ढलती साँझ – संगीता अग्रवाल  : Moral Stories in Hindi

” नीता …नीता !” माधव ने चीख कर पत्नी को पुकारा । ” क्या हुआ , आप इतने व्यथित क्यो हो ?” नीता जल्दी से रसोई से बाहर आई और पूछा । ” सब बंद कर दो कोई खाना नही बनेगा और फटाफट कुछ कपड़े बैग मे डालो हमें अभी निकलना है !” अश्रुपूर्ण आँखों … Read more

जीवन साथी बिन ना ढलती साँझ – रश्मि प्रकाश  : Moral Stories in Hindi

“ सही है तुम भी मुझे छोड़ कर चली गई…. कहाँ हम सोचा करते थे… जब साँझ ढलेगा इधर बरामदे में झूले पर बैठ कर बाहर का नजारा निहारा करेंगे और साथ में तुम्हारी पसंद का लिप्टन ग्रीनलेबल चाय का आनंद लिया करेंगे पर देखो ढलती साँझ तो है पर मै यहाँ अकेला रह गया…. … Read more

ढलती शाम – मनीषा सिंह : Moral Stories in Hindi

“पापा••• अब मुझसे बर्दाश्त नहीं होता “मैं••• सब कुछ छोड़-छाड़—  मुन्ना को ले घर आ रही हूं••• ! पर ये समय अंश पर गुस्सा करने का नहीं बल्कि हिम्मत से काम लेने का है••मेरी बच्ची•• ! जैसा तुम बता रही हो उस हिसाब से मुझे लगता है कि अंश की मानसिक स्थिति ठीक नहीं••!  पर … Read more

ढलती सांझ – बीना शुक्ला अवस्थी : Moral Stories in Hindi

********** पार्थ के जीवन की ढलती सांझ इतनी खुशनुमा और प्यारी होगी उसने सोंचा भी नहीं था।  उसे तो लगता था जब यौवन में  कोई सुख नहीं मिला तो  सांझ तो सन्नाटे और वीरानी का पर्याय होगी ही। अचानक कुछ ऐसा हुआ कि उसका पूरा जीवन ही बदल गया।‌ विवाह की शहनाइयों की गूॅज धीमी … Read more

बहुत याद आती है सासू मां की – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

short story in hindi

देख बेटा तान्या….. तू नौकरी करना चाहती है ना…. बेशक कर….! पर याद रखना घर की व्यवस्था तो तुझे ही देखनी पड़ेगी…. स्पष्ट और सच बोलना शायद सही होगा …।     मुझसे ना …ये घर के कामों और तुम्हारी मदद के विषय में ज्यादा उम्मीद मत रखना…..  मैं उम्र के इस पड़ाव  ” ढलती सांझ ” … Read more

ढलती साँझ – डॉ .अनुपमा श्रीवास्तवा

आज बाबूजी कुछ ज्यादा ही सुबह उठ गये थे। बाहर वाले कमरे से लगातार खट-पट की आवाज आ रही थी। पता नहीं  इतनी सुबह -सुबह उठकर बाबूजी कमरे में क्या कर रहे हैं,देखती हूं जाकर। सुधा उठकर जाने लगी तो अजय ने टोका -“कहां जा रही हो? सो जाओ आराम से नींद हराम करने की … Read more

ढलती सांझ में तो आराम चाहिए। – अर्चना खंडेलवाल : Moral Stories in Hindi

सुधा आज क्या चाय नहीं मिलेगी? किशोर जी ने बिस्तर से आवाज लगाई, कोई आवाज नहीं आने पर वो खुद ही पलंग से उतरकर रसोई की ओर चले गये, रसोई में चिमनी चल रही थी और उनकी आवाज से बेपरवाह होकर सुधा जी तवे पर परांठे सेंक रही थी। उन्होंने फिर दोहराया, आज चाय नहीं … Read more

ढलती सांझ का सूरज – गीता वाधवानी : Moral Stories in Hindi

 जैसे दिन समाप्त होने पर ढलती सांझ आ जाती है और फिर रात्रि।इसी तरह जवानी बीत जाने पर बुढ़ापा आता है और वह ढलती सांझ की तरह होता है इसी ढलती सांझ के दो साथी थे एस के यानी सुंदर कुमार और जुगल कपूर। दोनों पक्के दोस्त थे।   दोनों रिटायर हो चुके थे और सुबह … Read more

आईना – बिमला महाजन : Moral Stories in Hindi

  वह काफी दिनों से पेट -दर्द से परेशान थी । कुछ भी खाने पर पेट भारी हो जाता, जी मिचलाने लगता,हर समय पेट में जलन होने लगती थी । जब तकलीफ सहन से बाहर हो गई थी तो   के पास जाना पड़ा । डॉक्टर साहब ने पथरी का संदेह व्यक्त किया और कुछ परीक्षण … Read more

जीवन संध्या – कुमुद मोहन : Moral Stories in Hindi

“तुम्हें कितनी बार कहा दरवाजे पर खड़ी ना मिला करो” सुरेश जी ने घर का गेट खोल कर अंदर आते हुए सीमा जी से कहा!”इतनी ठंडी हवा चल रही है और बिना शाॅल लिए बाहर खड़ी हो! चलो अंदर चलो”,और कुर्सी पर पड़ा शाॅल सीमा जी को उढ़ाकर उन्हें हाथों का सहारा देकर अंदर ले … Read more

error: Content is Copyright protected !!