“बोझ” – सेतु

शहर के बड़े रईसो में गिने जाने वाले राजकुमार जैन जी के इकलौते पुत्र यश से विवाह की बात पक्की होते ही अर्चना को चारों तरफ से बधाई संदेश आने लगे थे.सोशल मीडिया में तो जैसे शुभकामनाओं का तांता सा लगा हुआ था. यश और अर्चना की मुलाकात कुछ महीनों पहले एक विवाह समारोह में … Read more

बाँसुरी – सेतु

नींद के मामले में वैसे तो मैं बदकिस्मत नही रहा हूँ. बिस्तर पर आते ही आंख लग जाया करती है. पर उस दिन नींद के साथ आंखमिचौली कुछ ज्यादा ही हो रही थी.खिड़की से पर्दा हटा कर देखा तो सामने के मकानों में रात के वक्त जलने वाले बल्ब अभी जगमगा रहे थे.शर्दी की रात … Read more

उम्मीद का दामन – निभा राजीव “निर्वी”

अपने आठ माह के बच्चे को गोद में लिए कमली ने एक बार फिर अपने खेतों को विवश आंखों से निहारा। बारिश के अभाव में शुष्क होकर मानो धरती का सीना फट गया था। जगह-जगह दरारें फटी हुई थी। कमली को ऐसा लगा मानो वे दरारें जमीन के साथ-साथ आंतों में भी पैठकर आंतों को … Read more

उम्मीद की एक नई किरण”दक्षा”  – गीता वाधवानी

माता-पिता का लाडला, इकलौता बेटा दक्ष पढ़ाई में बहुत ही होशियार था। 12वीं कक्षा तक 98% तक नंबर लाता रहा और उसके बाद सीए पूरी करने के बाद आज कनाडा जा रहा था। वहां पर आगे की पढ़ाई करने के बाद वहीं के एक प्रसिद्ध बैंक में उसकी जॉब लग जाएगी ऐसा उसने अपने माता-पिता … Read more

मेरी रगों में आपका खून है – डॉ. पारुल अग्रवाल

सिया की शादी को १२ साल का लंबा समय बीत गया था पर अभी तक उसके कान मां शब्द सुनने को तरस गए थे। इन बारह सालों के लंबे अंतराल में उसका एक एक दिन इस उम्मीद में बीता है कि कब काव्या उसे मां कह कर पुकारेगी। पर जिस काव्या को वो अपनी ममता … Read more

किसी की उम्मीद ना टूटने देने की खुशी – संगीता अग्रवाल 

” चल ना यार गोलगप्पे की प्रतियोगिता करते हैं बहुत दिन हो गए गोलगप्पे खाये ” श्रुति की सहेली दिव्या ने कॉलेज से वापिस आते हुए कहा। ” देख ले हार जाएगी हमेशा की तरह ” श्रुति ने उसे आगाह किया। ” अरे जा जा ” दिव्या बोली। ” भईया खिलाना गोलगप्पे “अपनी पसंदीदा चाट … Read more

खुशियाँ लौट आई – उमा वर्मा 

घर में टीवी पर कोई अच्छा सिनेमा चल रहा था ।हम सब, अम्मा, बाबूजी, भैया और भाभी सब लोग आनन्द उठा रहे थे कि अचानक भैया के सिर में तेज दर्द होने लगा और उन्हे उल्टियाँ होने लगी ।जबतक अस्पताल ले जाने की तैयारी होने लगी तो भैया दुनिया से चले गये । घर परिवार … Read more

आखिर काजल ने अपनी मर्यादा तोड़ ही दी – मीनाक्षी सिंह

रवि – काजल तुम समझती क्यूँ नहीं ,,तुम्हे तुम्हारे घर वाले बिल्कुल प्यार नहीं करते ,,वो हमारे रिश्ते के लिए कभी राजी नहीं होंगे ! काजल – रवि ,,तुम्हे तो पता ही हैं बचपन में मुझे जन्म देते ही मेरी माँ खत्म हो गयी,,पिताजी ने पालपोष कर दस साल का किया ,,तब उन्हे कैंसर हो … Read more

उम्मीद से परे… – संगीता त्रिपाठी

” पापा मै इंजीनियर नहीं, होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई करना चाहता हूँ।” पागल हो गया हैं, एक उच्च पदस्थ अधिकारी का पुत्र, होटल में बैरा बनेगा, लोगों की जूठी प्लेट हटायेगा..। पिता रामेश्वर जी की गरज में, अनुज की आवाज दब गई। एक आम भारतीय परिवार की सोच वाला अनुज का परिवार भी था। पिता … Read more

आखिरी उम्मीद – प्रेम बजाज

15 दिन से हर वकील, पुलिस के पास, इन्साफ के लिए भटक रही है। पहले तो थाने में बलात्कारी के खिलाफ रिपोर्ट लिखवाने जब गई तो थानेदार ने लम्बा चौड़ा भाषण दे दिया। “अरी कमला रानी, किसके खिलाफ रपट लिखाने चली है तू, तुझे पता है ना वो कितने बड़े बाप का छोरा है, तू … Read more

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