खून – कंचन श्रीवास्तव
साल पुजने को आया पर अपनो के बीच आई दूरियां सिमटने का नाम नहीं ले रही। सुन सुन के औरों से थक गई है अपनी गलतियां। जिसका असर किसी पर पड़े ना पड़े पर उसकी सेहत पर साफ नज़र आ रहा। जीना तो उसने नहीं छोड़ा वो भला कोई छोड़ सकता है जब तक सांसें … Read more