क्योंकि बात थी विश्वास की – नेकराम Moral Stories in Hindi

वैसे तो सभी जानते हैं मैं नाइट का एक सुरक्षा कर्मी हूं दिन में सोना और रात को जागना कुछ महीने पहले अखबार में एक विज्ञापन पढ़ा था उसमें लिखा था नए लेखक चाहिए दिल्ली का एड्रेस था और मैं भी दिल्ली में ही रहता हूं तो पता ढूंढने में मुझे अधिक समय नहीं लगेगा … Read more

नेकराम सिक्योरिटी गार्ड की आत्मकथा – नेकराम Moral Stories in Hindi

सन 2004 को अचानक दिल्ली सरकार ने हमारे कारखाने को ध्वनि प्रदूषण के नाम पर सील कर दिया कारखाने की मशीनों को उजड़ता देख पिता को फिर से एक बार सदमा बैठ गया हमारे घर की आर्थिक स्थिति दिन पर दिन बिगड़ने लगी 6 महीने घर में खाली बैठने के बाद घर की जमा पूंजी … Read more

कर भला सो हो भला – नेकराम Moral Stories in Hindi

रवि की आज छोटी बहन शालू की शादी है शादी की सब तैयारी हो चुकी थी रात 9:00 बजे बारात आएगी अभी दोपहर के 12:00 बजे थे बहन की शादी के लिए जो साड़ी खरीदी थी जब खोलकर देखी तो एक जगह से चूहे ने कुतर रखी थी सब मेहमान नाराज हो गए कि तुम्हें … Read more

पापा खो गए – नेकराम Moral Stories in Hindi

मां ,,,, मैं दिन पर दिन सूखता ही जा रहा हूं खासी रुकने का नाम नहीं ले रही मां मुझे अस्पताल ले गई डॉक्टर ने मुझे टीवी की शिकायत बताई डॉक्टर साहब ने बताया ,,,,,, हमारे पास टीवी की दवाइयां उपलब्ध नहीं है ,,, आप अपने बेटे का प्राइवेट इलाज करवा लीजिए ,मां, उदास चेहरा … Read more

फेसबुक पर फर्जी नाम – नेकराम Moral Stories in Hindi

विनोद महीने भर से शायरी व कविताएं फेसबुक पर अपलोड कर रहा था किंतु दो चार लाइक से ज्यादा उसे मिल नहीं रहे थे सुबह जब वह ऑफिस के लिए निकला तो रास्ते में उसे एक साइकिल पर सिम बेंचता आदमी दिखा साइकिल पर एक पेटी रखी थी जिसमें से आवाज आ रही थी नई … Read more

फूल मुसकराए – देवेंद्र कुमार Moral Stories in Hindi

वे दोनों फूलों के पौधे बेचते थे। एक का नाम था रामू और दूसरा था फूलसिंह। दोनों ठेलों में रखकर मोहल्ले में चक्कर लगाते थे। कभी-कभी तो वे साथ-साथ बस्ती में आ पहुँचते थे। तब दोनों में कहासुनी होने लगती थी। कहासुनी होने का कारण था-दोनों के पौधों की बिक्री का कम-ज्यादा होना। वैसे फूलसिंह … Read more

बाबा का स्कूल – देवेंद्र कुमार Moral Stories in Hindi

निशि अपनी प्रिय पुस्तक पढ़ रही थी,तभी एक चीख सुनाई दी।वह भाग कर दूसरे कमरे में गई तो देखा-काम वाली प्रीतो फर्श से उठने की कोशिश कर रही है और आस पास किताबें बिखरी हुई हैं। निशि ने सहारा देकर उठाया और पूछा-‘ क्या हुआ,कैसे गिर गई। चोट तो नहीं लगी?’ प्रीतो ने जो कुछ … Read more

भाई– बहन – देवेंद्र कुमार Moral Stories in Hindi

आखिर क्या हुआ था रचना को? बाज़ार में इस बारे में कई लोगों ने पूछा पर रामदास ने हाथ हिला दिया और ठेले को तेजी से धकेलता हुआ आगे चला गया। ठेले पर उसकी बेटी रचना बैठी थी। उसके माथे से खून निकल रहा था। रामदास बेटी को जल्दी से जल्दी डाक्टर के पास पहुँचाना … Read more

मिट्टी में क्या – देवेंद्र कुमार Moral Stories in Hindi

जीतू कबाड़ी ठेले पर कबाड़ ले जा रहा था। टूटे हुए गमले, पुराना फर्नीचर और वैसा ही दूसरा सामान। तभी एक ठेला पास आकर रुक गया। ठेले पर पौधे और गमले रखे थे। ठेले वाले का नाम शीतल था। उसने जीतू से कहा-‘ मुझे टूटे गमले दोगे?’ जीतू ने हैरान स्वर में कहा—‘ ऐसा आदमी … Read more

मेरी बन्नो – देवेंद्र कुमार Moral Stories in Hindi

उसका नाम था रामदास, लेकिन अब लोग उसे सिर्फ ‘एक बूढ़ा आदमी’, ‘बुढ्ढा’ जैसे नामों से पुकारते थे। वह दुनिया में अकेला था। एक दुर्घटना में पत्नी और बच्चों की मृत्यु हो गई थी। उनके दुख में पागल की तरह इधर-उधर घूमता रहता था। धीरे-धीरे उसके घर का सामान गायब होने लगा। फिर एक दिन … Read more

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