सत्संग का भोजन- नेकराम Moral Stories in Hindi

उन दिनों दिल्ली की एक पुनर्वास कॉलोनी गोकुलपुरी में हमारा एक छोटा सा घर था उस समय मेरी उम्र 5 बर्ष थी
रविवार का दिन था मां ने नई साड़ी पहनते हुए पिताजी से कहा– पड़ोस में सत्संग हो रहा है नेकराम को मैं साथ लिए जा रही हूं खाना बना दिया है जब भूख लगे तो खा लेना
मां मेरी उंगली थामे जल्दी-जल्दी सत्संग की ओर चली जा रही थी
कुछ दूर चलने के बाद मां ने देखा सड़क के बीचो-बीच काफी बड़ा टेंट लगा हुआ है
सिंहासन पर एक पीले वस्त्र पहने हुए बाबा जी बैठे हुए है
सड़क पर बिछी सामने दरी पर अनगिनत स्त्री पुरुष बच्चों सहित बैठे हुए है
मां ने एक सुरक्षित जगह देखकर मुझे अपने साथ बिठा लिया
2 घंटे तक मां सत्संग सुनती रही
पास में बैठी महिला ने मां से कहा भंडारा शुरू हो गया है सत्संग बाद में सुन लेंगे
धीरे-धीरे पंडाल खाली होने लगा
मां ने मुझसे कहा चल नेकराम मैं तुझे खाना खिलाती हूं पंडाल के बाहर की तरफ इशारा करते हुए कहा
मैंने मां से कहा मैं पूरा सत्संग सुनूंगा मुझे भूख नहीं है तुम जाओ
मां ने कहा ठीक है मैं तेरे लिए यही ले आऊंगी
कहीं जाना नहीं यहीं बैठे रहना
पंडाल पूरा खाली हो चुका था
बाबा जी अकेले प्रवचन सुना रहे थे और मैं अकेला प्रवचन सुन रहा था
बाबा जी के निकट थाली में रखा हुआ एक दीपक जल रहा था
मैं कभी दीपक देखता कभी महाराज जी के चेहरे को
बाबा जी ने एक पीले रंग का गमछा अपने गले में डाल रखा था
तभी एक तेज हवा का झोंका आया
बाबा जी का गमछा दीपक से जा टकराया गमछे ने तुरंत आग पकड़ ली
बाबा जी का ध्यान प्रवचन सुनाने में था
पंडाल में कोई ना था सब पंडाल के बाहर भंडारे में खाना खाने में जुटे हुए थे
मैं फुर्ती से बाबा जी की तरफ भागा फूंक मारकर दीपक को बुझां दिया बाबा जी की नजर जैसे ही गमछे पर पड़ी
वह चिल्लाने लगे आग लग गई आग बचाओ बचाओ
मुझे बचाओ मुझे बचाओ
बाबा जी के चिल्लाने की आवाज सुनकर पंडाल के बाहर जो सत्संगी खीर पूरी और हलवे का मजा ले रहे थे सब किरकिरा हो गया उनका
चारों तरफ शोर मच गया बाबा जी जल गए
कोई कहने लगा बाल्टी में भरकर पानी लाओ
कोई कहने लगा आग बुझाने की गाड़ी बुलाओ
तब तक दोनों हाथों से गमछा में लगी आग को मैंने मसल दिया
आग बुझ गई
बाबा जी एकदम खड़े हुए उनके दिल की धड़कनें तेज हो चुकी थी
उन्हें लगा जैसे साक्षात यमराज उन्हें आज लेने के लिए आ गए हो
बाबा जी ने मेरी तरफ देखते हुए कहा
यह बालक किसका है
तभी मां भीड़ में से निकल कर बाबा जी के सामने आई
मां ने बाबा जी को प्रणाम करते हुए कहा यह मेरा बेटा है इसका नाम नेकराम है यही पास में ही हमारा घर है
खड़े हुए सभी लोगों ने और बाबा जी ने मेरे लिए
,, जोरदार तालियां बजाई ,,
नेकराम सिक्योरिटी गार्ड स्वरचित दिल्ली से

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