सीमा जी के बड़े बेटे सुमित की शादी 10 दिसंबर को थी और आज 8 दिसंबर हो चुका था बस शादी में सिर्फ 2 दिन ही बचे थे, मेहमानों का घर में आना शुरू हो चुका था। वैसे तो यह शादी लव मैरिज थी, लेकिन इस शादी में दोनों के घरवालों की रजामंदी भी थी। शुरू में तो सीमा जी इस शादी के खिलाफ थीं। लेकिन अपनी होने वाली बहू, रिया के व्यवहार से इतना प्रभावित हो गई थीं कि इस शादी को मना नहीं कर सकीं। सुमित एक एमएनसी कंपनी मे सॉफ्टवेयर इंजीनियर था इस वजह से रिया के घर वाले को भी इस शादी से कोई एतराज नहीं था। इसलिए इस रिश्ते को दोनों परिवारों की रजामंदी थी।
सुमित की बारात धूमधाम से रिया के घर गई। रिया के घरवालों ने बारातियों का बहुत ही आदर सत्कार किया। बारात वापस लौटी, सबने रिया के घरवालों की तारीफ की, उसके घर वालों ने क्या जबरदस्त बारातियों का स्वागत किया था । यहां तक कि रात्रिभोज में ऐसा कोई भी डिश नहीं था जो नहीं उपलब्ध था।
एक-दो दिनों के बाद ही सीमा जी के घर से सारे रिश्तेदार भी अपने घर को लौटने लगे थे। अब घर में सिर्फ सीमा जी का परिवार ही रह गया था। मेहमान के रूप में रह गई थी तो सीमा जी की बड़ी बेटी एकता। एकता भी जाने ही वाली थी, लेकिन सीमा जी बोली कि सब चले जाएंगे तो मैं अचानक से अकेले रह जाऊंगी तुम एक सप्ताह रह लो फिर उसके बाद चली जाना। एकता ने अपनी मां की बात मान लिया और बोली, “ठीक है माँ कोई बात नहीं मैं तुम्हारे दामाद को बोल दूंगी, तुम मुझे लेने एक सप्ताह बाद आ जाना।”
धीरे धीरे शादी के काम निपटाते निपटाते कब एक सप्ताह बीत गया पता ही नहीं चला। आज एकता का भी जाने का दिन आ गया। एकता अब जाने को तैयार हो गई थी लेकिन जाते-जाते उसने अपनी माँ से कहा, माँ, मैंने आपके व्हाट्सएप में एक वीडियो भेजा है, उस वीडियो को आप अकेले में जरूर देखना और हो सके तो उस वीडियो मे कही बातों को अपने जीवन में भी लागू करना। बस आपसे आपकी बेटी की इतनी ही गुजारिश है।
एकता जैसे ही वहां से गई, सीमा जी के मन में यह सवाल घूमने लगा कि आखिर मेरी बिटिया ने क्या ऐसा व्हाट्सएप में भेजा है, जिसे उसने अकेले में देखने के लिए बोला है। सीमा जी ने झट से अपना फोन उठाया और उसे अपनी छत के ऊपर जो एक खाली कमरा था, जाकर वीडियो देखना शुरू किया। वीडियो खोला तो देखा कि इसमें तो उनकी बेटी एकता का एक वीडियो क्लिप है जो उसने खुद मोबाइल से रिकॉर्ड किया हुआ है। वीडियो प्ले होते ही सीमा जी की बेटी एकता की आवाज सुनाई देने लगा और चेहरा दिखाई देने लगा।
माँ, सबसे पहले तो आपसे माफी चाहूंगी कि मैं ज्यादा बड़ी तो नहीं हूं लेकिन मैं यह बात आपको बताना चाहती हूँ, अपने 5 साल की शादी में मैंने जितना अनुभव लिया है वह सब कुछ मैंने इस वीडियो में रिकॉर्ड कर दिया है, उसके बाद आप हो सके तो अपने जीवन में भी और भैया-भाभी के जीवन में भी जरूर अप्लाई करें। माँ प्लीज इस वीडियो को लास्ट तक देखिएगा।
