गलतफहमी – संगीता त्रिपाठी

कैब बहुत तेजी से सड़क पर भाग रही थी, उससे ज्यादा तेज गति से अनु के मन में उथल -पुथल मची थी। बस ईश्वर कुछ मोहलत दे दो, अम्मा को यहाँ ला कर अच्छे से इलाज कराऊंगी..। टैक्सी की गति तेज थी, पर जाने क्यों अनु को वो रेंगती हुई लगी, ड्राइवर को झल्ला कर … Read more

ऐसा जीवनसाथी सबको मिले! – मीनू झा 

जिंदगी मौके कम अफसोस ज्यादा देती है ऐसे ही नहीं कहा गया है बहू….तब कितना कहा था मैंने छह महीने साल भर की तो बात है रख लो ना सुरभि को,कुछ बन जाएगी तो जीवन भर नाम लेगी…बेचारी बिन बच्ची की मां…पर नहीं पता नहीं क्या चलाती रही दिमाग में–मीना अपनी बहू सरिता से कह … Read more

मेरा इम्तिहान बाकी है  – किरण केशरे

  अरे अब उठ भी जा महारानी,सूरज सिर पर चढ़ गया है और कब तक सोएगी! माँ की आवाज गूंजी थी कानों में,,,, माँ की बड़बड़ाहट चालू हो गई थी… पता नही कब आदत सुधरेगी इस लड़की की ससुराल जाएगी तब मालूम पड़ेगा! इसका दिन तो आधे दिन के बाद ही शुरू होता है!  अभी … Read more

जीना इसी का नाम है – कुमुद मोहन

बड़े दिनों बराबर वाला फ्लैट खाली पड़ा था। मधु और सुरेश जी अकेले रहते। बच्चे दोनों बाहर थे कभी-कभार ही आ पाते। मधु का मन था कोई ढंग उनकी हमउम्र का आ जाए तो थोड़ी कंपनी मिल जाए। फिर एक दिन जैसे भगवान ने उसकी सुन ली। सामने खड़ा ट्रक देखा जिसमें से सामान उतर … Read more

पत्नी धूप तो पति छांव… – भगवती सक्सेना गौड़

यूट्यूब में गाना लगाए हसीन यादों में खोए थे, सीनियर सिटीजन वर्मा साहब, बीच बीच मे गुनगुना भी रहे थे… … बड़े रंगीन ज़माने थे, तराने ही तराने थे मगर अब पूछता है दिल, वो दिन थे या फ़साने थे फ़क़त इक याद है बाकी !! लो आ गयी, उनकी याद वो नही आये… आप … Read more

बेटी, तू भी तो यही चाहती थी ना!! – सविता गोयल 

”  वाह मां, ये साड़ी तो बहुत जंच रही है आप पर । कहां से लाई हो??” ” अरे बेटा, मैं कहां बाजार में जाती हूं .. पहले तू ला देती थी अब तेरी भाभी ला देती है। सच में बहुत अच्छी पसंद है उसकी। देख तेरे लिए भी दो साड़ियां ला कर रखी है … Read more

तेरा साथ है तो मुझे क्या कमी है – सोनिया निशांत कुशवाहा

स्त्री होना इतना सरल कहाँ है। उस पर भी वह स्त्री जो अपनी पलकों में आसमान को छू लेने का स्वप्न बसाए हो उसके लिए जीवन दुरुह हो जाता है। समाज हो या परिवार सभी ने सदा से ही नारी के लिए दायरे तय किए हुए हैं। एक महिला से अपेक्षा यही होती है कि … Read more

हर रिश्ते में थोड़ा स्पेस जरूरी है – संगीता अग्रवाल 

” देखो प्राची ये अनामिका पता नहीं इतना सज धज कर कहां जा रही है ?” प्राची अपने घर के दरवाजे पर खड़ी थी तब उसकी पड़ोसन नीतू उससे बोली। ” जा रही होगी किसी काम से या किसी फंक्शन में !” प्राची लापरवाही से बोली। ” अरे ये तो अपने मिस्टर के बिना कहीं … Read more

मोह मोह के धागे – दीपा माथुर

मम्मी जी ,पापा जी को सुबह सुबह चाय की प्याली पकड़ाते हुए छवि बोली ” मम्मी जी आज छोले भटूरे बना लू?” मम्मी जी ने नाक भो सिकोड़ कर कहा “ अब हमारी उम्र तो चटखारे लेने की है नही। सिंपल सी घीया की सब्जी और रोटी बना लो। वैसे भी छोलेभटूरे में तेल बहुत … Read more

  नेकी का बदला – लतिका श्रीवास्तव 

आकाश हतप्रभ था स्तब्ध था …विशाल का बेजान शरीर उसके समक्ष था कितना भरोसा था विशाल को अपने सिद्धांतों पर …हमेशा कहता था अच्छा करोगे तो अच्छा ही मिलेगा…अपने कर्तव्यों को निष्ठा से करोगे तो निष्ठा ही मिलेगी…समाज भ्रष्ट नहीं  होता है कमी है भ्रष्ट लोगों के स्थान पर सदनियत लोगों के सामने आने की…..! … Read more

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