खुशियों की चाभी – अनुपमा

अक्सर देखा जाता है की हमारी खुशी हमसे होती ही नहीं है ,दूर दूर तक हमारी ही खुशी का हमसे कोई लेना देना नही है ।

हमारी खुशी दूसरों के कर्म पर निर्भर करती है , खासतौर से महिलाओं के मामले मैं तो ये सौ प्रतिशत सही ही है 

आज पति / बच्चों के मन का खाना बनाया तो खुश हो गए , आज बच्चों के टेस्ट मैं अच्छे नंबर आए तो खुश हो गए , बच्चों ने टाइम से सारा होमवर्क निपटा लिया खुश हो गए , मेहमान आए उन्होंने खाने की तारीफ कर दी खुश हो गए , पति आज घुमाने ले गए तो खुश हो गए , कोई नई चीज घर मैं आ गई तो खुश हो गए , सास ससुर ने नुक्ता चीनी नही की आज काम मैं तो भी खुश हो गए , बीमारी मैं पति ने पूछ लिया कैसे हो तो भी खुश हो गए । है ना ? 

मेरा यहां ये कहने का तात्पर्य बिलकुल भी भी नही है की ये चीजे खुशी देने वाली नही है या इन बातों पर खुश नहीं होना चाहिए ।

मैं तो सिर्फ इतना कहना चाहती हू की आपको नही लगता की आप तभी खुश होते हो जब कोई आपसे खुश होता है ?

सबकी खुशियों की जिम्मेदारी अपने हाथ मैं उठा लेती है महिलाएं और खुद की खुशी भी उसमे ही ढूंढ लेती है चलो इतने तक भी  ठीक है पर जब बच्चे फेल हो जाए ,पति को खाना पसंद न आए , मेहमान आने पर बीमार पड़ जाए या सास ससुर की दवाई भूल जाए तो खुद को इतना कोसती है की जाने कोनसा पाप हो गया हो , है ना ?



आप सभी से एक सवाल है आपने सभी की खुशियों की जिम्मेदारी ली हुई हैं और खुद की खुशियां ? दूसरे खुश तो आप खुश और वो नाखुश तो आप चले गए आत्मग्लानि की यात्रा पर 👣

पति अगर आप बीमार है और नही पूछता तो सारा दिन बीमारी मैं भी आप रो कर या कुढ़ कर बीता देते हो , है ना ?

आखिर क्यों आप हम सब इमोशनल इतना निर्भर होते है दूसरों पर ? 

आप सबसे पहले खुद को स्वीकार तो करो सखियों ,खुद से प्यार करो ,अपनी खुशियों की चाभी किसी को क्यों दे देते हो ।

समय को व्यवस्थित करना औरतों से अच्छा कोई नही कर सकता है तो उस समय मैं से खुद के लिए थोड़ा समय चुरा लिया करो ।

और वो किया करो जिसे करके आप को खुशी मिलती हो , छोटी छोटी सी ख्वाइशे होती है हमारी है ना ? 

लिखने का शौक है तो लिखो जैसे हमारी इस ग्रुप की साथी लेखिकाएं लिखती है ,अगर पढ़ना अच्छा लगता हो तो पढ़ लो थोड़ा सा जब भी समय मिले , बागबानी कर लो , कुछ अच्छा सा खुद के खाने को बना लो जो आपको पसंद हो , कुछ गुनगुना लो या मधुर संगीत सुन लो या फिर मिल लो पुराने दोस्तों से जहां आप आप हो न की किसी की मम्मी और बहु और पत्नी ।

जानती हु की कहना आसान है की करना मुश्किल पर शुरुआत तो करो ।

ये भी कहना सही नहीं होगा की बच्चों,पति और परिवार की जिम्मेदारी आपकी हमारी नही है पर ये भी न भूलिए न की आप पर आपकी भी जिम्मेदारी है ,अपनी खुशियों के लिए किसी पर निर्भर ना रहिए ,तोड़ दीजिए ये पुराना नियम और बनाइए नए नियम जिससे हमारी आने वाली पीढ़ी भी खुश रह पाए बिना किसी आत्मग्लानि के ,खुद से खुद के लिए वो भी जी पाए । अगर हमारे परिवार की जिम्मेदारी हमारे पर है तो उससे भी पहले हमारी खुद की जिम्मेदारी भी हमारे ऊपर है । जब आप खुद को खुश रख पाओगे तभी तो सभी को खुश रख पाओगे !

हमारा ये है नया नारा 📣 

पहले हम फिर परिवार 

यही है सबकी खुशियों का द्वार

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