हमारे देश के सैनिक – नेकराम Moral Stories in Hindi

कौन बनेगा करोड़पति से पांच करोड रुपए जीतने वाली चंद्रिका वर्मा जिसकी उम्र बीस वर्ष है शहर के सिग्नेचर अपार्टमेंट में पचास लाख रुपए का फ्लैट खरीदा है सत्तर लाख की नई गाड़ी में अपने मां बापू दो छोटे भाइयों के साथ नये फ्लैट की तरफ दौड़ी जा रही है उनकी गाड़ी आगे एक बड़े से लाल बत्ती के चौराहे पर गाड़ी रूक गई
पैदल ज़ेबरा क्रॉसिंग पर कुछ लोग सड़क पार कर रहे थे चंद्रिका ने ड्राइवर से कहा लाल बत्ती हो गई तो क्या हुआ गाड़ी नहीं रुकनी चाहिए चालान कटेगा मैं भर दूंगी तुम गाड़ी चलाओ
ड्राइवर बेबस हो गया उसने जैसे ही गाड़ी स्टार्ट करके आगे बढ़ाई सिक्योरिटी की वर्दी पहने हुए एक व्यक्ति जिसके हाथ में एक टिफिन था अपने नजदीक गाड़ी आते हुए देख घबरा गया सिक्योरिटी गार्ड कुछ समझता उससे पहले एक जोरदार टक्कर लगी सिक्योरिटी गार्ड का टिफिन सड़क पर गिर गया उसके दाल चावल सड़क पर बिखर गए
उस सिक्योरिटी गार्ड का नाम नेकराम है उसकी वेशभूषा और उसका चेहरा बता रहा था कि उसकी उम्र 40 के पार हो चुकी है पास में एक कच्ची बस्ती है वहां अपने तीन बच्चे और अपनी पत्नी सोनिया के साथ कई वर्षों से उस कच्ची बस्ती में रह रहा है
नेकराम नाइट ड्यूटी के लिए घर से थोड़ा बहुत खाना टिफिन में बांध कर ले आता था सड़क पर दाल चावल बिखरते देख नेकराम का मन उदास हो गया नेकराम सड़क पर पड़े हुए टिफिन को उठाने के लिए जैसे ही सड़क पर झुका चंद्रिका ने ड्राइवर को आदेश दिया गाड़ी चलाओ ड्राइवर ने समझाया मैम साहब सड़क पर खाना बिखरा हुआ है
गाड़ी कैसे चलाऊंगा उस गरीब को कम से कम अपना टिफिन तो उठा लेने दो चंद्रिका गाड़ी से बाहर निकली और ड्राइवर से कहा तुम पीछे बैठो चंद्रिका गाड़ी चलाने के लिए आगे बैठ गई उस गरीब नेकराम के टिफिन के ऊपर से गाड़ी चला कर आगे बढ़ गई
नेकराम ने देखा उसका टिफिन सड़क पर चकनाचूर हो चुका है
नेकराम निराश होकर ड्यूटी के लिए अपार्टमेंट पहुंचा बाकी गार्ड आ चुके थे नेकराम को आते हुए देखा तो कहा तुम इतना लेट कैसे हो गए नेकराम ने उस घटना का कोई जिक्र ना किया
हाथ में डंडा और सर पर टोपी पहनकर गेट पर खड़ा हो गया
आने जाने वाली गाड़ियों में बैठे साहब लोगों को सैल्यूट करने के लिए नेकराम को रखा गया था तभी नेकराम के पास एक सूचना आई इस अपार्टमेंट में एक नया फ्लैट किसी ने खरीदा है फ्लैट की मालिक का नाम चंद्रिका है पहचान के लिए गाड़ी का नंबर भी बता दिया वह सभी लोग मंदिर में माथा टेकने के लिए गए हुए हैं आते ही होंगे उन्हें अच्छे से सैल्यूट मारना उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी तुम्हारी है रात को पहरा कड़ा रखना
तभी गेट पर होर्न बजा एक गाड़ी अपार्टमेंट के अंदर प्रवेश करने लगी नेकराम ने गाड़ी नंबर पहचान लिया तुरंत अच्छे से खड़े होकर सैल्यूट किया गौर से चेहरा देखने पर पता चला यह तो वही मैम साहब है जिसने मेरे खाने का टिफिन चौराहे वाली सड़क पर तोड़ दिया था ड्राइवर ने गाड़ी में ब्रेक लगाते हुए कहा, मैम साहब यह तो वही गार्ड है
जिसका टिफिन सड़क पर गिर गया था चंद्रिका ने ड्राइवर को डांटते हुए कहा सड़क पर पैदल चलेंगे तो ऐसे ही तो हाल होगा मुझे देखो पढ़ी लिखी हूं पांच करोड रुपए जीत कर लाई हूं इन गरीब और जाहिल लोगो के सामने गाड़ी रोकने की जरूरत नहीं है गाड़ी सीधी फ्लैट की तरफ ले चलो चंद्रिका की गाड़ी आगे निकल चुकी थी यह सिलसिला छः महीने तक चलता रहा
रात के करीब ढाई बज चुके थे नेकराम ने मेंन गेट बंद किया
एक हाथ में डंडा दूसरे हाथ में टॉर्च लिए अपार्टमेंट की गलियों पर सीटी बजाते हुए राउंड मारने लगा सर्दी की वजह से चारों तरफ धुंध फैली हुई थी नेकराम को एक चीख सुनाई दी जैसे कोई लड़की सहायता के लिए किसी को पुकार रही हो आवाज दसवीं मंजिल से आ रही थी उसी पल दसवीं मंजिल से एक घड़ी नेकराम के सर के ऊपर आकर गिरी
