखी हैं जरा लेते हुए जाना !! रमा बोली मालकिन रोज – … Read more

जीवनसाथी के साथ न होने का दर्द कोई नहीं बाँट सकता! (भाग 2)- डाॅ संजु झा: Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : मनीष ने उसे अपने और करीब लाते हुए कहा -” निभा!मैं भी तुम्हारे और बच्चों के बिना नहीं रह सकता हूँ,परन्तु इस उम्र में माँ-पिताजी अकेले कैसे रहेंगे?मेरे भाई की अभी पढ़ाई पूरी नहीं हुई है।बहन की भी शादी करनी है।सबसे बड़ी बात बच्चे यहाँ अच्छे स्कूल में पढ़ाई कर … Read more

जीवनसाथी के साथ न होने का दर्द कोई नहीं बाँट सकता! (भाग 1)- डाॅ संजु झा: Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : कभी अपने लिए  कुछ पल की चाहत  रखनेवाली निभा  को आज अकेलेपन ने अपनी बाँहों में कैद कर लिया है।कभी उसका घर सास-ससुर, देवर-ननद ,पति और बच्चों की  हँसी-ठिठोली से गूँज करता था,परन्तु आज वही दीवारें भी उसकी तरह गुमसुम पड़ी हैं।बेटी की शादी हो चुकी है,बेटा काॅलेज गया हुआ  … Read more

जीते जी माँ बाप को अतृप्त रखने वालों को उनके श्राद्ध का हक नही ( भाग 2)- संगीता अग्रवाल

” चलो पापा आप भी!” मानसी ने उठते हुए से कहा। ” अरे नहीं दीदी पापा को क्या परेशान करना वो यही खा लेंगे खाना आप चलिए!” नेहा बोली। ” पर भाभी…!”  ” पर वर कुछ नहीं दीदी अब इस उम्र मे पापा क्या बाहर तक आएंगे वो कमरे में ही खाते है खाना!” नेहा … Read more

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