ये कैसा प्यार – संगीता अग्रवाल

” कितनी खूबसूरत है वो लगता है भगवान ने बड़ी फुर्सत से बनाया है उसे !” राजीव एक तरफ देखते हुए अपने दोस्त नितीश से बोला। ” कौन है वो जिसने हमारे दोस्त के दिल पर कब्जा कर लिया है ?” नितीश मुस्कुराता हुआ बोला। ” यार वो सामने जो खिड़की खुली दिखाई दे रही … Read more

विरोध बना पुष्पहार – लतिका श्रीवास्तव

….मीटिंग बहुत लंबी और उबाऊ होती जा रही थी…इतने शानदार होटल में सारी व्यवस्था की गई है ….अधिकांश तो पल पल में परोसे जा रहे शीतल और गरम पेय पदार्थों का आनंद उठाने में तल्लीन थे ….सुस्वादु भोजन का काल्पनिक स्वाद रह रह कर सभी को मीटिंग के शीघ्र खत्म होने का शिद्दत से एहसास … Read more

अब इससे ज्यादा करने की सामर्थ नहीं है मुझमें – किरन विश्वकर्मा

आभा घर के काम जल्दी-जल्दी निपटा रही थी……आज कपड़े धोने की मशीन भी लगाई थी तो उसमें ही काफी समय लग गया था और स्कूल से बच्चों के आने का समय हो गया था और उसे बच्चों के खाने के लिए खाना भी बनाना था…. कि तभी सासू मां का फोन आया और कुछ सामान … Read more

संस्कार का बीजारोपण….. – कामिनी केतन उपाध्याय

दूसरे दिन जतिन ने गरमागरम चाय लिए किसनलाल जी को उठाया, किसनलाल जी ने चाय पीते हुए कहा,” बेटा, एक बात कहना चाहता हूॅं घर की लक्ष्मी से इस तरह की बातें करना अच्छा नहीं है। तुम दोनों तो इस घर के पहिए तो दोनों एक दूसरे का साथ नहीं दोगे तो कैसे चलेगा ? … Read more

“नई सोच” – कविता भड़ाना

अरे रोहन बेटा, आज भी तुम ही  सब्जी ले रहे हो? “जी आंटी, मम्मी को तीन दिन से बुखार और कमजोरी भी है बहुत, तो में ही सब्जी लेने आया हूं। पर बेटा तुम स्कूल भी नही जा रहे हो दो दिन से, पियूष (पड़ोसन का बेटा) ने बताया था मुझे…. जी दरअसल पापा कुछ … Read more

नई संस्कृति- डेटिंग – कमलेश राणा

क्या बात है विनीत ,,ओये होये कहाँ जा रहा है ऐसे सज संवर के,, परफ्यूम भी बड़ा ही महक रहा है। अरे कहीं नहीं आंटी एक दोस्त से मिलने जा रहा हूँ , मुस्कुराते हुए विनीत बोला। हमें तो भई यह स्पेशल सजधज देखकर कुछ अलग सी फीलिंग आ रही है। आंटी आप तो अब … Read more

नाम लेने से इज्ज़त नहीं घटती…!  – मीनू झा

क्या बताऊं विमला..तू तो मेरा स्वभाव जानती है ना मैं शुरू से बहुत मीन मेख निकालने वाली नहीं रही हूं…जो खाना है खाओ जो पहनना हो पहनो जैसे रहना हो रहो जहां जाना आना है जाओ आओ…तुम तो देखती हो ना…बड़ी बहू के समय से ही हां सविता भाभी…बड़ी किस्मत वाली है तुम्हारी बहुएं सच … Read more

सही राह – लतिका श्रीवास्तव

वृद्धाश्रम के दरवाजे पर ही पिता रमानाथ जी को उतार कर राजन चलने लगा तो वृद्ध अशक्त पिता ने कोई शिकायत नहीं की बस आंसू भरी आंखों और रुंधे गले से हमेशा की तरह सदा खुश रहो बेटा का आशीष जरूर दिया जिसे सुनने के लिए बेटा राजन रुका ही नहीं….तुरंत कार स्टार्ट करके घर … Read more

शहर की लड़की – संगीता अग्रवाल

“क्या बात है रोशन की मां क्या सोच रही है यूं अकेले बैठे?” हरिहरन ने अपनी पत्नी रमिया से पूछा। ” रोशन के बापू आप तो हमारा बेटा पढ़ लिखकर अफसर बन गया है अब जल्द ही उसका ब्याह करना पड़ेगा !” रमिया बोली। ” हां ये तो तू ठीक कहे है पर छोरा अब … Read more

 हक़ – विनय कुमार मिश्रा

मैंने ताई के घर की तरफ देखा। ताई नहीं थी।मैंने चैन की सांस ली। जब कभी मुझे बाहर निकलते देखती हैं।उन्हें कुछ ना कुछ बाजार से मंगाना ही होता है।कभी सब्जी, कभी दवा तो कभी दूध।तंग आ गया हूँ उनसे।जी तो चाहता है कभी सुना दूं कि खुद के बेटे को बाहर भेज दिया और … Read more

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