दर्द की अधिकता ही दवा बन जाती है – लतिका श्रीवास्तव 

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…..सारे समाचार पत्रों की सुर्खियों में थी वो आज…..मीडिया ने चटखारे लेते हुए उसके ऊपर लगे आरोपों को छापा  था….अचानक सबकी नजरों में वो निहायत घटिया भ्रष्ट कामचोर और फर्जी साबित हो गई थी…..उसके खासमखास भी उसके बारे में मनगढ़ंत फर्जी कहानियां यत्र यत्र सुना रहे थे मजे ले रहे थे ..! शमिता के लिए … Read more

दर्द की साझेदारी – लतिका श्रीवास्तव 

दर्द से मानो पिछले सात जन्मों का नाता जुड़ा है मेरा जिंदगी में कुछ सुकून के भी पल ईश्वर ने लिखे हैं या नहीं…..आज तो शरीर का पोर पोर दर्द से लहक रहा है…आरती की आंखों में बार बार आंसू छलक आ रहे हैं….अकेलापन अपने आप में सबसे बड़ा दर्द है जिंदगी का….बच्चे हैं…. बहुत … Read more

 इक बंगला बने न्यारा – लतिका श्रीवास्तव 

..पापा आप लोग हम लोगों के साथ नहीं रहेंगे….आनंदी का ऐसा मानना है ….अब उसे भी शानदार जॉब मिल गया है…बहुत व्यस्त हो गई है….अनिमेष फोन पर कह रहा था और इधर सुधीर जी की आंखों में आंसू और दिल में दफ्न  मकान की ख्वाहिश अचानक उभर कर फिर से सांसे लेने लगी थी…बुढ़ापे का … Read more

   अन्याय का पर्दाफाश – लतिका श्रीवास्तव

रिजल्ट शीट पर साइन करने के लिए पेन उठाया ही था कि एक नाम पर नजर जम गई कीर्ति बाला…सप्लीमेंट्री दो विषयो में….!! कीर्तिबाला..!!…पिछले वर्ष तो ये स्कूल टॉपर थी !!वार्षिकोत्सव में माननीय विधायक जी के हाथों ट्रॉफी प्राप्त की थी इसने..!!रंजना जी को वो दिन बखूबी याद आ गया था…!क्या ये वही लड़की है … Read more

चाहत को मिले पंख – लतिका श्रीवास्तव

अरे सुधांशु ए सुधांशु….पापा की अनवरत आती हुई आवाजों ने सुधांशु को बेचैन कर दिया वो लपक कर कमरे से बाहर निकल आया .. हां पापा क्या हुआ !!!ऐसे क्यों आवाज़ दे रहे हैं आप..!बताइए क्या हो गया बहुत परेशान दिख रहे हैं….!!बेटा बैंक से मेरे रुपए कोई निकालता जा रहा है .. ये देखो … Read more

  नेकी का बदला – लतिका श्रीवास्तव 

आकाश हतप्रभ था स्तब्ध था …विशाल का बेजान शरीर उसके समक्ष था कितना भरोसा था विशाल को अपने सिद्धांतों पर …हमेशा कहता था अच्छा करोगे तो अच्छा ही मिलेगा…अपने कर्तव्यों को निष्ठा से करोगे तो निष्ठा ही मिलेगी…समाज भ्रष्ट नहीं  होता है कमी है भ्रष्ट लोगों के स्थान पर सदनियत लोगों के सामने आने की…..! … Read more

विरोध बना पुष्पहार – लतिका श्रीवास्तव

….मीटिंग बहुत लंबी और उबाऊ होती जा रही थी…इतने शानदार होटल में सारी व्यवस्था की गई है ….अधिकांश तो पल पल में परोसे जा रहे शीतल और गरम पेय पदार्थों का आनंद उठाने में तल्लीन थे ….सुस्वादु भोजन का काल्पनिक स्वाद रह रह कर सभी को मीटिंग के शीघ्र खत्म होने का शिद्दत से एहसास … Read more

छालू नहीं शालू – लतिका श्रीवास्तव 

….सहमी सहमी सी थी वो जब मैंने उसे बुलाया तो बहुत झिझक रही थी काफ़ी कुरेदने के बाद जब उसने मुंह खोला तो सारे बच्चे ठहाका लगा कर हंस पड़े ….वो फिर से सहम कर अपने में सिमट गई थी….. शालू नाम था उसका …बहुत ही शालीन पर सहमी सी वो लड़की पूरी क्लास के … Read more

सही राह – लतिका श्रीवास्तव

वृद्धाश्रम के दरवाजे पर ही पिता रमानाथ जी को उतार कर राजन चलने लगा तो वृद्ध अशक्त पिता ने कोई शिकायत नहीं की बस आंसू भरी आंखों और रुंधे गले से हमेशा की तरह सदा खुश रहो बेटा का आशीष जरूर दिया जिसे सुनने के लिए बेटा राजन रुका ही नहीं….तुरंत कार स्टार्ट करके घर … Read more

सिर्फ अपने लिए नहीं….. – लतिका श्रीवास्तव 

डॉक्टर की बातें रामदयाल जी के दिमाग में भूचाल पैदा कर रही थीं कि एन मौके पर अगर आप यहां नहीं आते तो हार्ट अटैक हार्ट फेल में बदल गया होता!!….रमा ने संक्षिप्त में बताया था कि आज अदिति और अमीश के कारण ही फ्लाइट बुक हो पाई और आपको यहां लाना संभव हो पाया……..!! … Read more

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