अन्याय का पर्दाफाश – लतिका श्रीवास्तव

रिजल्ट शीट पर साइन करने के लिए पेन उठाया ही था कि एक नाम पर नजर जम गई कीर्ति बाला…सप्लीमेंट्री दो विषयो में….!!

कीर्तिबाला..!!…पिछले वर्ष तो ये स्कूल टॉपर थी !!वार्षिकोत्सव में माननीय विधायक जी के हाथों ट्रॉफी प्राप्त की थी इसने..!!रंजना जी को वो दिन बखूबी याद आ गया था…!क्या ये वही लड़की है जिसकी आज सप्लीमेंट्री आई है..!उन्होंने तुरंत क्लास टीचर आभा को बुलवाया और कीर्तिबाला के बारे में तफ्तीश करने लगी परंतु आभा की गोल मोल बातों और कीर्तिबला की अतिश्योक्तिपूर्ण बुराई करने से उन्हें दाल में कुछ काला साफ नजर आने लगा था….उन्होंने कीर्तिबाल को भी बुलवाया और बातें की पर हर बार उन्हें महसूस हुआ कि कोई बात वो छुपा रही थी काफी दबी और सहमी सी प्रतीत हो रही थी…!

उन्हें याद आ रहा था उसका दमदार भाषण जो उसने ट्रॉफी प्राप्त करने के बाद सार्वजनिक रूप से  दिया था और एक सफल बहादुर महिला वकील बन कर महिलाओं को न्याय दिलाने की ख्वाहिश भी स्पष्ट रूप से जाहिर की थी….वो बुलंद आवाज़ आज दब क्यों गई!!

…..इसकी सप्लीमेंट्री तो फिजिक्स और मैथ्स में आई है इसने साइंस चयन किया है क्यों!!बारंबार दिमाग में घुमड़ता ये प्रश्न उन्हें व्याकुल करके सब कुछ जान लेने को उद्धत कर रहा था….!

…..जब से कीर्तिबाला ने स्कूल टॉपर की ट्रॉफी ली थी माणिक जी के कलेजे पर सांप लोट गया था।उनकी बेटी शिखा कीर्तिबाला की सहपाठी और परम सखी भी थी… और वो उसी स्कूल के साइंस टीचर थे जबकि कीर्तिबाला के पिता स्कूल के बाहर मूंगफली का ठेला चलाते थे।माणिक सर को ये बात बहुत अपमानजनक लगती थी उन्हें अपने ऊपर बहुत दंभ था कि उनकी बेटी ही ट्रॉफी की हकदार होगी….आशाओं पर ऐसा तुषारापात उनको चैन से रहने नहीं दे रहा था ।उन्हीं के सामने सबने कीर्तिबाला के पिता को बधाई दी सम्मानित किया बड़ाई की…. वो दृश्य उनके दिल पर कुठाराघात कर रहा था….ठेले वाला मुझसे बाजी कैसे मार गया….!!




..कुटिल इरादे वाले माणिक जी अच्छे से जानते थे कि सिविक्स और इकोनॉमिक्स में कीर्तिबाला का कोई मुकाबला ही नहीं है ..इसीलिए इस वर्ष उन्होंने कीर्तिबाला के पिता को बहला कर कीर्ति की इच्छा के विरुद्ध साइंस जो वो खुद पढ़ाते थे दिलवा दिया…! कीर्तिबाला सिविक्स और इकोनॉमिक्स लेना चाहती थी ये उसके पसंदीदा विषय थे पर ईर्ष्या दग्ध माणिक सर की तानाशाही चाल… पिता पर अतिरिक्त दबाव के कारण उसे साइंस चयन करना पड़ा था..।

….फिर भी इच्छा के विरुद्ध विषय लेने पर भी एक जुझारू विद्यार्थी की भांति वो पढ़ाई में एकाग्रचित्त हो गई थी पेपर भी अच्छे बनाए थे इसीलिए सप्लीमेंट्री देख कर उसे विश्वास नहीं हो पा रहा था ……हिम्मत करके वो माणिक सर जो दोनो विषय पढ़ाते थे उनके पास गई भी थी… सर मेरे पेपर अच्छे हुए थे क्या आप मुझे मेरी आंसर शीट दिखाएंगे.!!उसके सहम कर ये पूछते ही माणिक सर आपे से बाहर हो गए थे….”क्या देखना चाहती हो तुम !!मैने जानबूझ के तुम्हारे नंबर काट दिए….तुम मुझसे ज्यादा होशियार हो …क्या हर बार स्कूल टॉप करने का ठेका ले रखा है तुमने…मैं हमेशा तुम्हें मेरे घर ट्यूशन लेने को इसीलिए समझाता था क्युकी तुम इन विषयों में कमज़ोर थीं पर तुम्हें तो अपनी बुद्धि पर अतिरिक्त भरोसा था..सब गलत आंसर दिए हैं तुमने!!मैने कोई अन्याय नहीं किया तुम्हारे साथ जैसा तुम समझ रही हो……..!!

