अंकल जी का बिजनेस-नेकराम Moral Stories in Hindi

उन दिनों मैं गांव से शहर पिताजी के एक मित्र के घर पढ़ाई के सिलसिले से एक महीने के लिए रुक गया था
पिताजी ने जाते वक्त बताया था उनका बहुत बड़ा बिजनेस है तू वहां रहकर अपनी पढ़ाई का एग्जाम दे देना ट्रेन पकड़कर में फौरन दिल्ली चला आया
मोहल्ले में उनका घर मैंने तुरंत पहचान लिया क्योंकि पापा ने व्हाट्सएप के माध्यम से मुझे उनके मकान की तस्वीर दिखाई थी
एक महीने मैं उनके घर रहा
पहले दिन तो अपना परिचय बताने और उनका परिचय जानने में ही समय निकल गया मुझे चार दिन हो चुके थे लेकिन अंकल जी को कभी भी मैंने किसी नौकरी या बिजनेस पर जाते हुए नहीं देखा था
आखिरकार मैंने अंकल जी से पूछ लिया आपका बिजनेस क्या है
उन्होंने बताया हमारा बहुत बड़ा बिजनेस है मैं तुम्हें समझता हूं
मैं रोज नए लोगों से मिलता हूं रिश्तेदारों में जाता हूं आस पड़ोसियों में उठना बैठना मेरा है प्रतिदिन में 20 लोगों से 50 रूपए मांगता हूं
नेकराम सिक्योरिटी गार्ड मुखर्जी नगर दिल्ली से
मेरे पास एक लिस्ट है मुझे 20 लोगों से 50 रूपए लेने हैं चाहे मुझे उसके लिए कितनी ही दूर क्यों न निकलना पड़ जाए
बढ़िया सूट बूट पहनकर हाथों में टच वाला फोन कलाई पर महंगी घड़ी पहनकर जब मैं निकलता हूं और कहता हूं मेरे पास 500 का नोट है
,, क्या 50 रूपए मिलेंगे कल इसी समय दे दूंगा दिन भर लोगों से पैसे ही मांगता रहता हूं 20 को 50 से गुणा करने पर 1000 रूपए बनते हैं
इसी तरह मैं महीने के 30 हजार रुपए कमाता हूं
दिल्ली के 2000 से ज्यादा कारखाने और दुकानदार मालिकों के मोबाइल नंबर मेरे पास है मालिकों को जब कोई वर्कर चाहिए होता है
तो मैं उन्हें कहता हूं मेरे मोबाइल पर कॉल कर दिया कीजिए मैं वर्कर भेज दूंगा
घर के बाहर मैंने एक तख्ती लटका रखी है उसमें लिखा है यहां बेरोजगारों को नौकरियां मिलती है
दिनभर 10 लोग तो आसानी से नौकरी की तलाश में हमारे पास आ जाते हैं हम उनसे उनका आधार कार्ड की कॉपी और साथ में 500 का नोट ले लेते हैं नोट लेते समय हम यह बताते हैं अभी घर चले जाइए
जैसे ही हमारे पास कॉल आएगा हम आपको वहा का एड्रेस बता कर नौकरी के लिए भेज देंगे ।
500 रूपए को अगर 10 से गुना करो तो प्रतिदिन का 5000 रूपए बनते हैं
महीने का डेढ़ लाख रुपया
मंदिर चर्च गुरुद्वारा की बहुत सी चालान बुक बनवा रखी है
घर घर जाकर लोगों के दरवाजे खटखटाता हूं भगवान के नाम पर मंदिर के नाम पर दिन भर बहुत चंदा इकट्ठा हो जाता है इस काम के लिए कुछ मजदूरों को लगा रखा है उन्हें महीने की सैलरी भी मैं देता हूं
मेरे बिजनेस में मेरी घरवाली भी मेरा हाथ बटाती है
पड़ोसियों से रिश्तेदारों से कुछ ना कुछ मांग कर ले ही आती है साड़ी और सूट सलवारों से अलमारी भरी पड़ी है जिस पड़ोसी का सामान ले लिया हमने उस समान को कभी वापस नहीं किया
जैसे छाते,, हेलमेट,, पेचकस,, कैची , पेन ,गिलास , कटोरी चम्मच ,
घरवाली को मैंने समझा रखा है पड़ोसन से या रिश्तेदार की स्त्रियों से जब पैसे मांगने हो तो पहले कहना है, अरे… वाह ,,कितनी खूबसूरत साड़ी पहनी हुई है आज तुमने ,, कमाल लग रही हो, महिलाएं अपनी तारीफ सुनकर फूली नहीं समाती है
और जब लोहा गरम हो तब तुरंत अपनी बात कह दो अभी मेरे पति की सैलरी रुकी हुई है किसी कारण 100 रूपए चाहिए
