खुद्दार बालक

एक गरीब औरत थी उसके दो बच्चे थे एक दो  साल की छोटी सी बच्ची और एक 9 साल का बेटा  था। इसका पति सब्जी मंडी में सब्जी बेचा करता था इसी से इसका परिवार का गुजारा होता था लेकिन पति के अचानक किसी रोग से मृत्यु हो गया।  उसके बाद से वह औरत खुद जाकर बाजार में सब्जी बेचने लगी। पति के इलाज में सारा पैसा खत्म हो गया था इस वजह से जो इसकी सब्जी मंडी में दुकान थी वह भी बिक गया था अब यह रोड पर ही दुकान लगाती थी।  इस की कमाई अब उतनी नहीं होती थी कि सही से गुजारा कर सकें पहले उसके बच्चे प्राइवेट स्कूल में पढ़ता था पैसे की तंगी की वजह से अपने बच्चे का स्कूल छुड़ाना नहीं चाहती थी।

इसलिए कैसे भी कर कर यह अपना गुजारा करती थी।एक दिन  महिला खुद बीमार हो गई और 2 दिन से इसने दुकान भी नहीं लगाई।  धीरे धीरे जो भी पैसा रखा था वह भी खत्म हो गया। महिला का बड़ा बेटा जब भी स्कूल से वापस आया तो देख रहा है कि उसकी बहन दूध के लिए रो रही है और मां भी भूखी है सुबह से घर में खाने के लिए कुछ भी नहीं था।  अपनी बहन को रोते देख उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करें।



लड़का ने सोचा कि पड़ोस से थोड़ा सा दूध मांगकर लाता हूं और रोटी उसकी छोटी बहन उसको पी लेगी और माँ थोड़ी रोटी खा लेगी।  जैसे ही मांगने के लिए कदम बढ़ाया तब तक उसकी मां का दिया हुआ संस्कार उसे याद आया। उसकी मां ने कहा था बेटा जिंदगी में कभी भी किसी से भी भीख मत मांगना तुम हमेशा अपने दम पर कमाना और खाना।  कोई भी काम करने से शर्माना मत काम छोटा हो या बड़ा काम तो सिर्फ काम होता है।

अब उस बच्चे  कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करें क्योंकि वह इतना बड़ा भी नहीं था कि वह जाकर कोई भी काम कर सके।

भूख से रोते हुए अपनी बहन को भी वह देख नहीं पा रहा था।  उसके दिमाग में एक उपाय सूझा और वह पड़ोस की घर का दरवाजा खटखटाया।  वहां से एक सभ्य महिला बाहर निकली और बोली दरवाजा क्यों कब से खटखटा रहे हो बताओ क्या बात है।

लड़के  बोला मैडम क्या मैं आपके बाहर का जो बगीचा है उसकी पत्तियां साफ कर सकता हूं उसके बदले में आप मुझे थोड़ा सा दूध और रोटी दे देना।  उस महिला ने लड़के को डांटते हुए बोली जाओ भागो यहां से मुझे नहीं अपना बगीचा साफ करवाना। लड़के ने महिला से फिर दोबारा कहा कि मैडम मैं बहुत अच्छे से साफ करता हूं कृपया साफ करवा लीजिए ना।



महिला ने बोला कि तुम्हें थोड़ा सा दूध और रोटी चाहिए मैं ऐसे ही दे देती हूं लेकिन जाओ मुझे अपने गार्डन साफ नहीं करवाना है।  लड़के नहीं मैडम मैं आपसे दूध और रोटी नहीं ले सकता हूं क्योंकि मेरी मां ने कहा है कि कभी भी किसी से भीख नहीं मांगना जब भी खाना अपने दम पर कमाकर खाना इसलिए मैं चाहता हूं कि आप का गार्डन साफ कर दूंगा और उसके बदले जो आप रोटी और दूध दे देंगे उसे यह भी हो जाएगा कि मैंने यह रोटी दूध आपसे काम करने के बदले में लिया है।

महिला ने बोला ठीक है जाओ साफ कर लो और फिर आकर मुझसे रोटी और दूध ले जाओ।  कुछ देर बाद सारे गार्डन को अच्छी तरह से साफ कर दिया था उसके बाद उसने दोबारा दरवाजा खटखटाया तो वह महिला ने बच्चे के हाथ में एक छोटे से बोतल में दूध और रोटी और सब्जी दे दिया और कुछ रुपए भी देने लगी।

लड़का बोला मैडम मुझे रुपए नहीं चाहिए क्योंकि मेरी मां बहुत भूखी है और बहन भी भूखी है वह कई दिनों से बीमार है पहले मेरी मात सब्जी बेच आ कर दी थी और वह बीमार के कारण वह नहीं भेज पा रही है इस वजह से हमें दिक्कत हो गई है।



उस सभ्य महिला को बच्चे की खुद्दारी पर बहुत ही गर्व महसूस हुआ और बोली कि रुको मैं भी तुम्हारे साथ चलती हूं।  वह महिला बच्चे के साथ उसके घर गई और उसको मां को बोला कि आपका बच्चा बहुत बड़ा आदमी बनेगा क्योंकि इसमें बहुत खुद्दारी है इसने मेरे यहां रोटी और दूध मांगने आया था लेकिन इसने उसके बदले मेरे गार्डन की सफाई किया तब जाकर या रोटी और दूध लिया।

उस सभ्य महिला ने कुछ देर बाद ही एक डॉक्टर को साथ लेकर आई और उस महिला का इलाज करवाया और अगले दिन से उसे अपने घर पर काम करने के लिए रख लिया और बच्चों को भी एक अच्छे स्कूल में पढ़ने के लिए नाम लिखवा दिया।

दोस्तों इस कहानी से हमें यही सीख मिलती है कि अगर आप अपने कर्म से कुछ चीज पाओगे तो वह आपको एक इज्जत दिलवाए गा लेकिन अगर आप चाहोगे कि आपका हर चीज मुफ्त में मिल जाए तो वह बिल्कुल ही आपके लिए बेमानी हो गई अगर वह लड़का वहां जाकर भीख मांगता तो शायद वह औरत उसे रोटी और दूध नहीं देती लेकिन उसने अपने खुद्दारी के बल पर उस औरत का दिल जीता।  

 

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