राधिका, ये घर मेरा भी है – मंजू ओमर: Moral stories in hindi

राधिका आज बेमन से बिस्तर पर पड़ी थी उठने की इच्छा ही नहीं हो रही थी । चाय की तलब तो लग रही थी लेकिन बनाने की इच्छा नहीं हो रही थी। तभी दरवाजे पर दस्तक हुई। राधिका घर में अकेले थी इसलिए उसे ही उठना पड़ा दरवाजा खोलने के लिए ।जब दरवाजा खोला तो सामने सुमन भाभी खड़ी थी ।

राधिका अनमने मन से उनको अंदर बैठने को बोलकर चाय बनाने चली गई। राधिका चाय के दो कप लेकर ड्राइंग रूम में आकर बैठ गई । सुमन जो राधिका की जेठानी भी लगती थी राधिका और सुमन की आपस में बहुत पड़ती थी । राधिका का उतरा हुआ चेहरा देखकर पूछा क्या बात है राधिका घर में बेटे की शादी है महीने भर बाद और तुम्हारे अंदर कोई उत्साह या खुशी नहीं दिख रही है । राधिका क्या बात है कुछ नहीं भाभी कोई तो बात है । राधिका तुम तो मुझसे हर बात शेयर करती हो बताओ क्या बात है हो सकता है मैं कोई सलाह दें पाऊं।

                  राधिका तीन बहनें और दो भाई थी , भाई दोनों बड़े थे और दोनों बहनें राधिका से छोटी थी राधिका की सबसे छोटी बहन राधिका के ही शहर में रहती थी ।असल में कुछ साल पहले राधिका के पति ने राधिका की छोटी बहन रीमा का एक आपरेशन हुआ था उसमें पैसे से  मदद की थी और वो पैसा बेटे से लिया था और राधिका ने भी उसकी काफी देखभाल की थी ।

रीमा की बेटी थी अठारह साल की वो बहुत मुंहफट थी । किसी बात पर राधिका की भाभी ने कहा दिया रीमा से की राधिका ने इतनी मदद की है तुम्हारी उनका एहसान मानना चाहिए तो रीमा की बेटी ने कहा दिया कि बड़ा घमंड है मौसाजी को अपने पैसे का तो ऐसा पैसा मैं मुंह पर मार दूंगी ।और ये बात किसी तरह राधिका और उनके पति और बेटों तक पहुंच गई फिर क्या था खूब आग बबूला हो गये पति और बेटा ।

कहने लगे करने का तो नाम नहीं ऊपर से मुझसे इतनी छोटी होकर ऐसी बातें बोल रही है ।अब मुझे उन लोगों से कोई मतलब नहीं रखना । वैसे भी राधिका के पति थोड़े तेज तर्रार व्यक्ति थे रीमा के ससुराल में रीमा को परेशान करते थे सास-ससुर तो राधिका के पति जाकर अक्सर उन लोगों को हड़का देते थे । इसी तरह अक्सर छोटी छोटी परेशानी में वो रीमा का साथ देते थे जब इस तरह की बातें सुनी तो उन्हें बहुत बुरा लगा ।

और राधिका का बेटा भी रीमा के बच्चों को अक्सर घुमाने फिराने पिक्चर वगैरह दिखाने ले जाया करता था तो उसको भी बहुत बुरा लगा । हंलाकि राधिका को भी बहुत खराब लग रहा था इसतरह की बात सुनकर लेकिन क्या करें राधिका छोटी बहन थी इस तरह रिश्ते तो नहीं खत्म हो जाते न ।

अब बेटे की शादी है तो पति और बेटा दोनों कह रहें हैं कि रीमा को नहीं बुलाओगी।इधर राधिका पर सभी भाई बहनों का दबाव है कि ऐसे नहीं होता है एक ही शहर में रहकर नहीं बुलाओगी तो क्या अच्छा लगेगा।अब राधिका क्या करें , पति और बेटे की सुने कि भाई बहनों की सुने ‌बस मुझे इसी बात का टेंशन है घर में राधिका ने सारी बातें सुमन भाभी को बता दी।

                  फिर सुमन भाभी ने समझाया कि देखो राधिका तुम्हारी बहन की बेटी ने गलत किया ये तो मैं भी मानती हूं लेकिन शादी ब्याह में तो बुलाना ही पड़ेगा । राधिका बोली हां भाभी सब लोग शादी में इकट्ठे हो और रीमा ने आए तो कैसा लगेगा बताओ । फिर सुमन ने समझाया देखो राधिका ये घर तुम्हारा भी है कुछ फैसले करने का हक तुम्हें भी है ।

आखिर इस घर को बनाने संवारने में तुमने भी तो अपनी जिंदगी के चालीस साल लगा दिए हैं क्या तुम्हारा इतना भी अधिकार नहीं है कि कुछ फैसले तुम भी ले सको । चलो गलती को माफ करो हो गई गलती।कौन रोज़ रोज़ बुलाना है शादी का निमंत्रण दे दो बस ।तुम तो आज देवर जी से और बेटे से कहा दो कि ऐ घर मेरा भी है और कुछ फैसले लेने का अधिकार भी है हमको।सुमन की बातें सुनकर राधिका खुश हो गई हां भाभी आप सही कह रही हो आज ही मैं बात करती हूं इन दोनों से ।

              फिर शाम को जब पति और बेटा बैठे बातें कर रहे थे तो राधिका ने पूरी हिम्मत जुटाकर आज कह ही दिया कि देखो तुम दोनों सुन लो ये घर मेरा भी है इस घर को अपनी जिंदगी के मैंने चालीस साल दिए हैं कुछ फैसले करने का अधिकार मेरा भी है और मैं अपनी बहन को जरूर बुलाऊंगी। भले ही सारे फंक्शन में नहीं तो शादी वाले दिन तो जरूर बुलाऊंगी।

               बेटा और पति आश्चर्य से राधिका का मुंह देख रहे थे कि आज तो राधिका ने अपना फैसला सुना ही दिया फिर घर की टेंशन दूर रखने के लिए और घर में शांति बनाए रखने के लिए पति और बेटे ने चुप रहने में ही भलाई समझी । आखिर मैं राधिका की बात माननी ही पड़ेगी। पति और बेटे के विरोध न करने पर आज राधिका अपना फैसला सुना कर बहुत खुश थी । राधिका ने मन ही मन सुमन भाभी को धन्यवाद दिया ।घर में अपनी अहमियत जता कर राधिका बहुत खुश थी ।

मंजू ओमर

झांसी उत्तर प्रदेश

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