नेकी का बदला – लतिका श्रीवास्तव 

आकाश हतप्रभ था स्तब्ध था …विशाल का बेजान शरीर उसके समक्ष था

कितना भरोसा था विशाल को अपने सिद्धांतों पर …हमेशा कहता था अच्छा करोगे तो अच्छा ही मिलेगा…अपने कर्तव्यों को निष्ठा से करोगे तो निष्ठा ही मिलेगी…समाज भ्रष्ट नहीं  होता है कमी है भ्रष्ट लोगों के स्थान पर सदनियत लोगों के सामने आने की…..!

देख यार विशाल ज्यादा सुधारने और लोगों का भला करने के पीछे पागल मत हुआ कर तेरे जैसे सीधा सच्चा सोचने वाले और करने वाले सब लोग नहीं होते तेरे अच्छे होने और करने का उल्टा ही असर होता है ….आकाश हमेशा उससे तर्क वितर्क करता रहता था लेकिन विशाल तो अपने नाम के अनुरूप ही विशाल हृदय का था हंसकर बात टाल देता था……!

पर इस बार तो हद ही हो गई थी विशाल अपने ही ऑफिस में चोरी करने वाले एक लड़के रमेश को अपने घर ले आया था ….विशाल ये क्या पागलपन है ऐसे गुंडे को तुम घर ले के आ गए हो…सुधारने के लिए..!! रमेश को तू अपने घर ले तो आया है पर घरेलू कामों तक सीमित रख रात में उसको घर में रुकने मत बोला कर बिलकुल भरोसा नहीं करना उस पर….!!आकाश ने बहुत बिगड़ते हुए विशाल को चेतावनी भी दी थी।

नहीं आकाश रमेश बिगड़ा हुआ कोई गुंडा नहीं है उसकी बचपन से हुई गलत परवरिश ने उसे ऐसा बना दिया है वो बेकारी और निर्धनता के कारण ही चोरी करने पर मजबूर हो गया था…. पढ़ा लिखा भी नहीं है शिक्षा मनुष्य के मानसिक विकास के लिए जादू की छड़ी है …आकाश मुझे पूरा भरोसा है कि अगर इसे अच्छा माहौल और पढ़ने लिखने का मौका मिलेगा  जो मैं देने की पूरी कोशिश करूंगा तो ये भी एक अच्छा नागरिक बन जायेगा …विशाल के भरोसे को देख कर आकाश किसी अनहोनी आशंका से कांप उठा था।

रमेश को विशाल अपने घर में बहुत स्नेह से रखने लगा अत्यधिक उत्साह से वो एक बिगडेल का जीवन संवारने की मुहिम में प्रयत्नशील हो गया …पास के ही स्कूल में उसका एडमिशन करवा दिया … विशाल की पत्नी मालिनी भी स्वभाव से वैसी ही सहज निश्छल थी… विशाल के प्रत्येक भरोसे को अपना भरोसा देकर सुदृढ़ कर देती थी बहुत जल्दी ही रमेश उन दोनों के साथ ऐसा घुल मिल गया कि अपना बोरिया बिस्तर उठा कर विशाल के ही घर में दिन रात का बसेरा कर लिया ।रमेश के मां बाप के बारे किसी को कुछ नही पता था।आकाश जब भी विशाल से रमेश के घरवालों के बारे में पता लगाने को कहता विशाल हर बार अब हम ही उसके घरवाले हैं कहकर बात समाप्त कर देता था..!



प्रारंभ के कुछ दिन रमेश  विशाल के घर में थोड़ा सहमा सकुचा रहा लेकिन शनेः शने: विशाल और मालिनी के उदार स्नेही रुख से वो निसंकोच होता चला गया ….और एक माह बीतने के साथ ही अब उसका रवैया काफी अधिकार पूर्ण हो चला था….एक दिन अचानक विशाल ने उसे स्कूल टाइम में एक कैंटीन में बैठे देख लिया उसके साथ एक लड़की भी थी जिसे विशाल जानता था…विशाल ने तुरंत स्कूल में तफ्तीश की तो उसे पता लगा कुछ दिनों से रमेश स्कूल अनियमित जाने लगा है स्कूल के बीच में ही बाहर चला जाता है ….क्लास में कोई दिलचस्पी नहीं लेता है….!

विशाल को चिंता हुई पर धीरे से सुधार होगा इस भरोसे को याद कर उसने रमेश को डांटा नहीं प्यार से ही समझाया और स्कूल के शिक्षकों से रमेश पर ध्यान देने के लिए बोल दिया….लेकिन बार बार विशाल के समझाने के बाद भी जब रमेश का मेल जोल उस लड़की से कम नहीं हुआ तब एक दिन उसने रमेश को उस लड़की के सामने ही बहुत फटकार लगाई और घर ले आया।रमेश इस घटना से काफी आक्रोश में था…..ये सब देख कर आकाश ने उस दिन भी विशाल से सख्ती से रमेश को अपने घर से हटा कर उसके माता पिता के पास पहुंचाने की बात कही थी उसने समझाया था..” विशाल ये रमेश नाम का पौधा वृक्ष बन गया है   जिसकी गहरी जड़ों को बदलना अब असंभव है बल्कि तुम्हारे घर की जड़ों के लिए संकट  के आसार हैं अब भी समय है तुम संभल जाओ …”

