एक थी नंगेली – कमलेश राणा

पढ़ने का बहुत शौक है मुझे,,इसी के चलते कल एक सामाजिक कुरीति ने ध्यान आकर्षित किया मेरा,दिल दहल गया उसे पढ़कर और उस कुरीति से मुक्ति दिलाने वाली महिला नंगेली के प्रति श्रृद्धा से नतमस्तक हो गई। मेरी नज़रों में नंगेली किसी वीरांगना से कम नहीं है बल्कि उसे पूजनीय कहना ही उचित होगा लेकिन … Read more

वियोग  का संयोग – विजया डालमिया

आरोही ….आरोही…. आरोही… कहकर आनंद ने उसे आवाज दी। पर वह आवाज बिना प्रत्युत्तर के उसी के पास फिर आ गई। आनंद बड़े गौर से आरोही को ही देख रहा था। उसकी आँखें …वे आँखें जिन्हें देखकर वह सब कुछ भूल जाता था। आखिर हुआ क्या है आरोही को? अचानक उसने कहा…” डॉक्टर आरोही” उसके … Read more

संस्कार शून्य  ! –  रमेश चंद्र शर्मा 

========= माता-पिता की तमाम चेतावनी और विरोध के बाद भी निधि अपने प्रेमी निमिष से शादी की जिद पर अड़ी रही । खुले माहौल और कॉन्वेंट शिक्षा में  पली-बढ़ी निधि आधुनिक विचारों और रहन-सहन को अपनाने लगी। आर्थिक स्थिति सामान्य होने के बावजूद भी निधि के पिता सुरेश उसकी हर इच्छा की पूर्ति करते। निधि … Read more

बेटियां संस्कारों के साथ ही आगे बढ़ पाएंगी – मंजू तिवारी 

क्योंकि यह पुरुष प्रधान समाज है।,,,, पापा सबके घर में केवल कनेक्शन है। आप भी घर में केवल का कनेक्शन करवा लो उसमें बहुत सारे देखने वाले प्रोग्राम आते हैं डीडी नेशनल पर कुछ भी नहीं आता,,,,, बोर हो जाते हैं।  बोर क्यों हो जाते हो,,,, समाचार लिया लगा लिया करो ,,, उसमें सारी दुनिया … Read more

बराबरी – संगीता अग्रवाल

” बहनजी हमें तो आपकी बेटी बहुत पसंद है बस लड़का लड़की दोनों आपस में बात कर लें फिर रिश्ता पक्का कर देते हैं आखिर जिंदगी तो इन्हे ही बितानी है साथ में !” लड़की देखने आई लड़के की मां स्मिता बोली। ” सही कहा बहनजी जाओ श्रीति ( लड़की) देवांश ( लड़का) को टैरेस … Read more

संस्कारहीन – गीता वाधवानी

शायद आप लोगों में से कुछ लोगों को यह विषय पसंद ना आए, लेकिन यह सच्चाई है कि कुछ लोग संस्कार हीन होते हैं और किसी की परवाह नहीं करते।  कहानी-मध्यम वर्गीय परिवार, धर्मशाला में शादी, यह वर्ग कहां कर पाता है बड़े-बड़े आलीशान होटलों में इंतजाम। निम्न वर्ग “हम गरीब हैं” कह कर छूट … Read more

हमारे दिए गए संस्कार जाया नहीं गए –  सविता गोयल

अरूण जी बार बार बरामदे का चक्कर लगा रहे थे ।  उन्हें इस तरह बेचैन देखकर उनकी बहू मीता पूछ बैठी , “क्या बात है पापाजी? आपको कुछ चाहिए क्या?” “नहीं…. बहू… वो … मैं बस यूं ही ….  वैसे तनुज नहीं आया अभी तक आफिस से”   बात घुमाते हुए अरूण जी बोले । … Read more

बुढ़ापा किसी का सगा नहीं होता – अनु अग्रवाल

“अब कान लगाए दरवाजे पर ही खड़े रहोगे या बत्ती बन्द करके सोओगे भी”- मीनाक्षी ने तीखे स्वर में कहा। “बाबूजी के खाँसने की आवाज़ बहुत देर से आ रही है….लगता है तबियत ज्यादा खराब हो रही है…….ज़रा देखकर आता हूँ” बस इतना ही कहना था रामानुज जी का…कि मीनाक्षी बिफर पड़ी…….देखकर क्या आते हो….ऐसा … Read more

संस्कार हमारी थाती – कुमुद चतुर्वेदी

कुहू और पिहू दोनों बहनें रोज स्कूल से शाम चार बजे तक लौटती थीं।फिर एक घंटे में नाश्ता,दूध,फल खाकर पाँच बजे तक ट्यूशन पढ़ने चली जातीं।वहाँ से छैः बजे वापिस आकर थोड़ा टी.वी.या बीतचीत में समय निकल जाता और रात को खाना खाकर पढ़तीं थीं।दस बजे सोने का समय था।सुबह फिर पाँच बजे उठना और … Read more

तुम्हारी मॉं के संस्कार..!! – भाविनी केतन उपाध्याय 

  कृष्णकांत जी पलंग पर लेटे-लेटे सोच रहे हैं और उनकी आंखों से अश्रु बह रहे हैं, नन्हा पांच साल का उनका पोता भौतिक जो पास में बैठकर खिलौने से खेल रहा है। उसने अपने दादाजी को रोते देख अपनी मा सुनिता को पुकारा, “मां देखो ना दादाजी रो रहे हैं।” सुनिता जो रसोईघर में … Read more

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