पति की सैलरी मिलते ही दे दूंगी ।
महिलाएं अपनी तारीफ सुनने के बाद अपना बटुआ तक खाली करने की हिम्मत रखती है
बहुत सी महिलाएं तो अपने पति बच्चों को भी नहीं बताती
कि हमने रुपए उधार दिए हुए हैं
किसी को मकान बेचना हो या किसी को मकान खरीदना हो
उसमें भी हमें कमीशन मिल जाता है
हम पंडित का भी काम कर लेते हैं लोगों की शादियां करवाते हैं
बिजोलिया बनने का भी बड़ा फायदा है लड़की वालों की तरफ से भी कुछ मिलता है और लड़के वालों की तरफ से भी कुछ मिलता है कपड़े मिठाई के डिब्बे रुपए ,
अब होली आने वाली है यहां आस-पास के सभी फ्लैट मकान और दुकानों से हमने रुपए लेने शुरू कर दिए हैं उन्हें यह बताया है होली का प्रोग्राम रखा है मोहल्ले के बड़े खाली ग्राउंड में वहां पर पिचकारी गुलाल खाने-पीने का सभी सामान मौजूद रहेगा
1000 रूपए की पर्ची हम कटवाते हैं
इलेक्शन के समय हमें बड़ी पार्टी से भी रुपए मिलते हैं बस हमें इतना ही कहना होता है 500 वोटर हमारे पास है
यह हमारा खानदानी बिजनेस है
घर में किसी चीज की कमी नहीं है बच्चे प्राइवेट स्कूल में पढ़ लिख रहे हैं बच्चों की पढ़ाई पूरी होने वाली है सोच रहा हूं अब बच्चे भी मेरे बिजनेस में मेरा हाथ बटाएं
वैसे बच्चे भी मेरे बिजनेस में पूरा साथ देते आ रहे हैं जब कोई पैसा मांगने के लिए दरवाजा खटखटाता है तो बच्चे कहते हैं पापा घर पर नहीं है
अंकल की बात सुनकर मुझे चक्कर आ गए मैं समझ चुका था मैं एक 420 के घर पर रह रहा हूं यहां से जितनी जल्दी हो सके निकला जाए वरना यह तो बीच बाजार पीटेंगे और मेरे करियर का भी सत्यानाश करवाएंगे
मैंने जल्दी ही एक किराए का कमरा लिया और वहां से अपनी पढ़ाई जारी रखी पिताजी को झूठ कहता रहा हां मैं अंकल जी के घर पर हूं ताकि पिताजी को बुरा ना लगे ।
कई साल बीत गए मेरी पढ़ाई पूरी होने के बाद मैं आईपीएस के लिए नियुक्त हुआ थाने में मेरा पहला दिन था एक हवलदार ने एक फाइल लाकर मेरे सामने पटक दी जब मैंने फाइल खोल कर देखा तो उसमें उन्हीं अंकल जी की तस्वीर लगी हुई थी
धोखाधड़ी के कई मामले दर्ज थे अचानक मेरी नजर सलाखों के पीछे पड़ी चादर ओढ़ कर बैठे हुए थे ..
मैं उनके पास जाकर कहने लगा अंकल जी आपके बिजनेस का क्या हुआ अंकल जी ने मुझे तुरंत पहचान लिया रोते हुए बताया सब कुछ तबाह हो गया कुछ दिन पहले मुझे एक व्यक्ति मिला उसने मुझे टच वाले चार फोन दिए और कहा इन मोबाइलों को मोहल्ले में बेंच देना प्रत्येक फोन पर तुम्हें 1000 रूपए मिलेंगे
वह फोन देता गया और मैं मोहल्ले में कभी रिश्तेदारों में मोबाइल बेंचता रहा
बाद में पता चला वह चोरी के मोबाइल थे
रातों-रात हमें घर छोड़कर भागना पड़ा लेकिन पुलिस ने हमें ढूंढ निकाला थाने लाकर बहुत कूटा सोच रहा हूं जेल से निकलने के बाद एक ईमानदारी की नौकरी करके परिवार का पेट भरूंगा
लोगों से भी यही कहना चाहूंगा ,, ईमानदार बने ,,मेहनत की दो रोटी बेईमानी की रोटी से लाख गुना अच्छी है ✍️
सावधान — अगर आपका कोई रिश्तेदार या पड़ोसी ऐसा बिजनेस करता है तो उसके बारे में आप क्या कहना चाहेंगे
नेकराम सिक्योरिटी गार्ड
मुखर्जी नगर दिल्ली से
स्वरचित रचना

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