खुशी चाहिए तो खुशी बांटनी पड़ती है

संतोष कल सुबह जल्दी आ जाना तुम्हें तो पता ही है कि कल मेरी बेटी राधिका का जन्मदिन है और हाँ कल तुम्हें  मेरी बेटी के जन्मदिन की खुशी में ₹1000 एक्स्ट्रा भी मिलेंगे।  वैसे तो संतोष कल छुट्टी करना चाहता था क्योंकि उसके बेटे का भी कल जन्मदिन है उसकी पत्नी 10 साल पहले  … Read more

सोने का हार

अपने मां-बाप की इकलौती बेटी शालिनी बचपन से होनहार थी।  जैसे ही थोड़ी बड़ी हुई वह अपने से छोटे बच्चों को ट्यूशन पढ़ाने लगी और अपने पढ़ाई का खर्चा अपने ट्यूशन के पैसे से  निकाल लेती थी।   उसके पापा की गांव में ही किराने की दुकान थी।  वह बड़ी होकर डॉक्टर बनना चाहती थी … Read more

सच्चा इंसान

बात उन दिनों की है जब मैं दिल्ली यूनिवर्सिटी में पढ़ा करती थी।  कॉलेज खत्म होते ही कॉलेज के गेट पर एक छोले भटूरे वाले अंकल अपनी रेड़ी लगते थे।  भूख इतनी तेज लगी होती थी कि बिना खाए रहा नहीं जाता था।  एक  दिन की बात है हम चारों सहेलियां ने छोले भटूरे का … Read more

हां मैंने एक पिता गोद लिया है – मुकेश कुमार

मेरा नाम राकेश कुमार है मैं बचपन से ही मेरे पिता नहीं हैं । मैं हर सप्ताह रविवार के दिन  एक वृद्ध आश्रम में जाता हूं और वहां पर अपने घर से अच्छा खाना बना कर वृद्ध आश्रम में रह रहे बुजुर्गों को खिलाता हूं।  उन बुजुर्गों में ही मैं अपनी मां बाप को महसूस … Read more

सफ़र मे बने हमसफ़र – मुकेश कुमार

नैना एक लड़के से प्यार करती थी और उसी से शादी करना चाहती थी लेकिन उसके घर वाले उस लड़के को पसंद नहीं करते थे क्योंकि वह उसके कास्ट का नहीं था उसके पापा  अंतर्जातीय  विवाह के खिलाफ थे उनका मानना था कि शादी -विवाह अपने ही कास्ट में करना चाहिए। 1 दिन नैना उस … Read more

मुझ जैसी बुरी सास के लिए तुमने इतना क्यों किया बहू

सलोनी की आज गोद भराई की रस्म थी.  सलोनी एक संयुक्त परिवार की छोटी बहू थी बड़ी जेठानी की लड़के की चाह मे  4 लड़कियां हो गई थी।  अब सब की उम्मीदें  सलोनी से ही थी की सलोनी इस बार बेटा पैदा करेगी।  लेकिन उनको यह नहीं पता कि बेटा या बेटी होना किसी इंसान … Read more

बुजुर्ग समय चाहते हैं पैसा नही – मुकेश कुमार

नेहा ने कहा,” मम्मी , दादाजी   कई बार कह चुके  हैं कभी मुझे भी अपने साथ रेस्टोरेंट्स ले जाया करो.” मम्मी  बोली , ” ले तो जायें पर चार लोगों के खाने पर कितना खर्च होगा. याद है, पिछली बार जब हम तीनों ने डिनर लिया था, तब सोलह सौ का बिल आया था. … Read more

संस्कार अपना अपना -मुकेश कुमार

एक परिवार में 4 देवरानी जेठानी रहती थी । शादी के 15 साल हो गए थे लेकिन अभी भी सबसे बड़ी जेठानी को कोई बच्चा नहीं हुआ था। उस से छोटी तीन देवरानियों के बेटे स्कूल में पढ़ने लगे थे वह भी इंग्लिश मीडियम स्कूल में क्योंकि तीनों देवर सरकारी नौकरी करते थे। बड़ी जेठानी … Read more

सम्बंध – डा. अशोकालरा

वह फुटपाथ पर बैठ कर अखबार और कागज़ के लिफ़ाफ़े बेचता था। होगा कोई तेरह-चौदह साल का सहज सरल व्यवहार का बालक। जाने क्यों उधर से आते-जाते, अखबार लेते, मैं उससे लगाव महसूस करने लगा। शाम को कुछ देर उसके पास बैठ कर, खबरें पढ़ता और कभी-कभी बिना जरूरत के ही उससे लिफ़ाफ़े भी खरीद … Read more

रिश्तो की पहचान – मुकेश कुमार

आकृति और समीर नोएडा के एक सॉफ्टवेयर कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर थे दोनों कंपनी में एक दूसरे के अगल-बगल ही बैठते थे इसीलिए उन दोनों में दोस्ती हो गई और यह दोस्ती धीरे-धीरे प्यार में तब्दील हो गई। 1 दिन लंच के समय समीर और आकृति बैठकर लंच कर रहे थे तभी आकृति ने कहा … Read more

error: Content is Copyright protected !!