बेमेल (भाग 21) – श्वेत कुमार सिन्हा : Moral Stories in Hindi

पर श्यामा कहाँ इतनी आसानी से हार माननेवालो में से थी। उसने हिम्मत नहीं हारी और गांव के लोगों को भुखा मरने से बचाने के लिए एक-एक करके ही सही उन्हे इकट्ठा करने लगी। अपने कोख में गर्भ लिए और लोगों के तरह-तरह के ताने सुनकर भी उसने हैजे से पिड़ित मरीजों की देखभाल में … Read more

बेमेल (भाग 20) – श्वेत कुमार सिन्हा : Moral Stories in Hindi

मां-बाबूजी के आत्मा के दुखी होने की अगर तुम सबको इतनी ही फिक्र होती तो गांववालो को यूं भूखे नहीं मरने देते! जरा हवेली से बाहर निकलकर देखो! देखो कि कैसे पूरा गांव हैजे से त्राहिमाम कर रहा है! कैसे लोग दाने-दाने को मोहताज़ हैं और तुम सबने क्या किया?? अनाज को अपने गोदाम में … Read more

बेमेल (भाग 19) – श्वेत कुमार सिन्हा : Moral Stories in Hindi

जी मां जी, बस ले आयी! क्या री रमा, कैसी है तू? बहुत दिनों के बाद इधर आना हुआ तेरा! घर पर सब कैसे हैं?”- रमा की तरफ शर्बत बढ़ाते हुए सुलोचना ने उसका हालचाल पुछा। “तेरी मां कैसी है, सुलोचना? सुना है वो पेट से है! पर उसका बच्चा…??” – रमा ने कहा तो … Read more

बेमेल (भाग 18) – श्वेत कुमार सिन्हा : Moral Stories in Hindi

कुछ महीने और बीते। अब श्यामा का उभरा हुआ पेट दिखने लगा तो इसने जैसे आग में घी का काम किया। गांववालों को फिर से तरह-तरह की बाते बनाने का मौका जो मिल गया था। पर इसका चुनाव तो श्यामा ने खुद किया था। वह चाहती तो गर्भ में ही बच्चे को मार सकती थी। … Read more

बेमेल (भाग 17) – श्वेत कुमार सिन्हा : Moral Stories in Hindi

श्यामा जो अबतक बिल्कुल चुप थी, ननद की बातों ने उसके शरीर में मानो आग लगा डाला। “क्यूं जाउंगी इस गांव से?? हाँ!! होते कौन हो तुमसब मुझे इस गांव से निकालने वाले! कहीं के जमींदार हो? जज-कलक्टर हो? हो क्या तुम!! मैं भी देखती हूँ कौन निकालता है मुझे इस गांव से! कान खोलकर … Read more

बेमेल (भाग 16) – श्वेत कुमार सिन्हा : Moral Stories in Hindi

कदम फिर आगे बढ़े। अपने कमरे में हलचल पाकर अभिलाषा ने उधर झांका और वहीं जड़ होकर रह गई। हाथो को अब इतनी शक्ति नहीं बची थी कि थैले का बोझ उठा सके और वे वहीं गिरकर बिखर गए। आंसू खुद ही सैलाब बनकर उमड़ने लगे थे। ऐसे घिनौने दृश्य की कल्पना उसने अपने सपने … Read more

बेमेल (भाग 15) – श्वेत कुमार सिन्हा : Moral Stories in Hindi

अब रहने दे भी दे बेटा! मुझे नहीं भाते, ये चापाकल के चोंचले! एक तो इतनी दूर तक आओ और ऊपर से चापाकल चलाओ! इतनी मेहनत कौन करता है भला?” – विजेंद्र की बात को सिरे से नकारती हुई विमला काकी ने कहा। “पर काकी, तालाब का गंदा पानी पीना जानलेवा भी हो सकता है।” … Read more

बेमेल (भाग 14) – श्वेत कुमार सिन्हा : Moral Stories in Hindi

.“तू निफिक़्र होकर जा मां! मैं सब देख लुंगी।” – अभिलाषा ने आश्वस्त किया और श्यामा दरवाजे पर खड़े बच्चे संग घर से बाहर निकल गयी। घर के भीतर कमरे में लेटा मनोहर खुद में ही बड़बड़ा रहा था। आवाज सुन विजेंद्र उसके कमरे में दाखिल हुआ। “यूं अकेले में क्या बड़बड़ा रहे हैं, बाबूजी?”- … Read more

बेमेल (भाग 13) – श्वेत कुमार सिन्हा : Moral Stories in Hindi

रसोई से आज स्वादिष्ट पकवान की खुशबू आ रही थी। बड़े चाव से अभिलाषा ने खुद अपने हाथों से भांति-भांति के पकवान बनाए थे। मनोहर और विजेंद्र खाने के लिए बैठे तो थाली में परोसे व्यंजन देख मुंह में पानी भर आया। दोनों ने फिर छककर उनका लुत्फ उठाया। “मां, आपके हाथ में तो जादू … Read more

बेमेल (भाग 12) – श्वेत कुमार सिन्हा : Moral Stories in Hindi

…“अब तुम यूं बातें न बनाओ! चलो, जल्दी से मुझे ये साड़ी पहनकर दिखाओ!”- विनयधर ने बड़े प्यार से कहा तो सुलोचना उसकी बातो को टाल न सकी। “ठीक है, दिखाती हूँ! पर पहले आप कमरे से बाहर जाओ!”- पलंग पर रखी साड़ी को उठाकर हाथ में लेते हुए सुलोचना ने कहा। “क्यूं?? पति हूँ … Read more

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