माँ मुझे पता है कि आप एक अच्छी माँ होने के साथ-साथ एक अच्छी सास होने का भी फर्ज निभाएंगी इसमें मुझे शक नहीं है लेकिन फिर भी कुछ बातें ऐसी है जो मैं आपको बताना चाहती हूं जो मेरे जीवन से जुड़ी हुई है जिसका अनुभव मैंने खुद अपने 5 साल के जीवन में लिया है।
मैंने बहुत कोशिश किया की ये बात आपसे फेस टू फेस ही बताऊँ, लेकिन मैं इतना हिम्मत नहीं जुटा पाई की ये बात मैं आपसे कहूं फिर मैंने सोचा कि इससे अच्छा है मैं एक वीडियो रिकॉर्ड करती हूं और आपको व्हाट्सएप कर देती हूं।
मैं जानती हूं कि मैं आपकी इकलौती और प्यारी बेटी हूं, आप मुझे बहुत ज्यादा ही प्यार करती हैं। जब मैं कुंवारी थी और आपके घर में रहा करती थी तब इस घर पर मेरा ही राज चला करता था। हर चीज आप मेरे पसंद का ही खरीदती थी। चाहे वह घर के पर्दे हो, चादर हो या इस घर का कोई भी सामान हो। यहाँ तक की आप की साड़ियां और पापा का शर्ट भी मैं ही सिलेक्ट करती थी। कई बार तो भैया भी अपनी पसंद के के कपड़े खरीदने मुझे ही ले जाता था। वह कहता था कि तुम्हारी पसंद लाजवाब होती है, जो भी पसंद करती हो मेरे फ्रेंड कहते हैं कहां से खरीदा ऐसा शर्ट।
भैया के इस शादी में भी सारी खरीदारी मैं और आप ने मिलकर ही किया था, आपने मेरे बिना कुछ भी नहीं खरीदा यहां तक कि भाभी की ज्वेलरी भी आपने मेरी पसंद का ही खरीदवाया।
लेकिन आज के बाद मैं आपसे विनती करती हूं कि अब से आप कि एक नहीं दो दो बेटियां हैं और जो आपकी नई बेटी है, उसको अब आप मौका दीजिए नई बेटी से मतलब आपकी बहू और मेरी भाभी रिया से हैं। अब आप उनकी पसंद और नापसंद का ख्याल रखें। क्योंकि मैं तो अब आपके साथ हर समय मौजूद नहीं रहूंगी पर भाभी आपके साथ हमेशा रहेंगी। इसलिए कई बार आपको जो चीजें पसंद ना भी हो तो भी जैसे आप मेरी जिद की वजह से वह चीजें खरीद लेती थी, वैसा ही अभी भी करना। भाभी को छोटी-छोटी बातों के लिए कभी मना मत करना जैसे आप मुझे नहीं करती थी, हां कोई बड़ी गलती कर रही हो तो बात अलग है।
क्योंकि अब यह घर उनका है उनका भी इस घर पर उतना ही हक़ है जितना कि आपका है मैं जानती हूं कि आपको यह जानकर बहुत ही तकलीफ होगा और शायद आश्चर्य भी कि मैंने अपने जीवन के 5 साल के बीच जो ससुराल में हुआ है बहुत कुछ आपको नहीं बताया है। क्योंकि मुझे ऐसा लगता था कि आपको बताऊंगी तो आप नाहक में परेशान हो जाएंगी। और फिर कब तक मैं अपनी शिकायत आपसे बताती रहूँ। आखिर उसे एक दिन हैंडल तो मुझे ही करना है। पर माँ मैंने जो पिछले सालों में अपने ससुराल में देखा है अब वह मैं नहीं चाहती हूं कि मेरे घर में आई हुई, नई भाभी को यह सारी चीजें झेलना पड़े।
मेरे ससुराल में मेरी कोई भी वैल्यू नहीं है, ना ही कोई मेरा बातों को वैल्यू देता है तुम्हारा दामाद भी हमेशा अपनी माँ और अपनी बहनों के ही पक्ष में रहता है। उससे इस से मतलब नहीं है कि कब मेरी भावनाओं को ठेस पहुंचती है जब भी कोई बात कहो बस यही कह कर टाल देता है क्या हो गया है, वह तुम्हारी ननंद ही तो है फिर वह कितने दिन की मेहमान है।
