औकात – वीणा सिंह  : Moral stories in hindi

 आराधना! बहुत प्यारा सा नाम उतनी हीं प्यारी सी सूरत और सीरत! पर किस्मत!

पिता पीडब्ल्यूडी में किरानी थे! मां मिडिल स्कूल की शिक्षिका! मां के संस्कार और आदर्श बेटी में कूट कूट के भरे थे! छोटा भाई आयुष! बेहद प्यारा बच्चा था! भाई बहन में खूब प्यार था!

आराधना के रिश्ते की बात एक रिश्तेदार ने मेरिन इंजीनियर लड़के से चलाई!
लड़का को लड़की पसंद आ गई!
फिर परिवार वाले आए!
दकियानूसी विचार की घर की महिलाओं को देखकर आराधना के
माता पिता सोच में पड़ गए! कैसे रहेगी मेरी बेटी इनके साथ! थोड़ी देर की मुलाकात ने आराधना के माता पिता को गहरी चिंता में डाल दिया! लड़के से मिलकर जितने खुश थे! अब सारी खुशी काफुर हो गई थी!
आराधना को भी समर बहुत भाया था! पहली नजर में हीं उसके दिल को भा गया था! मोहक व्यक्तित्व हंसमुख चेहरा अच्छे विचार का समर अपने परिवार से बिल्कुल अलग था!
मध्यस्थ ने आराधना के माता पिता को समझाया कि लड़की सवा महीने के बाद समर के साथ चली जायेगी! कौन सा इनलोगों के साथ रहना है!
जोड़ियां उपर से बन के आती है ऐसा हमारे यहां कहा जाता है..
शादी संपन्न हो गई!
आराधना अपने ससुराल में ढलने की पूरी कोशिश कर रही थी! समर भी बहुत सहयोग कर रहा था! पर कोई न कोई गलती निकल जाती और आराधना के पूरे खानदान को गालियों से याद किया जाता! समर की मां बहुत बुरी तरह से पेश आती आराधना के साथ! भरसक प्रयास करती समर से दूर रहे वरना ज्यादा करीब आने पर समर परिवार से दूर हो जाएगा! रात के बारह बजे तक किसी न किसी बहाने उलझाए रहती! सुबह सूर्योदय से पूर्व नहा कर पूजा कर रसोई की सफाई फिर घर की सफाई! आराधना पूरी कोशिश कर रही थी!
सवा महीने बीतते हीं समर के जाने की तैयारी शुरू हुई पर आराधना भी जायेगी ये किसी ने नहीं सोचा!
समर बोला आराधना तुम अपने पापा मम्मी से कल मिल लो एक दिन रह के वापस आ जायेंगे फिर हमलोग मुंबई चले जायेंगे! घर में जैसे तूफान आ गया!
लड़ाई झगड़े तोहमत लांछन का लंबा दौर चला! पर समर आराधना को लेकर चला गया!
समर छह महीने शीप पर रहता और छः महीने आराधना के साथ अपने क्वाटर में! आराधना मां बनने वाली थी! समर शीप पर जाने से पहले मायके पहुंचा दिया! आराधना ने खूबसूरत सी गुड़िया को जन्म दिया!

समर मां बेटी को लेकर वापस आ गया! बेटी के जन्म से पहले आराधना ब्यूटिशियन का कोर्स शौकिया कर चुकी थी! उसे बहुत शौक था! ब्यूटीपार्लर खोलने का. कहती थीं बच्चे बड़े हो जायेंगे तब खोलूंगी!
बेटी का नाम समर समीरा रखा! खूब मजे मे जिंदगी गुजर रही थी! आराधना अपने भाग्य पर इठलाती थी!