…. सर प्लीज एक बार मुझे मेरी कॉपी दिखा दीजिए…क्या गलत लिखा है मैने मैं जानना चाहती हूं ….मेरे पास ट्यूशन फीस देने के पैसे नहीं थे सर…..कीर्तिबाला ने लगभग गिड़गिड़ाते हुए प्रार्थना की थी!परंतु माणिक सर व्यंगात्मक हंसी से उसकी अवहेलना करते हुए उठ कर चले गए थे..!




क्लास में शिखा के सर्वाधिक नंबर पर सबने तालियां बजाईं और कीर्तिबाला के सप्लीमेंट्री की जम कर खिल्ली उड़ाई थी….”.टॉपर अब टापर”….!!कीर्तिबाला को शिखा के प्रथम आने का रोष या ईर्ष्या नहीं थी उसे अपने सप्लीमेंट्री आने पर विश्वास ही नहीं हो रहा था उसकी आत्मा संतुष्ट नहीं थी उसे अपने साथ अन्याय होने का भाव साल रहा था…पर  एक बेबस गरीब ठेला चलाने वाले पिता की क्या मजाल जो सिद्ध शिक्षक माणिक सर से कोई विरोध या दरख्वास्त कर पाते!!

अपने साथ…. अपनी शिक्षा के साथ होने वाले इस इरादतन ईर्ष्या और दंभ की पूर्ति से दुष्प्रवृत्त अन्याय को वो मूक होकर सहने की कोशिश कर रही थी….उसने तो शिखा को बधाई भी दी तालियां भी बजाई पर उसकी घुटन और उदासी उसकी परम सखी शिखा से छिपी ना रह सकी थी।

…..मैडम प्लीज आप कीर्ति बाला की कॉपी फिर से चेक करवाइए…..शिखा की मंद पर दृढ़ आवाज सुन रंजना जी चौंक गईं….क्यों तुम ऐसा क्यों कह रही हो जिसकी कॉपी है उसे ही कहना चाहिए….कीर्ति बाला ने तो पूछने पर भी कुछ भी नहीं कहा कोई आपत्ति नहीं की..!आश्चर्य से पूछा उन्होंने।

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… मैम…. वो मेरे पिता माणिक सर की बहुत इज्जत करती है …डरती है…..और मुझसे बहुत स्नेह करती है….हम दोनों को किसी शर्मिंदगी स्थिति में नहीं देखना चाहती इसीलिए आपसे कह नहीं पाती पर मुझे पक्का विश्वास है उसके नंबर मुझसे ज्यादा ही आयेंगे वो मुझसे ज्यादा मेहनती है मैं उसके साथ किसी को अन्याय नहीं करने दूंगी भले ही वो मेरे पापा ही क्यों ना हो …मुझे अपने पापा पर विश्वास नहीं है आप प्लीज कुछ कीजिए मैम…..इधर उधर डर कर देखते हुए इतना कह कर वो लगभग भाग ही गई…!

रंजना जी के सामने सारी बातें पानी की तरह स्पष्ट हो गईं थीं…..इतना घोर अन्याय इतनी मेधावी छात्रा के साथ ..!!एक शिक्षक अपनी कुंठित हीन भावना के वशीभूत हो होश खो बैठा है….शिक्षा को मजाक बना दिया है…उन्होंने तुरंत माणिक सर को बुलवाया और उनके विषय की सारी उत्तरपुस्तिकाएं जमा करने के लिए कहा तो माणिक सर के होश सच में उड़ गए ….कोई बहाना कोई सफाई अब निरर्थक है ….अपनी कुटिलता का पर्दाफाश नजदीक देख वो मैडम के सामने नतमस्तक हो गए ….माफी मांगने लगे …..।

रंजना जी ने कीर्तिबाला की उत्तरपुस्तिका एक अन्य विषय शिक्षक से जांचवाई तो जिन विषयों में उसे सप्लीमेंट्री दी गई थी उन दोनों विषयों में उसके शत प्रतिशत नंबर देख कर वो अवाक रह गई।

अपने विद्यार्थी के साथ पक्षपात और विद्वेष पूर्ण बर्ताव करने अध्यापन जैसे पवित्र कार्य का अपनी कुटिल मानसिकता से खिलवाड़ करने वाले माणिक सर को उन्होंने तत्काल निलंबित कर दिया ताकि भविष्य में फिर किसी कीर्तिबाला के साथ ऐसा कुत्सित अन्याय न होने पाए।

आज कीर्तिबाला ने फिर टॉप किया है…उसे और उसके पिता को फिर से सम्मानित किया जा रहा है… उस गरीब मेहनतकश पिता की आंखों में अपनी बेटी के लिए गर्व उसको मिले न्याय के प्रति हर्ष के अश्रु छलक उठे हैं….. फिर से तालियां बज रही हैं….कीर्तिबाला के ठीक सामने खड़ी जोर जोर से तालियां बजाती शिखा की तालियों की गूंज सबसे अलग सबसे मधुर है।

 #अन्याय 

लतिका श्रीवास्तव

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