दर्द की साझेदारी – लतिका श्रीवास्तव 

दर्द से मानो पिछले सात जन्मों का नाता जुड़ा है मेरा जिंदगी में कुछ सुकून के भी पल ईश्वर ने लिखे हैं या नहीं…..आज तो शरीर का पोर पोर दर्द से लहक रहा है…आरती की आंखों में बार बार आंसू छलक आ रहे हैं….अकेलापन अपने आप में सबसे बड़ा दर्द है जिंदगी का….बच्चे हैं…. बहुत समृद्ध सुखी जीवन है सबका…. सब फॉरेन में सेटल हो गए हैं…..दूर रहकर भी सब मां से जुड़े रहते हैं रोज वीडियो कॉल पर बातें करना …मां की सारी सुख सुविधा का ध्यान रखना ढेर भर नौकर चाकर सब दुरुस्त रखते हैं….कोई कमी नहीं है ज़िंदगी में ….पर अब सारी चिंताओं संघर्षों से सफलता पूर्वक मुक्ति के बाद पसरे सन्नाटे में सबकी एक एक बात याद कर कभी कभी उसका जी हुडक सा जाता है….

…..सबका करियर शानदार बनाया आरती ने अकेले ही …..पति की कार एक्सीडेंट में मृत्यु हो जाने के बाद अवसाद ग्रस्त मृत प्राय आरती अपने तीनों अबोध बच्चों का बिलखता मुंह देख कर अपना असहनीय दर्द भुलाकर उनकी परवरिश और शिक्षा दीक्षा में जूझ गई थी….समाज और परिवार के आक्षेपों कटीले तानों के दुर्गम उलझे रास्तों को हिम्मत से पार करते हुए अपने सभी बच्चों को प्रतिष्ठित पदों तक पहुंचा कर ही उसने सांस ली थी..

 

…….लेकिन छोटा बेटा शिव मां को छोड़कर बाहर नहीं जा रहा था तब उसने समझाया था …बेटा मैं अपने स्वार्थ के लिए अपनी सेवा के लिए तेरा करियर दांव पर नहीं लगा सकती ..!!समाज मुझको स्वार्थी कहेगा….मां बाप के साथ रहकर नहीं… समाज और परिवार में मां बाप का नाम ऊंचा कर ही मां बाप को असली सुख और गौरव की अनुभूति होती है….आज पूरा समाज और परिवार उसके बच्चों की तारीफ करतें नहीं थकता….मां का कलेजा ये सब सुनकर गौरवांवित और परम आनंद से भावविभोर हो जाता है।

 

अरी धनिया ओ धनिया …..जरा तेल गरम कर के ले आ अपने हाथों से किसी तरह लगा लूंगी थोड़ा आराम आयेगा….!धनिया की आने की आहट सुनते ही आरती ने  पुकार लगा दी…..

आपको भी ना अम्माजी चैन नहीं है अब्भी तो घर में घुसी ही हूं मैं…… घड़ी घड़ी अपना रोना लेके बैठ जाती हो ….आज ये दर्द कल वो दर्द….अरे बुढ़ापा है सयानी अवस्था है तो ये सब तो लगा ही रहेगा ….सुबह सबेरे से उठने की जरूरत ही क्या है ….आराम से उठा करो….फिर उठते ही रोना गाना चिल्लाना शुरू हो जाता है आपका  ….झटके से गरम सरसो तेल की कटोरी सामने रखते हुए धनिया ने थोड़ा झल्लाते हुए कहा तो आरती शांत होने के बजाय और चिढ़ गई…..




सुबह सबेरे..!ये सुबह सबेरे है…!सुबह के आठ बज गए हैं कब तक मुंह आंख बंद करके जबरदस्ती पलंग तोड़ती रहूं….नींद तो भोर से खुल जाती है चाय की तलब लगने लगती है….मुंह दबा के पड़ी रहती हूं….क्या करूं अब हाथ पांव चलते नहीं हैं पर बरसो की आदत है पांच बजे चाय पीने की…!अब तो आठ बज गए हैं नाश्ते का टाइम हो गया है और अभी तक चाय का पता नहीं है!!आरती का सारा गुबार फट पड़ा था।

ठंड रखो अम्माजी वो खाना वाली मेड आती होगी तो चाय वाय सब बना देगी ….मुझे तो अपना बर्तन झाड़ू चैन से कर लेने दो….अभी ये तो पहला घर है अभी पांच घर का काम बाकी है ….तभी तो अपने घर का काम जल्दी निबटा कर सुबह से निकल पड़ती हूं….देर हो रही है हमको भी….कहते कहते उसे अपने चार साल के बेटे गोलू का चेहरा याद आ गया आज आने ही नहीं दे रहा था…. मां आज काम पर मत जा …बापू मारता है तेरे जाने के बाद …कहता है तेरी मां काम वाम पर नहीं गुलछरे उड़ाने जाती है सुबह सुबह …किसी की सुनती ही नहीं अरे थोड़ी देर से चली जायेगी तो कौन सी आफत आ जायेगी…!बाकी भी तो जाती हैं काम करने पर तेरी मां का तो नखरा ही कुछ और है..!

