छोटी सी बात – अभिलाषा कक्कड़

आज सरिता बहुत दिनों के बाद चंडीगढ़ दीदी अर्चना के घर आईं थीं । शादी से पहले तो बहुत आना जाना लगा रहता था ,सारी ख़रीदारी की भी एकमात्र वहीं जगह थी ।दो चार दिनों के लिए दीदी अकेली थी । जीजा जी अपने किसी काम से शिमला गये थे और बहु बेटा और पाँच … Read more

पत्नी हूं तुम्हारी, सोशल सिक्योरिटी नहीं – सुषमा तिवारी

“विवान सुनो ना! मुझे एक हफ्ते के लिए मम्मी के घर जाना है तो प्लीज टिकट करवा देना| पापा की तबीयत कुछ ठीक नहीं है, वह चाहते हैं मैं एक हफ्ते तो उनके साथ गुजार लूँ”| चित्रा ने कपड़ों की तह लगाते हुए विवान से कहा जो बेखबर सा अपने मोबाइल में लगा हुआ था। … Read more

मर्यादा-एक सीख – शुभ्रा बनर्जी

आज बच्चों का लंच बॉक्स पैक करते हुए विनीता की आंखों से आंसू गिर रहें थे।सुबह से उठकर सास ससुर की देखभाल,नाश्ता,खाना सब कुछ करके बच्चों को तैयार‌ करके फिर ख़ुद स्कूल जाती थी।हर दिन देर हो जाती थी पहुंचने में।दौड़ते दौड़ते थक‌ गई थी।फ़िर दोपहर में आकर सब को खाना परोस कर दो।पांच मिनट … Read more

मर्यादा – निभा राजीव “निर्वी”

“तेरा दिमाग तो नहीं चल गया कहीं! क्या अनाप-शनाप बके जा रही है तू! तू इस घर की बहू है बहू! हमारा मान और सम्मान !हमने तुझे थोड़ी छूट क्या दे दी तू तो सर पर चढ़कर बैठ गई। अरे मेरे बेटे को तो खा ही गई, अब क्या घर की मान मर्यादा और इज्जत … Read more

शादी बचाने के नाम पर कब तक जुल्म सहेंगी?? – संगीता अग्रवाल 

स्वाति के कानों में अभी भी अपने पति करण के कहे शब्द गूंज रहे थे ..” तुम हो कौन क्या वजूद है तुम्हारा तुम जो खाना खाती हो या जो महंगे महंगे कपड़े पहनती हो ये सब मेरी बदौलत है वरना तुम्हारे बूढ़े मां बाप की सामर्थ तुम्हे पटरी से सौ रुपए के कपड़े लेकर … Read more

स्वयंसिद्धा – शुभ्रा बैनर्जी 

“मां!मां! ये क्या सुन रहा हूं मैं?क्या हो गया है आपको? मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था,कि आप ऐसा कुछ कर सकतीं हैं।” अखिल की आवाज में निराशा और गुस्से का मिश्रण था।मुझे उसके चेहरे में कहीं न कहीं एक पुरुष का सारा हुआ अहं दिखाई दे रहा था।मेरे लिए उसका यह सवाल … Read more

कलकतही (कहानी) –     डॉ उर्मिला सिन्हा

 चूड़ियां सुहाग का प्रतीक। सुहागिनों की पहली पसंद।कुंआंरियों का सुनहरा भविष्य। मैं जब भी चूड़ियां खरीदने चूड़ी के दुकान पर आती हूं , मेरे मानस पटल में बचपन की एक धुंधली सी तस्वीर उभर आती है—कलकतही की। कलकतही कोई और नहीं बल्कि एक चूडीहारिन थी।उसका छोटा सा टोकरा हरी,लाल,नीली,पीली,प्लेन और कामदार चूड़ियों से भरा रहता … Read more

मर्यादा की वेदी पर कुर्बान’ – प्रियंका सक्सेना

सुधा की खबर आते ही घर में मातम छा गया…अम्मा छाती पीट पीट कर विलाप करते हुए सुधा की ससुराल वालों को कोसने लगीं, “कीड़े पड़े उन लोभियों को। मार डाला मेरी बिटिया को। हाय मेरी सुधा, मेरी बिटिया!  गार्गी से जब सहन नहीं हुआ तो वह आँगन में आकर बोली, “अम्मा दीदी को उन … Read more

स्वार्थ पर टिके रिश्तों का टूट जाना ही बेहतर है!!  –  मनीषा भरतीया

दीदी इस बार राखी पर आपके लिए क्या बनाऊं ….चाऊमीन और छोला भटूरा बना दूं क्योंकि आपको यह मेरे हाथ का सबसे ज्यादा पसंद है ना???  निशा ने अपनी ननंद सरिता से फोन पर कहा, तब सरिता ने कहा निशा अभी तो 10 दिन पड़े हैं पता नहीं कल क्या हो ना हो इतने दिन … Read more

अपना रवैया बदल लो मां नहीं तो परिवार बिखरते देर नहीं लगेगी –  सविता गोयल

शिवानी एक मध्यमवर्गीय परिवार से थी। पिता की कमाई भले हीं संयमित थी लेकिन कभी उसके माता पिता ने अपने बच्चों की ख्वाहिशों को नहीं मारा था…..  जब वो विवाह लायक हुई तो  रूप और गुण को देखते हुए कई बड़े बड़े घरों से उसके लिए रिश्ते आने शुरू हो गए थे । शिवानी के … Read more

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