पद चिन्ह – कंचन श्रीवासत्व

  पुरुषों की बनाई इस दुनिया में स्त्रियों का अस्तित्व उन्हीं से है जितना सच ये है ।उतना ही सच ये भी है कि बदलते वक्त के साथ  कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं ,इसकी वजह सिर्फ ऊंची महात्वाकांक्षा है। खैर कोई बात नहीं ये कोई मुद्दा नहीं है सब ठीक है पर जहां … Read more

हिदायतों के बाद भी — मुकुन्द लाल

प्रवीण के दफ्तर जाने के बाद रजनी अपनी बच्ची रिंकी को गोद में लेकर घर में बैठी हुई थी। अचानक गेट को खटखटाने की आवाज आई।  ” कौन?”  फिर भी प्रत्युत्तर में कोई आवाज नहीं आई।  उसके जेहन में अपने पति द्वारा दी गई चेतावनी युक्त बातें उभरने लगी।  शहर में बढ़ते अपराधों, लूट-पाट और … Read more

अकेले – पूनम वर्मा

शैली को इस शहर में आए कुछ ही दिन हुए थे । उसकी दो जुड़वाँ बेटियाँ थीं । एक दिन वह दोनों बेटियों को लेकर कॉलोनी के पार्क में गई । बच्चियाँ खेलने में मशगूल हो गईं और शैली किनारे बेंच पर बैठ गई । तभी एक अधेड़ महिला उसके पास आकर बैठीं और बातचीत … Read more

सबक – तृप्ति उप्रेती

 नमित ने आज फिर गुस्से में खाना नहीं खाया। यह लगभग रोज की बात हो गई थी। किशोर बेटे के ऐसे व्यवहार से मोहिता आहत हो जाती। वह और रमन उसे कई बार समझा चुके थे पर नमित का स्वभाव दिनों दिन बदलता जा रहा था। नमित मोहिता और रमन का इकलौता बेटा था। रमन … Read more

खुशियों की चाभी – अनुपमा

अक्सर देखा जाता है की हमारी खुशी हमसे होती ही नहीं है ,दूर दूर तक हमारी ही खुशी का हमसे कोई लेना देना नही है । हमारी खुशी दूसरों के कर्म पर निर्भर करती है , खासतौर से महिलाओं के मामले मैं तो ये सौ प्रतिशत सही ही है  आज पति / बच्चों के मन … Read more

लम्हें – कंचन श्रीवास्तव

****   कौन कहता है अतीत की यादें  सुकून देते हैं वो तो वर्तमान के दर्द को और बढ़ा देते हैं जो दर्द से भरा हो।अब हमें ही देख लो किडनी जैसे असाध्य रोग के जूझ रहा हूं बिस्तर पर लेटे लेटे उब जाता हूं तो कभी कभार अतीत के पन्ने खोलता हूं ,पर पाता … Read more

पति पत्नी और लॉकडाउन..! – विनोद सिन्हा “सुदामा”

#वैरी_पिया बड़ा बेदर्दी……. माँ के घर जैसे ही पहुँची हॉल में लगे टीवी पर ऐश्वर्या पर फिल्माया गाना चल रहा था.. हालांकि काफी खूबसूरत गाना है पर जानें क्यूँ सुनकर मन में कोफ्त से भर उठा  था..उस रोज माँ टीवी देख रही थी… मैंने झुककर प्रणाम किया… पैरों पर मेरे हाँथों की छुअन महसूस हुई … Read more

सुबह की पहली किरण – नीरजा कृष्णा

बेला रातभर तेज बुखार में तपती रही थी। पूरा घर परेशान था , डाक्टर की बताई दवाएं किसी प्रकार दी गई थी पर बुखार कहाँ मान रहा था। इसी तरह पूरी रात बीत गई थी, उसने एक मिनट के लिए भी आँखें नहीं खोली थी। सुबह वो कसमसाई थी…शायद बुखार की तीव्रता कुछ कम हुई … Read more

~~वफादारी~~अनुज सारस्वत

भौंऽऽ भौंऽऽ देख कैसे इतराती हुई जा रही मालिक के साथ, ज्यादा ऐशो आराम में पल रही ,लेकिन कुछ भी करले रहेगी तो कुतिया ही ,अरे राॅकी देख तो नखरे इसके इंसान बनने की कोशिश कर रही,हाहाहा भौंऽऽभौंऽऽ“ आलीशान घर में रहने वाली मादा पवेलियन डाॅगी को देखते हुए ,गली के कुत्ते कालू ने अपने … Read more

वो लम्हें जो याद आती रहेंगी: – मुकेश कुमार (अनजान लेखक)

हर किसी के मन में कुछ लम्हें खाश जगह बना कर रखती हैं फिर चाहे वह अच्छी हो या बुरी। ख़ुशी वाली हो या तकलीफ से भरी। ऐसी बातें अक्सर तब याद आती है जब आप कुछ उसी तरह की चीज़ें दोबारा होते हुए देखते हैं। मैं बताता चलूँ की ये कोई तकलीफ वाली बात … Read more

error: Content is Copyright protected !!