मुझ जैसी बुरी सास के लिए तुमने इतना क्यों किया बहू

सलोनी की आज गोद भराई की रस्म थी.  सलोनी एक संयुक्त परिवार की छोटी बहू थी बड़ी जेठानी की लड़के की चाह मे  4 लड़कियां हो गई थी।  अब सब की उम्मीदें  सलोनी से ही थी की सलोनी इस बार बेटा पैदा करेगी।  लेकिन उनको यह नहीं पता कि बेटा या बेटी होना किसी इंसान के हाथ में नहीं है यह तो ईश्वर के हाथ में है लेकिन फिर भी सलोनी की सास  अपनी बहू से कहती बहु कुछ भी हो जाए तुम्हें बेटा ही पैदा करना है नहीं तो हमारा खानदान खत्म हो जाएगा । 

सलोनी के मायके वाले के आते ही गोद भराई की रस्म शुरू हो चुकी थी। सलोनी की सास निर्मला जी ने सलोनी से कहा, “देखो बहू अब तुम ही से इस खानदान को आस है क्योंकि इस खानदान का चिराग तुम ही पैदा कर सकती हो बड़ी बहू से तो आस ही नहीं है उसने तो अब जबरदस्ती ऑपरेशन करवा लिया।  लेकिन तुम्हें तो बेटा पैदा करना है।   निर्मला जी की बात का  जवाब देते हुए सलोनी की मां ने कहा, “समधन जी लड़का या लड़की होना यह इंसान के बस की बात नहीं है और फिर आज के जमाने में बेटे और बेटियों में कोई अंतर नहीं है भगवान जो भी दे उसे भगवान की प्रसाद समझकर स्वीकार कर लेना चाहिए फिर यह मेरी बेटी के हाथ में नहीं है कि बेटा पैदा हो या बेटी पहली बार में जो भी हो जाए वह ठीक है।  भगवान से यह दुआ कीजिए कि बेटा हो या बेटी स्वस्थ पैदा हो। 



निर्मला जी सलोनी की मां से बोली, “देखिए समधन जी मैं कुछ नहीं जानती मुझे तो बस पोता  ही चाहिए पोते का मुंह देखे बगैर मैं इस दुनिया से रुखसत होना नहीं चाहती।” 

सलोनी का पति अमित का एक डॉक्टर से जान पहचान थी और उन्होंने लिंग जांच कर यह पता लगा लिया कि सलोनी के गर्भ में लड़का है या लड़की।  जब उसकी सास को पता चल गया कि सलोनी कि गर्भ में लड़की है उस दिन के बाद से सलोनी से सही ढंग से बात नहीं करती थी। जब तक निर्मला जी को पता नहीं था कि सलोनी के गर्भ में लड़का है या लड़की सलोनी की खूब सेवा करती थी जैसे ही उनको पता चल गया कि सलोनी कि गर्भ में लड़की है तो उन्होंने सलोनी की तरफ ध्यान देना बिल्कुल ही छोड़ दिया।  यहां तक कि उन्होंने कई बार सलोनी को गर्भ गिराने के बारे में भी सलाह दे चुकी थी।  लेकिन सलोनी ने ठान लिया था कि कुछ भी हो वह अपने अंश को जन्म देगी। 

देखते-देखते 9 महीने कब बीते पता भी नहीं चला और आखिरकार सलोनी ने एक सुंदर सी फूल सी बच्ची को जन्म दिया। हॉस्पिटल में नर्स ने जब निर्मला जी को सलोनी की बेटी को पकड़ाया तो उन्होंने पकड़ तो लिया लेकिन ऐसे पकड़ी हुई थी जैसे हाथ में किसी इंसान के बच्चे को नहीं बल्कि कोई गंदी चीज को पकड़ी हुई हो। 

सलोनी जब हॉस्पिटल से घर आई तो उसकी सास अब  सलोनी से ढंग से बात भी नहीं करती थी सलोनी की बच्ची को तो कभी गलती से भी नहीं छूतीं  थी।  लेकिन एक बात अच्छी थी कि सलोनी की जेठानी बहुत अच्छी थी उसने भी अपने सास से इस तरह का  बर्ताव झेली हुई है। 

सलोनी ने अपनी बच्ची का नाम श्रद्धा रखा लेकिन वह अपनी दादी का प्यार नहीं पा सकी वह जब भी दादी  निर्मला जी के पास जाती दादी उसे डांट कर भगा देती। 



5 साल बाद सलोनी दोबारा से मां बनी इस बार भी वह बेटी को ही जन्म देने वाली थी।  इस बार तो सलोनी की सास निर्मला जी ने अपने बेटे को भी अपने फेवर में कर लिया था और उन्होंने अपनी बहू सलोनी पर बहुत दबाव दिया बच्ची को गर्भ में ही मार देने के लिए।  लेकिन इस बार भी जिद करके सलोनी ने अपनी बेटी को जन्म दिया। 