..लेकिन विशाल को अपने नेक इरादों पर इतना भरोसा था कि उसके स्नेहिल संरक्षण में रमेश अवश्य सुधर जायेगा अभी वो नादान है समझ नहीं पा रहा है…..शायद यही नादानी विशाल कर रहा था।

……एक दिन रमेश ने आसन्न परीक्षा की तैयारी के लिए सुबह और शाम  की कोचिंग जॉइन करवाने के लिए कहा तो विशाल का दिल प्रसन्नता से झूम गया कि आखिर रमेश में पढ़ने की लगन तो आई उसने पूरे चार महीने की कोचिंग की फीस उसे देकर उसी दिन से ज्वाइन करने के लिए कह दिया।अब तो रमेश सुबह से ही तैयार होकर घर से चला जाता था,मालिनी सुबह उठ कर उसके लिए गरम नाश्ता और टिफिन भी बना देती थी विशाल ने अपनी बाइक भी उसे दे दी थी ताकि कोचिंग समय से पहुंच जाए और खुद सिटी बस पकड़ कर अपने ऑफिस जाना शुरू कर दिया था।विशाल और मालिनी दोनों को पूरा भरोसा था कि आने वाली परीक्षा में रमेश बहुत शानदार रिजल्ट लायेगा…रमेश दिन भर लगभग बाहर ही रहता था इन लोगों से उसकी बात चीत काफी कम हो गई थी ये लोग भी वो परीक्षा की तैयारी अच्छी तरह से करता रहे इसलिए उसके साथ बहुत प्यार से पेश आते थे कोई टोका टाकी नहीं करते थे….परीक्षा आई हो गई ….काफी दिन हो गए तब विशाल एक दिन रमेश का रिजल्ट पता करने बड़ी उत्सुकता से उसके स्कूल पहुंच गया वहां पता करने पर जो बात सामने आई उसे सुनकर तो जैसे उसके हाथों के तोते ही उड़ गए…



रमेश तो पिछले दो महीने से स्कूल ही नहीं आया  स्कूल के प्राचार्य ने बताया…. परीक्षा दिया ही नहीं था तो रिजल्ट कैसे आता!!!

विशाल तुरंत कोचिंग सेंटर गया ….वहां भी रमेश नाम का कोई भी लड़का कभी नहीं गया उसे पता चला….विशाल भटक ही रहा था की उसे अचानक रमेश दिख गया बाइक चलाते हुए उसके पीछे वही लड़की बैठी हुई थी….वो दोनों विशाल को देख कर भी अनदेखा कर गए..!विशाल का गुस्सा चरम पर था वो तुरंत उस लड़की के घर चला गया उसके माता पिता से सारी बातें बता कर लड़की को रमेश से दूर रखने की सख्त ताकीद दे आया…!

…. उस रात जब रमेश घर आया तो भड़का हुआ था और विशाल उसे देखते ही आग बबूला हो उठा…. दोनों में गरमागर्मी ज्यादा बढ़ गई ….आप उस लड़की के घर क्यों गए!!ये मेरा व्यक्तिगत मामला है आपको इससे कोई मतलब नहीं रखना चाहिए रमेश ने चिल्लाते हुए विशाल से कहा तो विशाल ने भी उसे धमकी दे दी जब तक मैं हूं तुम्हारी हर बात से पूरा मतलब रखूंगा …अगर तुम उस लड़की से मिलते रहोगे तो मैं फिर उसके घर जाऊंगा …तुमने फीस का पैसा इन्ही सबमें उड़ा दिया ..छल किया मेरे भरोसे के साथ ….ना तुम स्कूल गए ना कोचिंग ना स्कूल …. आकाश ठीक कहता था तुम वो पौधे नहीं हो जिसका पल्लवन मैं अपने स्नेह सिंचन से करने का भरोसा करता आया था तुम तो ऐसे वृक्ष बन चुके हो जिसकी जड़ें विषैली और गहरी हो चुकी हैं….मैं तुम्हें पुलिस के हवाले कर दूंगा  तुम वही रहने लायक हो….मालिनी पुलिस को फोन लगाओ … दुख हताशा और क्रोधातिरेक में विशाल आपा खो चुका था …!रमेश ने भागने की कोशिश की और विशाल ने उसे पकड़ने की इसी झुम्मा झटकी में रमेश ने पास ही रखा गमला उठाया और विशाल के सर पर पूरी ताकत से दे मारा…….!..और भाग गया….

मालिनी की बेतहाशा चीख से पड़ोसी आ गए थे उन्होंने तुरंत आकाश को बुला लिया था….आकाश के उसे लेकर हॉस्पिटल पहुंचने से पहले ही विशाल हमेशा के लिए उन्हें छोड़ कर जा चुका था।

….मालिनी और विशाल के भरोसे का पोस्टमार्टम हो गया….रमेश फरार है…..पुलिस हैरान है ….आस पड़ोस और समाज विशाल को ही गलत कह रहा है….सबका एक ही मत है विशाल को रमेश पर इतना भरोसा करना ही नहीं चाहिए था….जमाना खराब है क्या जरूरत है किसी की इस हद तक मदद करने की ….भुगतना पड़ा किसको…..!!

क्या आप भी ऐसा मानते हैं!!अगर मानते हैं तो ये भी बताइए ये जमाना खराब किसके कारण हो रहा है रमेश के कारण,रमेश के अज्ञात लापरवाह माता पिता के कारण या विशाल के कारण या आकाश जैसे तटस्थ सलाहकारों के कारण!!

#भरोसा 

लतिका श्रीवास्तव 

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