 

अपनी मां के बारे में बापू की इस खराब टिप्पणी से मर्माहत गोलू रोने ही लग जाता है बिचारा ….कितनी मुश्किल से उसके नन्हे नन्हे हाथों की मजबूत पकड़ से मुक्त होकर यहां आ पाई है…!…आज  ही नहीं अक्सर गोलू का बापू नशा करके सुबह ही घर आता  और तभी धनिया के काम पर जाने का टाइम हो जाता ….बस ….सारा गुस्सा छोटे गोलू पर निकालता था….!क्या करे धनिया..!!गोलू अपने बापू के पास रहना ही नहीं चाहता और धनिया के साथ घर घर जा नहीं सकता….दिन भर वो इतने घरों का काम करके शाम तक घर पहुंच पाती है…गोलू की तरफ ध्यान कैसे दे..!स्कूल जाने में भी कतराने लगा है….उसका बापू दिन भर नशे में धुत अजीबोगरीब हरकतें करता रहता है तो गोलू दिन भर घर से गायब रहता है…..जाने कहां घूमता रहता है पर स्कूल नहीं जाता ।धनिया काम पर ना जाए तो घर का खर्चा कैसे चले..!!गोलू का बापू निठल्ला है.….मेरा गोलू भी ऐसा ही निठल्ला और बेकार बनेगा इस बात का दर्द उसकी आंखों में आंसू बन कर छलक उठा था।





….ले अब तू काहे रोने लग गई….आरती से धनिया की नम आंखें ना छुप सकीं थीं….अरे सयानी अवस्था है मुंह से उटपटांग निकल जाता है री बुरा ना माना कर मेरी बातों का…आरती की बात सुन धनिया मुस्कुरा उठी और अपने आंसुओं को पोछती हुई जल्दी से तेल की कटोरी से तेल निकाल अम्माजी के पैरों पर आहिस्ता आहिस्ता मालिश करने लगी..अरे अम्मा आपकी बातें तो मीठी चाय जैसी लगती हैं काहे का हम बुरा मानी!!वो तो गोलू की याद आ गई आज हमका आने ही नहीं दे रहा था..!उसका बापू उसको बहुत दुख देता है ….उसकी सारी व्यथाएं चिंताएं सुनकर आरती अपना दर्द भुला बैठी थी और स्वयं के दर्द और घोर संघर्ष भरे दिन याद आ गए थे….मानो वो धनिया के दर्द का एक एक कतरा शिद्दत से महसूस कर उठी थी….!

 

सुन धनिया मेरी बात मान ….तू गोलू और उसके बापू के साथ यहीं मेरे घर पर रहने आजा इतना बड़ा मकान है ….. .धनिया ने तेजी से आरती की बात काटते हुए कहा “नहीं नहीं अम्मा ये आप का कह रही हैं हम का यहां आपके साथ रहने लायक हैं….गोलू के बापू की आदतें बहुत ही खराब हैं…. नहीं….आपके साथ कोई तमाशा हम नहीं चाहते ….!”

अरे सुन तो ….गोलू का बापू बेरोजगार बेगार है इसीलिए नशा अशा की गिरफ्त में आ गया है…यहां इतना काम है जिम्मेदारी से करेगा तो नशा छोड़ देगा आखिर तेरे से नेह तो रखता है ना ….आरती ने धनिया को मुस्कुरा कर छेड़ा तो धनिया मुंह में आंचल रख कर शर्मा गई ….”का अम्मा आप भी कैसी बात कर रही हैं बिना नेह के का जिंदगी !!

 

मुझसे भी तो यही नेह है तेरा इसीलिए तो कह रही हूं री….तेरे दर्द का इलाज मेरे पास है और मेरे दर्द का इलाज तेरे पास है…..समझी..!!आरती ने सुकून से चाय पीते हुए कहा तो धनिया की आंखों में गोलू मुस्कुरा उठा।

……अरे धनिया जल्दी से गोलू का लंच बॉक्स ले आ आज मेड से आलू की कचोरी बनवाई है मैंने और गोलू के बापू से कहना सावधानी से कार चलाएगा….. गोलू को स्कूल छोड़ने के बाद मुझे भी मंदिर ले चलेगा…..सारा दर्द बिसार कर उत्साह से कहती आरती ने शानदार स्कूल ड्रेस में सुसज्जित गोलू को दही शक्कर खिलाते हुए धनिया की ओर देखा तो धनिया और अम्मा का दर्द साझेदारी करते हुए एक दूसरे की दवा बन चुका था

 

……और अम्मा वीडियो कॉल पर बेटे शिव को गोलू को पकड़ कर दिखाते हुए कह रही थीं देख बेटा तेरे बेटे और मेरे पोते विनायक की तरह दिख रहा है ना….गोलू शर्मा रहा था और शिव विनायक के साथ तालियां बजाकर मां की हिम्मत और जज्बे को सलाम  कर रहा था।

#दर्द 

लतिका श्रीवास्तव 

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