जलील: Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : “अब मैं नहीं रख सकता आप लोगों को। तंग आ गया हूं आप लोगों के खर्चों से। पैसे फलते हैं क्या यहां? नहीं है मेरे पास पैसे। आप लोग अपना कुछ सोचिए।”रवि ने झल्लाते हुए अपने बूढ़े मां-बाप से कहा। “हां जी, ठीक कह रहे हो।एक तो इन्हें दिन भर … Read more

स्नेह के तार – संध्या सिन्हा : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi :  मेरी छोटी बहन की शादी की सिल्वर जुबली में मेरा मायके जाना हुआ क्योंकि मेरी छोटी बहन भी उसी शहर में रहती हैं। शाम की पार्टी में जब मैं उसके घर पहुँची तो अजीब सुखद अहसास हुआ मुझे।,मेरी माँ के पास मेरी इकलौती मामी बैठी थी। वह मुझे देख कर … Read more

अपनापन – किरण केशरे : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi :  शाम पांच बजे ‌ऑफिस का कार्य पुरा कर सलोनी घर जाने की तैयारी कर ही रही थी की , अचानक ही बॉस ने अतिरिक्त कार्य सौंप दिया, उन फाइलों को निपटाते रात के साढ़े सात बजने को आ गए थे, वह सोच रही थी, नमन भी ऑफिस से छह बजे … Read more

तिल का ताड़ बना दिया – विभा गुप्ता  : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi :   ” क्या हुआ सुनील..तुम दोनों आज फिर से…।”   ” तो क्या करुँ आँटी…सुमेधा के रोज के चिकचिक से मैं तंग आ गया हूँ।जी करता है कि अभी तलाक लेकर इससे नारकीय ज़िंदगी से छुटकारा पा लूँ..।” सुनील ने लगभग चीखते हुए कहा।    ” तलाक!…नहीं बेटा, ऐसा नहीं कहते।सुमेधा बेटी…एक-दूसरे … Read more

सुकून भरा सफर – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

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Moral Stories in Hindi : अरे मम्मी , फ्लाइट में टिकट क्यों नहीं कराया..  ट्रेन में कितना समय लगेगा जानती भी हो..? कंजूस कहीं की..!  ट्रेन का टिकट कंफर्म होते ही सुमेधा ने बेटी स्वर्णा को जानकारी दी थी , बेटी का जवाब सुनते ही सुमेधा बोली …..           अरे हमारे पास तेरे पापा के रिटायरमेंट … Read more

कामचोर बहुएं: Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : नितिका और वंदना कहने को दोनो देवरानी जेठानी , दोनो के स्वभाव मे भी जमीन आसमान का अंतर +जहाँ जेठानी वंदना शांत स्वभाव की चुप चुप रहने वाली वहीं देवरानी नितिका साफ दिल की पर मुंह फट जो महसूस करती बोल देती।) पर दोनो मे प्यार बहुत था वंदना की … Read more

दूसरों का दर्द भी समझना चाहिए : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : जगमोहन भारी मन से घर आ गया। उसे लग रहा था कि ईमानदारी से काम करने का कोई मतलब ही नहीं रहा। कितनी मुश्किल से मैंने यह प्रेजेंटेशन तैयार किया था, मैं हर समय इस कम्पनी की तरक्की का प्रयास करता हूँ, कभी यह भी नहीं सोचता कि ऑफिस टाइम … Read more

सारे दर्द औरत को ही क्यूँ ???? – मीनाक्षी सिंह

विन्नी – मम्मा ,बहुत दर्द हो रह हैँ पेट में ,पेट के आस पास और कमर में ! लग रहा हैँ मर जाऊंगी ! कुछ तो करो मम्मा ! सीमा (13 साल की विन्नी की माँ ) – कोई बात नहीं बेटा ,अभी तुझे गरम दूध दे दूँगी ! पी लेना आराम मिल जायेगा ! … Read more

 दर्द अपना-अपना * –   पुष्पा जोशी

‘कुछ नहीं होने दूंगा मैं आपको।’ बिना सम्बोधन के ही उसने कहा था ‘अभी जीना है आपको,पोते पोतियों को गोद में खिलाना है, आप चिंता न करें कुछ नहीं होने दूंगा मैं आपको।’ क्या था उसकी आवाज में, और उसकी आँखों में कि मैं उसे देखती रह गई।पहली बार ही मिली थी मैं डॉक्टर अविनाश … Read more

” एक परिवार ऐसा भी ” – संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

शादी के दिन जैसे जैसे नजदीक आ रहे थे वैसे वैसे सलोनी का मन घबरा रहा था। कारण था ससुराल का संयुक्त परिवार जबकि मायके में सलोनी के पापा की ट्रांसफर वाली जॉब होने के कारण सलोनी एकल परिवार में ही पली बढ़ी थी। ” सलोनी क्या सोच रही है यूं अकेले बैठे ?” एक … Read more

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