उम्मीद से परे… – संगीता त्रिपाठी

” पापा मै इंजीनियर नहीं, होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई करना चाहता हूँ।” पागल हो गया हैं, एक उच्च पदस्थ अधिकारी का पुत्र, होटल में बैरा बनेगा, लोगों की जूठी प्लेट हटायेगा..। पिता रामेश्वर जी की गरज में, अनुज की आवाज दब गई। एक आम भारतीय परिवार की सोच वाला अनुज का परिवार भी था। पिता दबंग थे। घर में उन्ही की चलती, माँ ऊषा जी सीधी -साधी महिला, जो पति के फैसलों को ही उचित मानती चाहे फैसला सही हो या गलत..।अनुज प्रतियोगिता तो नहीं निकाल पाया पर, पिता के रसूख से उसे नागपुर के नामी कॉलेज में एडमिशन मिल गया। बुझे मन से अनुज, पिता का ख्वाब पूरा करने का प्रयास करने लगा। पर जहाँ चाह ना हो वहां सफलता नहीं मिलती। अनुज का पढ़ाई में बिल्कुल मन नहीं लगता। सोशल मीडिया पर वो खाने की नई रेसिपी डालता रहता।लिहाजा, पढ़ाई में पिछड़ने लगा। क्लास बंक करने लगा।हाँ उसके यू ट्यूब में डाली रेसिपी के बहुत सारे फॉलोवर हो गये।

              इंजीनियरिंग के पहले साल तो किसी तरह अनुज पास हो गया, लेकिन दूसरे साल पढ़ाई कठिन होने से, वो हर सेमेस्टर में किसी ना किसी पेपर में फेल होने लगा। अनुज इतनी असफलता से घबराने लगा। ना वो अपने मन की कर पा रहा ना पिता की उम्मीद पूरी कर पाने में अपने को सक्षम पा रहा था…।अजीब सी मनस्थिति में जी रहा था। धीरे -धीरे अवसाद की ओर जाने लगा। उसकी हालत देख, उसके रूममेट ने सुझाया तू इंजीनियरिंग छोड़ कर होटल मैनेजमेंट के कोर्स में प्रवेश लें लें। पर पापा को कैसे समझाऊंगा…। उनको तू मत बताना,जब तू कोर्स कर लेगा, अच्छी जॉब मिल जायेगी तब पिता को बताना, वो नाराज नहीं होंगे। तेरे मन की भी हो जायेगी।अनुज को ये विचार अच्छा तो लगा, पर माता -पिता से झूठ बोल कर धोखा देने को उसका मन गवाही नहीं दे रहा था। 

         बहुत सोच -विचार कर अनुज ने अपनी माँ को बता देना आवश्यक समझा। माँ को फोन से बता दिया। वो इंजीनियर बनने में कोई दिलचस्पी नहीं रखता इसलिये वो उसी कॉलेज में होटल मैनेजमेंट का कोर्स करने जा रहा। पिता को खबर लगी तो वे बनारस से नागपुर पहुँच, अनुज की बहुत लानत -मलानत की। अनुज अपने निर्णय से टस से मस ना हुआ। पिता नाराज होकर चले गये। उन्होंने उसे आर्थिक सहायता देने से इंकार कर दिया। अनुज के सामने सबसे बड़ी समस्या पैसो की थी। होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई इतनी आसान नहीं थी। अनुज ने पिता को मनाने की बहुत कोशिश की, पर पिता उसकी बात मानने से इंकार कर दिये। निराशा के इस समय में ऊषा जी ने, पहली बार पति के विरुद्ध जा बेटे को पैसों से मदद की। पिता रामेश्वर जी ने अनुज से नाता तोड़ लिया। अनुज ने घर आना छोड़ दिया। माँ और बहन से फोन पर बात कर लेता था।मेहनत से होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई कर आखिर एक पांच सितारा होटल में जॉब पा लिया। अनुज का लक्ष्य अभी बाकी था। रसोई में जा, नित नये व्यंजन बना कर उसे एक आत्मिक सुख मिलता था।उसकी रेसिपी को लोग सराहने लगे। होटल के मेनू कार्ड में उसकी बनाई कई व्यंजन, स्थायी जगह पा गई।




 

             दो साल बाद, अपने किसी कॉन्फ्रेस में रामेश्वर जी दिल्ली आये। उनकी कॉन्फ्रेंस पांच सितारे होटल में थी। जहाँ का खाना बहुत प्रसिद्ध था। दिन में कॉन्फ्रेस की व्यस्तता, रात में फ्री हुये तो वे और उनके बॉस डिनर करने हॉल में आये। खाने का आर्डर दिया.।” बहुत लजीज खाना हैं, रामेश्वर जी, पेट भर गया पर मन नहीं भरा। “”सही कह रहे सर -आज तो मै भी थोड़ा ज्यादा खा लिया, खाना था हीं इतना टेस्टी की, सारी वर्जनाये तोड़, जम कर खा लिया।”

