तुम लौट आओगी ना- मंजुला
“बाहर झाँक कर देखा तो आसमां गहराने लगा था। साँझ की खिड़की से सूरज हौले हौले उतर रहा था। लेकिन धरा पर उसकी तपिश अभी भी महसूस की जा सकती थी….मैं वहीं खिड़की के समीप खड़ा गहराता आसमान देखने लगा।” “सूरज के उतरने और चाँद के निकलने के बीच ये जो समय होता है … Read more