बेटी, तू भी तो यही चाहती थी ना!! – सविता गोयल 

”  वाह मां, ये साड़ी तो बहुत जंच रही है आप पर । कहां से लाई हो??”

” अरे बेटा, मैं कहां बाजार में जाती हूं .. पहले तू ला देती थी अब तेरी भाभी ला देती है। सच में बहुत अच्छी पसंद है उसकी। देख तेरे लिए भी दो साड़ियां ला कर रखी है उसने। सच बेटा हमारी किस्मत अच्छी है जो ऐसी सुघड़ और समझदार बहू आई है । सारा घर संभाल लिया और मेरा भी कितना ख्याल रखती है। मां, मां करती सारा दिन आगे पीछे घूमती रहती है ।  ,, शीतल जी ने अलमारी से साड़ियां निकालते हुए कहा।

“रहने दो मां , आपको तो सब अच्छे हीं लगते हैं। ये सब शुरू शुरू के चोंचले हैं। अभी तो आपके हाथ पैर चल रहे हैं। बराबर काम करवाती हैं तो मां मां करती रहती है। पता तो तब चलेगा जब सेवा करनी पड़ेगी।”

” भगवान ऐसा क्यों करे की मुझे सेवा की जरूरत पड़े। हाथ पैर तो चलते हीं ठीक हैं ना बेटा”, शीतल जी ने बेटी की बात काटते हुए कहा।

लेकिन पीहू से अपनी भाभी की तारीफ सहन नहीं हो रही थी ।  ”  और हां मां , बहू को ज्यादा सर मत चढ़ाओ कहीं लाड लाड में अपनी चाबियां मत पकड़ा देना वर्ना बाद में आपको हीं आंखें दिखाएगी।”

शीतल जी को समझ नहीं आ रहा था कि पीहू ऐसा व्यवहार क्यों कर रही है। जब भी उसकी भाभी नीलम का जिक्र आता वो चिढ़ जाती। नीलम का किया हुआ कोई काम उसे पसंद नहीं आता था।

जब कभी फोन पर भी दोनों मां बेटी की बात होती तो पीहू हमेशा अपनी भाभी के बारे में अपनी मां को उल्टा हीं सिखाती रहती थी लेकिन शीतल जी एक समझदार महिला थीं। अच्छे बुरे की पहचान उन्हें थी। शीतल जी समझती थीं कि भाई भाभी से हीं बेटियों का मायका हमेशा बना रहता है इसलिए उन्होंने पीहू को समझाने की कोशिश की।



 

अब जब भी शीतल जी पीहू से फोन पर बात करती तो अपनी बहू नीलम की बुराई करतीं ,” बेटा, तेरी भाभी तो मेरी कद्र हीं नहीं करती। जब देखो बात- बिना बात झगड़ा करती रहती है। अब तो मेरा एक भी काम नहीं करती। यहां तक कि मेरे कपड़े भी नहीं धोती। ,,

ये सब सुनकर  पीहू बोली, ” देखा ना मां, मैं कहती थी ना कि भाभी सिर्फ़ अच्छा होने का दिखावा करती है।”

कुछ दिनों तक तो पीहू को भी अच्छा लगता था अपनी भाभी की शिकायतें सुनना लेकिन जब शीतल जी कहती कि तेरी भाभी मुझे समय पर खाना पीना नहीं देती तो पीहू को अपनी मां के लिए बुरा भी लगता।

एक दिन पीहू बोली, ” मां आप भाई से क्यूं नहीं करतीं की भाभी को समझाए। आखिर आप हमारी मां हैं,  उस घर की बड़ी हैं आपका ख्याल रखना उनका फर्ज बनता है। आप कहें तो मैं भाभी से बात करती हूं उन्हें समझाने की कोशिश करती हूं  ..  ,,

” लेकिन बेटा, तूं भी तो यही चाहती थी ना कि तेरी भाभी ऐसी हीं हो जो रोज रोज मुझसे झगड़ा करे … मेरी सेवा ना करे। जब वो अच्छी थी तो भी तुझे उससे शिकायत थी तूने कभी उससे सीधे मुंह बात नहीं की .. तो अब किस हक से तूं उसे समझाएगी !! ये सब हमारे कर्मों का हीं फल है जो मैं भुगत रही हूं ।,,

मां की बात पर पीहू निशब्द हो गई। लेकिन मां की तकलीफ़ सुनकर उससे रहा नहीं गया तो एक दिन वो गुस्से में अपने मायके पहुंच गई।  लेकिन जा कर देखा तो वहां अलग हीं माहौल था …. मां और भाभी रसोई में हंस हंसकर बातें कर रही थीं। गैस पर चाय बना रही थी और भाभी पकौड़े का घोल तैयार कर रही थी। साथ हीं भाभी मां से पूछ रही थी, ” मां आप कौन से पकौड़े खाओगी?? प्याज के या पनीर के ??  ,



” बहू आज तो प्याज के हीं पकौड़े बना ले । पनीर के पकौड़े हजम नहीं होते अब।”

दरवाजे पर खड़ी पीहू अपनी मां और भाभी को देखकर हतप्रभ थी। मां तो बोलती थीं कि भाभी बदल गई है , मेरा बिल्कुल ख्याल नहीं रखती। लेकिन यहां तो दोनों सास बहू को देखकर लगता हीं नहीं कि इनके बीच कभी कोई बहस भी होती होगी।

नीलम की नजर जब अपनी ननद पर पड़ी तो वो खुशी से चहक पड़ी, अरे दीदी आप!! आईये ना….. बहुत दिनों बाद आई है आप और वो भी अचानक से!!”

शीतल जी के चेहरे पर भी बेटी को देखकर मुस्कान छा गई। अपनी मां को खुश देखकर पीहू की आंखें खुशी से नम हो गईं । जितनी देर वो मायके में रही देखती रही कि भाभी मां के साथ कितने प्यार से रहती है। उसने कभी अपनी भाभी से सीधे मुंह बात नहीं की फिर भी दीदी दीदी बोल कर उसके आगे पीछे घूम रही है।

अकेले में शीतल जी पीहू से बोलीं,”  बेटा सच सच बता, तू यही चाहती थी ना कि तेरी भाभी मेरा ख्याल रखे तो पहले तू अपनी भाभी से इतना उखड़ी उखड़ी क्यों रहती थी ??”

” मां भाभी ने आते हीं आपके जीवन में और इस घर में मेरी जगह ले ली थी.. ये शायद मुझसे सहन नहीं हो रहा था। लेकिन अब मैं समझ गई हूं कि यदि भाभी अच्छी हो तो मेरी मां और मायका हमेशा खुश और आबाद रहेगा। ,,

इस बार वापसी के समय पहली बार पीहू अपनी भाभी नीलम के गले से लगी। उसकी आंखों से दो बूंदें ढलग गई और उसके साथ हीं मन का मैल भी बह गया।

उसके मुंह से बस यही शब्द निकले, ” भाभी हमेशा ऐसी हीं रहना। ,,

नीलम भी ननद का स्नेहिल स्पर्श पाकर भाव विभोर हो गई थी।

सविता गोयल 

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!