ससुराल का सुख- विभा गुप्ता  : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi :   लड़कियों की तरह लड़के भी अपने ससुराल की अच्छी-अच्छी कल्पनाएँ करते हैं। हैदराबाद की एक आईटी कंपनी में काम करने वाला प्रतीक भी अपने होने वाले ससुराल की बहुत सारी कल्पनाएँ करता था।अपने शादीशुदा मित्रों से जब उनके ससुराल के खट्टे-मीठे अनुभवों को सुनता था तो वह सोचता कि काश! मुझे … Read more

आत्मनिर्भर – विभा गुप्ता : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : ” दीपक, माँजी ने तो कल हद ही कर दी थी।” आरती ने अपने पति दीपक से गुस्से में कहा तो उसने आश्चर्य से पूछा, ” ऐसा क्या कर दिया माँ ने जो तुम सुबह-सुबह इतनी बिफ़री हुई हो।” ” कल मैं उन्हें डाॅक्टर को दिखाकर वापस घर लौट रही … Read more

एक मजबूत डोर-दोस्ती – विभा गुप्ता : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : मीनू को इस स्कूल में आये कुछ ही दिन बीते थें और उसके मिलनसार स्वभाव के कारण जल्दी ही कई लड़कियाँ उसकी सहेलियाँ भी बन गई थी।तान्या नाम की एक लड़की भी उसी की कक्षा में पढ़ती थी जो अक्सर ही उसे परेशान किया करती थी।कभी उसकी किताबें गायब कर … Read more

तुम्हारी माँ हूँ – विभा गुप्ता : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : ” बस कीजिए ये टोका-टोकी, आपका क्या अधिकार है हम पर रोक-टोक लगाने का।” अंकित गुस्से-से कौशल्या जी पर चीखा तो वो बोली,” तुम्हारी माँ हूँ।”     ” मगर सौतेली…” पीछे से अंकुर ने कहा तो वह स्तब्ध रह गईं। ‘ सौतेली ‘ शब्द ने जैसे उनके हृदय में एक तीर … Read more

प्रसव-पीड़ा – विभा गुप्ता : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : स्नेहा प्रसव-पीड़ा से कराह रही थी और नर्स उसे बार-बार सांत्वना दे रही थी कि बस थोड़ी देर और… सब ठीक हो जायेगा।स्नेहा को दर्द से छटपटाते देख सुकेश नर्स से पूछता,” ऐसा कब तक…और कितना टाइम..।” जवाब में नर्स कहती,” हैव पेशेंस…फ़र्स्ट बेबी है, ऐसा तो होता ही है।” … Read more

 उपेक्षा का प्रतिफल – विभा गुप्ता : Moral stories in hindi

   Moral stories in hindi : ” तो ऐसा कौन-सा तीर मार लिया आपके लाडले ने जो मिठाई खिलाऊँ।” थाली में एक रोटी और थोड़ी-सी सब्ज़ी रखकर अनिरुद्ध के सामने पटकते हुए सुशीला जी बोलीं तो दिवाकर बाबू मन में बोले,” मिठाई न सही, अपने शब्दों में मिठास तो घोल ही सकती हो।आज मेरा बेटा का … Read more

तुमसे न हो सकेगा –  विभा गुप्ता : Short Stories in Hindi

    ” बधाई हो निशिकांत जी, लक्ष्मी आई है आपके घर में।आप नाना बन गये हैं।” कहते हुए नर्स ने एक नवजात शिशु को निशिकांत जी की गोद में दे दिया।बच्ची के नन्हें-नन्हें हाथों को स्पर्श करते ही उनका वात्सल्य आँसू बनकर उनकी आँखों से छलकने लगा।बच्ची की आँखें देखकर उन्हें लगा जैसे रूही ही उनकी … Read more

मेरे पापा – विभा गुप्ता : short stories in hindi

” एक बार कह दिया न आपको कि मेरा कन्यादान वो नहीं करेंगे।मेरे साथ आप अकेली ही बैठेंगी।” दुल्हन बनी रीमा चीखते हुए अपनी माँ मालती से बोली तो मालती ने पीछे मुड़कर अपने पति यशवंत को देखा जो दरवाजे के बाहर ही खड़े होकर बेटी के जवाब का इंतज़ार कर रहें थें। रीमा तब … Read more

 माफ़ी का क्या करुॅं – विभा गुप्ता

” कंचन सुन, चाय के साथ थोड़ी पकौड़ियाॅं भी तल लेना। मेरी रेशमा काॅलेज से थकी-हारी आई है, बेचारी को कितनी मेहनत करनी पड़ती है, मोटी- मोटी किताबों में सिर खपाना….।”   ” जानती हूँ मामी।रेशमा के लिए पकौड़ियाॅं भी तल दूॅंगी।” कंचन ने अपनी मामी मालती से कहा और प्याज काटने लगी।       कंचन मालती जी … Read more

मैं हूँ ना –  विभा गुप्ता

 ” भईया, रुनझुन की शादी कैसे होगी?लड़के वालों की डिमांड तो कुछ भी नहीं है, फिर भी खाली हाथ बेटी को कैसे विदा कर दूॅं।जेठ जी ने तो पल्ला झाड़ लिया है।रुनझुन के पापा रहते तो मुझे कोई चिंता ही नहीं रहती लेकिन….।” कहते हुए देवकी रोने लगी तो नारायण बाबू बहन के कंधों पर … Read more

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