तुम लौट आओगी ना- मंजुला

  “बाहर झाँक कर देखा तो आसमां गहराने लगा था। साँझ की खिड़की से सूरज हौले हौले उतर रहा था। लेकिन धरा पर उसकी तपिश अभी भी महसूस की जा सकती थी….मैं वहीं खिड़की के समीप खड़ा गहराता आसमान देखने लगा।” “सूरज के उतरने और चाँद के निकलने के बीच ये जो समय होता है … Read more

समधी जी, हमें भी अपना मान-सम्मान प्यारा है!! – चेतना अग्रवाल 

“कुछ फैसले अचानक ही लिये जाते हैं, और मुझे अपने फैसले पर कोई गिला नहीं है… ये फैसला मुझे बहुत पहले ले लेना चाहिए था, लेकिन कोई बात नहीं… देर आये दुरूस्त आये!!” कमला जी ने अपने परिवार से शादी के मंडप से ही वापस चलने के लिए कहा। कमला जी घर में चलती थी, … Read more

छलावा – गीतू महाजन 

“तो तुम हो मालती”  आवाज़ सुनकर उसने अपना चेहरा ऊपर उठाया… आंखों में हैरानी के भाव थे। वह कोई बाईस-तेईस साल की युवती थी। कुर्सी पर सर झुकाए जब उसे मुक्ता जी ने पुकारा तो उसका ध्यान टूटा… शायद कुछ सोच रही थी।  “क्या हुआ? इतनी हैरान क्यों हो”? मुक्ता जी ने उसके कंधे पर … Read more

संभालो अपने संस्कारों को ..!! – भाविनी केतन उपाध्याय

“जब मैंने कोई गलती नहीं की तो क्यों बर्दाश्त करूं ? आप को पता था कि मेरे माता पिता गरीब हैं और कुछ देने में सक्षम नहीं हैं फिर भी आप ने मांजी अपना स्वार्थ ही देखा। मेरे माता पिता ने आप को इस बात से अवगत भी कराया था कि आप लोगों में और … Read more

तेरी मां बेघर नहीं है!! – अर्चना खंडेलवाल 

ट्रेन एक स्टेशन पर रूकी, लगभग सारे यात्री उतर चुके थे, कुछ यात्री थे जो मोबाइल में व्यस्त थे, कुछ गाने सुन रहे थे तो कुछ वीडियो देखकर समय बिता रहे थे, सबको अपनी मंजिल के आने का इन्तजार था पर संगीता जी को कोई जल्दी नहीं थी, वो चाह रही थी कि ट्रेन हर … Read more

 काश! मैने तभी आवाज उठाई होती… – आरती  खुराना आसवानी

“क्या बात है दामिनी आज हर अख़बार में तुम्हारा जिक्र है, सभी लोकल न्यूज़ चैनल तुम्हारे दिलेरी के किस्से बता रहे।पर फिर भी तुम उतनी खुश नही लग रही।” मिहिर ने पत्नी  दामिनी से पूछा। ” हाँ ,खुश तो नहीं पर थोड़ी सी संतुष्टि है कि मैं मीठी के लिए कुछ कर पाई।’ दामिनी ने … Read more

प्रेम रंग – भगवती सक्सेना गौड़

आज रविंदर बिजी अपने पोते अमरसिंह से बोल रही, “सुन पुत्तर, मुझे न अमृतसर ले चल, तुम सब मेरी बीमारी में बहुत परेशान हो गए हो, इत्ती उम्र नब्बे भी निकली जा रही, मुझे भगवान बुलाता ही नही, कुछ तो कारण है।” “क्या बिजी, इतने ऐशो आराम से परिवार के मध्य सेवा करा रही हो, … Read more

ये भी प्रेम ही था ना.. – अर्चना नाकरा

मेट्रो तेज रफ्तार से भाग रही थी और ‘उसी रफ्तार से साधना का मन भी” आज सुबह प्रेजेंटेशन देनी थी नहीं तो शायद छुट्टी ले लेती! वैसे, छुट्टियां बची भी कहां थी ? आए दिन कुछ ना कुछ लगा ही रहता और उसे घर रुकना पड़ता! पता नहीं कैसे’ खींचतान कर घर और नौकरी’ चला … Read more

क्या लगता है तुम्हारी मां इतनी बुरी है – रत्ना साहू 

एक तो सुबह की चाय समय से नहीं मिली उसकी नाराजगी तो थी ही उपर से बेटी को रसोई में काम करते देख और बढ़ गई। अरे प्रिया बेटा! तुम यहां रसोई में क्या कर रही हो? भाभी कहां गई?” “मां, चाय बना रही हूं और भाभी फ्रेश होने गई है। “क्या..!अभी फ्रेश होने गई … Read more

कॉम्प्रोमाइज – कीर्तिरश्मि नन्द

  उसने कहा” मैं मां को साथ नहीं रखूंगा”।   क्यों ?” जज ने पूछा “इस बुढ़ापे में तुम ही तो उसका सहारा हो फिर ये रवैया क्यूं”…।   “मेरी बीवी नहीं चाहती उसका इगो हर्ट होता    है” लड़के ने बनावटी बात बोली।   “ये भी भला कोई बात हुई ,समझाओ बीवी को”   … Read more

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