संस्कारहीन – गीता वाधवानी

शायद आप लोगों में से कुछ लोगों को यह विषय पसंद ना आए, लेकिन यह सच्चाई है कि कुछ लोग संस्कार हीन होते हैं और किसी की परवाह नहीं करते। 

कहानी-मध्यम वर्गीय परिवार, धर्मशाला में शादी, यह वर्ग कहां कर पाता है बड़े-बड़े आलीशान होटलों में इंतजाम। निम्न वर्ग “हम गरीब हैं” कह कर छूट जाते हैं और अमीर तो अमीर हैं, फंसता तो हर हाल में मध्यमवर्ग ही है। ऐसे में भाई की शादी हो और विवाहित या अविवाहित बहन खूब सज धज कर ना नाचे ऐसा कैसे हो सकता है। 

     ऐसे ही मेहमानों से भरी एक धर्मशाला में भाई विनोद के विवाह की खुशी में विवाहित बहन बबली भी खूब बन ठन कर नाच रही थी। उसका विवाह 3 साल पूर्व ही प्रकाश से हुआ था।उसका 1 साल का बेटा भी था। उसे शादी के बाद पता चला कि उसका पति शराबी था। कभी-कभी तो खुशी या गम का बहाना करके कुछ ज्यादा ही पी लेता था। उसकी मां उसे हल्का-फुल्का डांट भी देती थी पर वह किसी की नहीं सुनता था। और फिर शादी वाले दिन वही हुआ जिस बात का डर था। 

     उधर बारात निकलने के लिए लोग तैयार हो रहे थे उससे कुछ देर पहले ही प्रकाश ने बहुत शराब पी ली और बबली का हाथ पकड़ कर बोला” चल”। 

बबली ने उसका हाथ झटक दिया और उसकी बात अनसुनी कर के दूसरी तरफ मेहमानों के पास चली गई। प्रकाश उसके पास फिर से पहुंच गया और फिर उसका हाथ पकड़ लिया। बबली ने फिर से हाथ झटक दिया और मेहमानों के साथ हंसी मजाक में उलझी रही। ऐसा दो-तीन बार हुआ। यह सब बातें बबली की मां और सास दोनों ही नोटिस कर रही थी। 




      बबली के ध्यान ना देने पर, प्रकाश अपना आपा खो बैठा और जोर-जोर से गालियां देकर चिल्लाने लगा और कहने लगा कि अब मैं शादी में चलूंगा ही नहीं। 

    फिर चारों तरफ लोगों में कानाफूसी होने लगी कि क्या हुआ? 

     बबली की मां ने बबली से पूछा-“आखिर बात क्या है?” 

बबली पहले तो  झिझकती रही फिर बहुत मुश्किल से और उदास होकर उसने बताया कि-“मां, मेरे पति ऐसी  हरकतें घर पर करते रहते हैं लेकिन मुझे यह पता नहीं था कि इतने मेहमानों के बीच भी ऐसा करेंगे। पूरी दुनिया को पति पत्नी का रिश्ता क्या होता है, यह पता है पर उस रिश्ते की नुमाइश करना क्या जरूरी है। ऐसे शादी के माहौल में, सबके सामने मुझे खींच कर अलग  कमरे में, फिजिकल होने के लिए ले जाने की जिद करना क्या संस्कारी होने की निशानी है। यह जिद क्या सही है। मुझे कितनी शर्म आ रही है मैं कैसे बताऊं। और इतना चिल्ला रहे हैं कि सब लोग पूछ रहे हैं कि क्या हुआ। मां, क्या बताऊं सबको?” 

     बबली की मां ने कहा-“तू परेशान मत हो, मैं तेरी सास से बात करती हूं।” 




बबली की मां ने उसकी सास से कहा-“बहन जी, अपने बेटे को जरा समझाइए, एक तो इस समय वह पीकर आया है और कैसी जिद कर रहा है, सारे मेहमान क्या सोचेंगे।” 

बबली की सास प्रकाश को समझाने की बजाय उल्टा भड़क गई और समधन से बोली-“अपनी पत्नी से ही तो जिद कर रहा है, किसी और से तो नहीं। अपनी पत्नी से नहीं कहेगा तो किससे कहेगा।” 

बबली की मां-“लेकिन बहनजी, हर बात का एक उचित समय होता है। यहां धर्मशाला मेहमानों से भरी हुई है शादी का वक्त है, कुछ समझ और संस्कार भी रखने चाहिए इंसान को।” 

बबली की सास गुस्से में बोली-“तो क्या मेरा बेटा आपको संस्कार हीन लगता है?” 

धीरे-धीरे कानाफूसी होते-होते यह बात सारे मेहमानों में फैल गई। कुछ लोग तो मुंह पर हाथ रख कर हंसने भी लगे। कई लोगों ने बबली को समझाना भी शुरू कर दिया।”बेटी, मन मार कर या फिर प्रकाश को संस्कार हीन आदमी समझकर, उसकी बात मान ले क्योंकि दामाद के बिना तो बरात जा नहीं सकती और वह इस समय किसी की नहीं सुन रहा है। हम समझ सकते हैं कि तुझ पर क्या बीत रही है। तेरे भाई की शादी में इसने रोड़ा अटका दिया है।” 

      और फिर बबली को अपने पति के साथ अंदर जाना पड़ा। उसका मन फूट-फूट कर रो रहा था। भाई की शादी की सारी खुशी काफूर हो चुकी थी और जब वह बाहर आई तो उसे ऐसा लग रहा था कि सारे मेहमानों की आंखें सिर्फ उसे ही देख रही है। मानो वह शर्म से जमीन में गढ़ी जा रही थी। बबली एकदम बुझ सी गई थी और उसका बेशर्म पति बारात में कूद कूद कर नागिन डांस कर रहा था। 

गीता वाधवानी दिल्ली

 

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