धिक्कार है धिक्कार – सुभद्रा प्रसाद : Moral stories in hindi
रात के दो बजकर दस मिनट हो चुके थे |प्रियंका स्टेशन के प्लेटफार्म पर शाल ओढ़े चुपचाप बैठी थी | उसे समझ नहीं आ रहा था, वह क्या करे? रात दो बजे वाली ट्रेन आकर आगे जा चुकी थी और उसका मन तेजी से पीछे की ओर भाग रहा था | … Read more