            वे बात कर रहे थे बैरा दो कप कॉफी के रख गया, स्पेशल कप, रामेश्वर जी की तरफ -ये गुड़ डली कॉफी हैं सर.., आपके लिये। रामेश्वर जी चौंक गये… अरे तुमको कैसे पता की मै खाने के बाद गुड़ वाली कॉफी पीता हूँ..। मुझे नहीं, मेरे बॉस को पता हैं सर…।” कहाँ हैं बॉस बुलाओ उन्हे “..।

 

      .. जी सर… सामने सर झुकाये बॉस खड़ा था। उम्मीद से परे बेटे को देखते ही कांपते अधरो से अस्पष्ट स्वर निकला अनुज… बहुत समय बाद बेटे को देख रामेश्वर जी अपने को रोक नहीं पाये, गले लगा लिये..। एक बार अहं की दीवार जो गिरी तो सारे गिले -शिकवे दूर हो गये।

       कॉन्फ्रेंस में आये लोग, रामेश्वर जी को उलाहना दे रहे थे -आपने बताया नहीं आपका बेटा इतना नामी शेफ हैं..। आज रामेश्वर जी को समझ में आ गया, कैरियर सिर्फ डॉक्टर या इंजीनियर में हीं नहीं बनता। इसके अलावा भी कई क्षेत्र हैं, जिनमें कैरियर बन सकता हैं। आज रामेश्वर जी का मस्तक गर्व से ऊंचा हो उठा। बेटे ने उनका नाम जो रोशन किया। यही तो उनकी ख्वाहिश और उम्मीद थी ।इस दिवाली ऊषा जी का घर खुशियों के दीपक से जगमगा उठा।
    बेटे के लिये रामेश्वर जी को अपने मित्र की , चुलबुली बेटी माही, बहुत पसंद आई। हँस कर बोले -माही तेरा होने वाला पति खाना पकाने में उस्ताद हैं, और तू जोड़ घटाने में… बढ़िया जोड़ी रहेगी। माही चार्टेड अकॉउंटेंड थी। दिसंबर की एक सुरमुई शाम अनुज की शादी माही से हो गई। रामेश्वर जी का घर खुशियों से आबाद हो गया। एक मसालों और स्वाद के माप में एक्सपर्ट तो दूसरा अंको के जोड़ -घटाव का एक्सपर्ट…, एक पेट के रास्ते दिल में पहुंचने में माहिर तो दूसरा दिमाग के रास्ते दिल में पहुंचने में एक्सपर्ट…।भगवान जोड़ियाँ भी चुन कर बनाता हैं..।

             हम अपने बच्चों के लिये लीक से हट कर कुछ सोच नहीं पाते, ना उनका हुनर पहचान पाते। अपनी उम्मीदों का बोझ बच्चों पर ना डाले, उन्हें अपने सपनें पूरा करने दे और उनके सपनें पूरा करने में माता -पिता का साथ उनकी उम्मीद पर खरा उतरने का प्रयास करें।जमाना बदल गया, लीक से हट कर कई क्षेत्र हैं, जहाँ लोगों ने अपनी जगह बनाई हैं। बच्चों को हर क्षेत्र में जाने दें।

 

                                 —संगीता त्रिपाठी 

    #उम्मीद     

 
    बेटे के लिये रामेश्वर जी को अपने मित्र की , चुलबुली बेटी माही, बहुत पसंद आई। हँस कर बोले -माही तेरा होने वाला पति खाना पकाने में उस्ताद हैं, और तू जोड़ घटाने में… बढ़िया जोड़ी रहेगी। माही चार्टेड अकॉउंटेंड थी। दिसंबर की एक सुरमुई शाम अनुज की शादी माही से हो गई। रामेश्वर जी का घर खुशियों से आबाद हो गया। एक मसालों और स्वाद के माप में एक्सपर्ट तो दूसरा अंको के जोड़ -घटाव का एक्सपर्ट…, एक पेट के रास्ते दिल में पहुंचने में माहिर तो दूसरा दिमाग के रास्ते दिल में पहुंचने में एक्सपर्ट…।भगवान जोड़ियाँ भी चुन कर बनाता हैं..।

             हम अपने बच्चों के लिये लीक से हट कर कुछ सोच नहीं पाते, ना उनका हुनर पहचान पाते। अपनी उम्मीदों का बोझ बच्चों पर ना डाले, उन्हें अपने सपनें पूरा करने दे और उनके सपनें पूरा करने में माता -पिता का साथ उनकी उम्मीद पर खरा उतरने का प्रयास करें।जमाना बदल गया, लीक से हट कर कई क्षेत्र हैं, जहाँ लोगों ने अपनी जगह बनाई हैं। बच्चों को हर क्षेत्र में जाने दें।

 

                                 —संगीता त्रिपाठी 

    #उम्मीद     

 

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