मेरी नहीं हम दोनो की दीदी – लतिका श्रीवास्तव 

   मैं अब यहां एक पल भी नहीं रुक सकती…मुझे अभी मेरे मायके ले चलो.. सुमी की दिन रात की यही रट अविनाश को परेशान कर रही थी। वो उसे कैसे समझाए कि मेरी बड़ी बहन मेरी मां जैसी ही है मेरे लिए.. मां तो बचपन में ही गुजर गई थीं रमा दीदी ने ही मुझे … Read more

बड़े भाई सा पिता या पिता सा बड़ा भाई – लतिका श्रीवास्तव

ट्रेन पूरी रफ्तार से चली जा रही थी….पर अजय का अधीर मन तो जैसे आनंद के पास वैसे ही चला गया था..कल रात में ही आनंद का फोन आया” भैया ,आप तत्काल यहां आ जाओ ,आपकी ही जरूरत है आप नहीं आओगे तो मेरा क्या होगा…”अजय तो घबरा ही गया “क्या बात है बेटा ?तुमका … Read more

बेटी भी हूं मैं – लतिका श्रीवास्तव

मां मां नानी के घर कब चलोगी मेरी गर्मी की छुट्टियां शुरू हो गई हैं… छोटी तन्वी ने कल से एक ही रट लगा रखी थी और क्यों ना लगाती नानी के यहां कितने मज़े उसके रहते हैं नानी नाना भी तो साल भर से इंतजार करते रहते है …. मां पापा के बारे में … Read more

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