मेरी हर चीज यहां तक कि मेरी पर्सनल इस्तेमाल की चीज भी मेरी ननद इस्तेमाल करती हैं, फिर भी मैं उन्हें कुछ नहीं कहती हूं, सिर्फ यही सोच कर कि कोई बात नहीं दूसरा खरीद लूंगी। माँ मैंने यह तय कर लिया था कि मैं अपने ससुराल में तो कुछ भी नहीं कर पाती हूं जो मर्जी जिसको आता है करता है लेकिन मैं अपने होने वाली भाभी के साथ ऐसा कभी नहीं होने दूंगी। मैं कभी भी एक ऐसा ननद नहीं बनूंगी और ना उनको कभी भी अपनी खुद जैसी भाभी बनने दूँगी जो अपने अधिकारों के लिए लड़ ना सके।
माँ अब यह घर रिया भाभी का है। उनके जीवन में क्या बेहतर होता है इसका फैसला लेने का सारा अधिकार उनको है ना कि आपको। और हाँ आपके घर में छोटी बात हो या बड़ी आपको भाभी से जरूर राय लेना चाहिए। क्योंकि जितना घर यह आपका है उतना ही घर उनका भी मैं यह सब भुगत चुकी हूं और मैं नहीं चाहती हूं कि मेरे जैसा हाल भी मेरी भाभी का हो।
मां मैं आपको बता दूं कि ससुराल मे मैं अगर कोई भी सामान बाहर से खरीदकर लेकर आती हूं तो घर में तुम्हारे दामाद यह कहकर ताने मारते हैं कि क्या खरीद के ले कर आ गई फालतू की चीजें तुम्हें हमेशा पैसा बर्बाद करना अच्छा लगता है।
माँ भैया से भी तुम यह बात जरूर बताना कि भाभी की पसंद-नापसंद का हमेशा ख्याल रखें। आज 5 साल हो गए हैं लेकिन तुम्हारे दामाद ने आज तक मुझे कभी बाहर खाना खिलाने तक नहीं ले गए हैं। लेकिन फिर भी मैंने आज तक तुम्हें कुछ भी नहीं बताया। इसलिए मैं चाहती हूं कि हमारा भाई ऐसा कभी न करें बल्कि भाभी को भी पूरी तरह इज्जत से और उन्हें कभी-कभी बाहर भी खाने या सिनेमा देखने ले जाए यह हर औरत को अच्छा लगता है। उसे एहसास होता है उसका पति उसका कितना ख्याल करता है।
शुरू में भैया जब आता था तो कोई ना कोई बड़ा सा गिफ्ट लाता था तो सब लोग बहुत खुश होते थे लेकिन कभी-कभी भैया खाली हाथ आ जाता था तो सब सवाल पूछने लग जाते थे आज तो तुम्हारे भाई ने कुछ भी नहीं लाया। क्या बहन के घर कोई खाली आता है। माँ इस बात का मुझे पता है कि अपने घर वालों से मिलकर कितनी खुशी मिलती है। उसके आगे गिफ्ट और कोई सामान कोई मायने नहीं रखती है। यहां पर मुझे कभी कोई गलती हो जाती है सब मुझे ताने मार कर यह कहते हैं कि पता नहीं अपने घर से क्या सीख कर आई है। इसकी मां ने क्या सिखाया है।
माँ आप ऐसा बिल्कुल मत करिएगा, क्योंकि हर बेटी अपने मायके की परी होती है और वहां पर कहां कोई लड़की काम करती है। भाभी को जो चीज नहीं आता है उसे प्यार से उन्हें सिखा दीजिएगा।
बस इतना ही कहना था आपकी बेटी को अपनी माँ से क्योंकि मैं अब “मैं पराई नहीं होना चाहती हूं जैसे पहले आपकी बेटी थी वैसे ही जीवन भर रहना चाहती हूँ चाहे आप रहे या ना रहे।
वीडियो देखने के बाद सीमा जी के आंखों में आंसू का झरना बहने लगा था। गला पूरी तरह से रुँध गया था और उनके मुंह से बस एक ही शब्द निकल रहा था कि आज मेरी बेटी सचमुच में बहुत बड़ी हो गई है। मुझ से भी बड़ी शायद मैंने यह सोचा भी नहीं था जो तुमने मुझे सिखा दिया अगर सारी बेटियां ऐसी सोच वाली हो जाए । तो इस दुनिया से बहू नाम का जो शब्द है वह कब का मिट जाएगा और दूसरे घर में जाने के बाद भी बेटी बहू नहीं । बल्कि बेटी ही कहलाएगी।