चार साल बाद आराधना ने एक बेटे को जन्म दिया!इस बार मायके नही गई क्योंकि पिछली बार समीर के परिवार वाले बहुत कलह किए थे! आराधना के माता पिता को बहुत जलील किया था!
समीर ने कामवाली के मदद से सबकुछ संभाला!
देखते देखते समीरा पांच साल की हो चुकी थी और बेटा श्रवण डेढ़ साल का!
समीर छह महीने के लिए वापस आया था! एक दोस्त की शादी में मुम्बई से फ्लाइट से जाते समय प्लेन क्रैश में समीर की मृत्यु हो गई!
हंसता खेलता परिवार तबाह हो गया! आराधना पर तो जैसे बिजली गिरी!
बारहवीं समीर के घर से हीं होना था मजबूरन दोनो बच्चों के साथ आराधना को नरक में वापस आना पड़ा! पति के जाने का दुःख! और ससुराल की नरकीय यातना! बच्चों का मुंह देखकर किसी तरह सह रही थी! अब तो समीर भी नही था जिसके सीने पर सर रखकर रो लेती!
घर में समीर के मिलने वाले पैसे के बारे में चर्चा शुरू हो गई! नॉमिनी में आराधना का नाम होने के कारण आराधना पर दबाव बनाया जा रहा था! सिग्नेचर करने के लिए! ससुराल वाले अपनी असली #औकात #पर आ चुके थे…
आराधना सोच रही थी कि बेटा के जाने का गम नही है पैसे की चिंता है कैसे माता पिता हैं ये!

आराधना ने अपने को संभालने की कोशिश शुरू कर दी!
अपने समीर के बच्चों के लिए!
दो दिन तक कमरे में बंद रखा गया भूखे बच्चों के साथ! कि सिग्नेचर कर पैसे ससुर को दे दे! फिर बच्चों के साथ इस घर में गुलामी करे! क्योंकि समर की मृत्यु का कारण आराधना को हीं मानती थी सास!
आधी रात को घर के एक पुराने नौकर ने जिसे समीर बहुत मानते थे! दरवाजा खोल कर बच्चों के साथ एक बस में बिठा दिया! सौ रुपए के तीन पुराने नोट आराधना के हाथ में देकर रूंधे गले से कभी वापस नहीं आने का वादा कर चले गए!
मायके में माता पिता बेटी और बच्चों की दुर्दशा देख दहाड़ मार कर रोने लगे

आराधना मुम्बई में पति के शीप पर जाने के बाद सब अकेले संभालती थी इसलिए आत्मविश्वास भरपूर आ गया था! धीरे धीरे बीमा का पैसा और सारे फंड के पैसे आराधना को मिलने लगे!
आराधना ने समीरा के नाम से ब्यूटीपार्लर खोला! पैसे की कमी नही थी आधुनिक मशीनें! टैटू के लिए अलग काउंटर,!
आराधना के सुघड़ हाथों ने बहुत जल्द शोहरत हासिल कर ली! फिर एक कॉस्मेटिक्स शॉप और बुटीक भी खोला!
समय बीतने के साथ आराधना की ख्याति बढ़ती गई!
आराधना का आत्मविश्वास उसमे गजब की खूबसूरती ला दिया था!
समीरा पीएमसीएच से मेडिकल की पढ़ाई कर रही थी और श्रवण का चयन आरके मिशन देवघर में हो गया था!

आराधना की खूबसूरती देख कई लोगों ने सामने से तो कई लोगों ने किसी माध्यम से शादी का प्रस्ताव रखा पर आराधना ने इंकार कर दिया!

शहर की जानी पहचानी सी शख्शियत बन चुकी थी आराधना! आज उसके #औकात # के सामने ससुराल वाले बौने साबित हो रहे थे..मजबूर बेसहारा लड़कियां औरते आंख बंद कर चली जाती है आराधना के पास! किसी भी समय!
दुआओं से आराधना का आंचल भरा पड़ा था! चेहरे से टपकता तेज आंखों में ममता का सागर लहरें मारता हुआ! देवी सा पावन सौंदर्य! आराधना अपने मुकाम को हासिल कर चुकी थी. कहते हैं न हिम्मत मेहनत और कोशिश तीनो मिल के कामयाबी के खूबसूरत रंग में रंग जाती है…❤️✍️🙏veena. Singh

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