नेकराम ने उस घड़ी को तुरंत पहचान लिया यह घड़ी तो चंद्रिका मैम साहब की है जब मैं मैम साहब को सैल्यूट मारता था मैम साहब गाड़ी चलाते समय गेट पर अपनी गाड़ी धीमी करती थी उसकी हाथ की कलाई में कई बार मैंने यह घड़ी देखी है नेकराम तुरंत लिफ्ट की तरफ भागा मगर लिफ्ट बंद थी
नेकराम को दसवीं मंजिल पर चढ़ने के लिए कोई रास्ता समझ ना आया वह बिल्डिंग के पीछे भागा वहा लगे पाइप पर चढ़ने की कोशिश करने लगा दो मंजिला तक तो नेकराम चढ़ गया लेकिन आठ मंजिल अभी भी बाकी थी नेकराम ने तुरंत मोबाइल से पुलिस और अपने अपार्टमेंट के सभी गार्डो को सूचना दे दी
नेकराम का मन बार-बार यही कह रहा था अबे तू पागल हो गया है थोड़ी सी तुझे पगार मिलती है शरीर में इतनी जान भी नहीं है उम्र भी चालिस के पार हो चुकी है और यह मैम साहब भी घमंडी है इसके लिए अपनी जान जोखिम में डालने की क्या जरूरत है इन्हीं सब बातों को सोचते सोचते नेकराम आठ मंजिल के ऊपर तक आ चुका था
दीवारों से टकराते हुए जिस्म में खरोंचे आ चुकी थी दसवीं मंजिल पर पहुंचने के लिए कुछ मीटर का फासला रह गया था दसवीं मंजिल की खिड़की दिखाई दी अंदर जाने का रास्ता नजर आते ही नेकराम तुरंत फ्लैट के अंदर पहुंचा
चार नौजवान जिन्होंने खूब शराब पी रखी थी मुंह से बहुत बुरी बदबू आ रही थी दो लोगों ने चंद्रिका के हाथ पकड़ रखे थे सर के पीछे बैठे तीसरे नौजवान ने चंद्रिका का मुंह कसके दबोच रखा था चौथा लड़का शराब की बोतल हाथ में पकड़े मुंह से सिगरेट का धुआं उड़ा रहा था गार्ड को कमरे के भीतर आते देख पहले तो वह चारों घबरा गए फिर बाद में आपस में कहने लगे यह बूढ़ा गार्ड हमारा क्या बिगाड़ सकता है इसे उठाकर इसी बिल्डिंग से नीचे फेंक दो
वह तीनों चंद्रिका को छोड़कर नेकराम की तरफ लपके
नेकराम ने कमर में बंधी हुई टॉर्च निकाल कर उन चारों में से एक को निशाना बनाकर भरपुर ताकत से फेंक कर मारी
टॉर्च आंख में लगते ही एक को दिखना बंद हो गया नेकराम ने पलक झपकते ही शराब की पड़ी बोतल का पीछे वाला हिस्सा तोड़कर दूसरे के पेट की तरफ जोर से फेंक कर मारा तभी पुलिस के छः जवान कमरे के भीतर आते हुए दिखाई दिए उन चारों की तरफ रिवाल्वर तानते हुए बोले
मुखर्जी नगर थाने के एसीपी साहब हैं हम ऐसी घिनौनी हरकत करने के लिए पहले तो तुम चारों को पुलिस थाने ले जाकर पूरी रात तुम्हारा बैंड बजाएंगे उसके बाद सोचेंगे तुम्हारे साथ क्या सलूक किया जाए पुलिस उन चारों को पकड़ के ले गई
नेकराम गार्ड ने जल्दी से अपनी जैकेट उतार कर चंद्रिका को पहनने के लिए दी चंद्रिका ने जैकेट पहनकर नेकराम गार्ड को बताया पैसों के घमंड में मैं सबको नीचा दिखाने लगी लड़कों से दोस्ती कर ली उनके साथ शराब पीनी भी शुरू कर दी नए साल की पार्टी भी मैंने ही इन चारों लड़कों को दी थी शराब मंगवाई थी रात भर जश्न मनाएंगे नए साल का। ,,ऐसा मैंने कहा था
लेकिन इन चारों लड़कों की नियत खराब हो गई यह मेरे साथ जबरदस्ती करने लगे कहने लगे नया जमाना है आजकल तो ऐसा सब कुछ चलता है मैं उनके इरादे समझ चुकी थी उन्होंने जैसे ही मुझे पकड़ा मैं चीखने लगी तो उन्होंने मेरा मुंह बंद कर दिया
हाथापाई में घड़ी कलाई से निकलकर खिड़की से नीचे गिर गई
नेकराम ने कहा अगर यह घड़ी ना गिरती मेरी खोपड़ी पर तो मुझे कैसे पता चलता कि तुम यहां मुसीबत में हो
चंद्रिका ने नेकराम गार्ड की तरफ देखते हुए कहा आप तो मेरे पिता समान हैं आपने मेरे लिए अपनी जान खतरे में डालकर
मेरी आबरू बचाई
मैं देशवासियों से कहना चाहती हूं जिन्हें हम सड़क का चौकीदार कहते हैं उनसे ठीक से बात भी नहीं करते उन्हें देखकर मुंह बना लेते हैं कठिन परिस्थितियों में गार्ड बनकर वही लोग हमारे काम आते हैं हर गार्ड का सम्मान करना जरूरी है ना जाने कौन सा गार्ड कब कहां और किसके किस हालत में किस समय काम आ जाए
मैं अब समझ चुकी हूं जिन्हें मामूली इंसान समझ रही थी
जिस तरह हम फौजियों का सम्मान करते हैं
उसी तरह यह भी है हमारे
देश की सैनिक
,
नेकराम सिक्योरिटी गार्ड मुखर्जी नगर दिल्ली से

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