 समय ऐसे ही अपनी रफ्तार में चलता रहा। 

उसकी सास को कई दिनों से पेट में दर्द रह रहा था ऐसे ही दर्द की दवाई लेकर खा लेती थी कुछ दिन के लिए आराम हो जाता लेकिन फिर दर्द करने लगता जब बड़े डॉक्टर से दिखाया गया तो उसने जांच कर बताया कि सलोनी की सास की दोनों किडनी खराब हो चुकी है।  डॉक्टर ने सलोनी के  पति से कहा, “अमित जी  अगर आप चाहते हैं कि आपकी मां जिंदा रहे तो आपको जल्द से जल्द किसी न किसी की किडनी तुरंत लगवानी पड़ेगी नहीं तो फिर हम आपकी मां को बचा नहीं सकते हैं।” 

जब सबको पता चला कि निर्मला जी की दोनों किडनी खराब हो गई है और उन्हें 1 महीने के अंदर अगर किडनी डोनेट नहीं किया गया तो उन्हें बचाया नहीं जा सकता है।  कोई भी तैयार नहीं हुआ किडनी डोनेट करने के लिए।  आखिर में निर्मला के पति यानी सलोनी के ससुर जी अपनी पत्नी को बचाने के लिए अपना एक किडनी डोनेट करने के लिए तैयार हो गए। 

 लेकिन उनकी किडनी अपनी पत्नी के साथ मैच ना हो सकी।  उन्होंने अपने बेटे से आग्रह किया अपनी मां को किडनी डोनेट कर दो और मेरी पत्नी यानी अपनी मां को बचा लो।  सलोनी का पति  अमित ने कहा,” पापा मैं किडनी  कैसे दे सकता हूं मेरे सामने अभी तो पूरा जीवन पड़ा हुआ है।” 

एक दिन सुबह-सुबह सलोनी अपने ससुर के कमरे में गई और ससुर को बोली, “पापा जी मैं सासू मां को अपना किडनी डोनेट करूंगी।”  ससुर ने अपनी बहू को समझाया, “जाने दो बहू अब तो तुम्हारी सास वैसे भी बूढ़ी  हो गई है तुम्हारे सामने तो तुम्हारी पूरी जिंदगी पड़ी है तुम्हें कुछ हो गया तो हमारी पोतियों की देखभाल कौन करेगा नहीं बहू रहने दो तुम।”  लेकिन सलोनी ने जिद कर  अपनी सास को किडनी डोनेट करने के लिए अपने ससुर जी को तैयार कर लिया।  उसने अपने ससुर से कहा, “जब से मैं बेटी की मां बनी हूं अपनी सासू मां की प्यार की लिए तरस गई हो शायद इसके बाद सासू मां अपनी बेटी ना सही कम से कम बहू के रूप में ही अपने दिल में जगह दे पाए।” 

 सलोनी अपने पति के साथ हॉस्पिटल जाती है।  टेस्ट के बाद पता चलता है कि सलोनी की किडनी उससे मैच कर गई। 

 लेकिन सलोनी कि सास इस  बात से अनजान थी कि उनको कौन किडनी डोनेट कर रहा है। 



 आखिर वह दिन आ गया था जब ऑपरेशन करना था। 

 सलोनी के  ससुर अपनी बहू और अपनी पत्नी  की सलामती की प्रार्थना ईश्वर से कर रहे थे की ऑपरेशन सक्सेसफुल हो। 

 लगभग 3 घंटे ऑपरेशन करने के बाद डॉक्टरों ने बताया कि ऑपरेशन सक्सेसफुल रहा। 

 होश में आने के बाद सलोनी की सास निर्मला जी ने अपने पति से कहा, “मैं जानना चाहती हूं कि किसने मुझे अपना किडनी डोनेट किया है मुझे उसे थैंक यू कहना है।” 

 निर्मला जी को जब पता चला सलोनी ने उनको अपनी किडनी डोनेट करी है  तो वह सिसक-सिसक  रोने लगी। 

उन्होंने अपने पति से कह कर तुरंत सलोनी को अपने पास बुलाया। 

 “सलोनी मेरी  बच्ची मैं माफी के लायक तो नहीं हूं पर हो सके तो मुझे माफ कर दे बहू, मैंने कभी तुम्हें प्यार अपनापन नहीं दिया जिसकी तुम हकदार थी।  पोता और पोती होना तो ईश्वर की देन है लेकिन मैं तुम्हें बात बात पर अपमानित करती रही मुझ जैसी बुरी सास के लिए तुमने इतना किया कि कोई सगी बेटी भी ऐसी नहीं कर सकती थी दोबारा मुझे नई जिंदगी देने के लिए शुक्रिया बहू।” 

 “बस मम्मी जी आपको कुछ नहीं होगा।  मैं तो बस यही चाहती थी इसी बहाने आप के दिल में छोटी सी जगह बन जाए आपका प्यार और आशीर्वाद मिल जाए मेरे लिए वही बहुत है आप स्वस्थ हो गई यह जानकर मुझे बहुत खुशी हो रही है।”

 कुछ ही देर में निर्मला जी का सारा परिवार उनके पास खड़ा था खासकर की अपनी पोतियों को अपने पास बुलाया और कहां मैं भूल गई थी कि लड़कियां सच में  देवी का रूप होती है।  मेरा बेटा जो मेरा अपना खून था उसने मुझे किडनी देने से मना कर दिया लेकिन बहू जो किसी दूसरे की खून है लेकिन अपनी बेटी से भी सगी निकली। निर्मला जी ने अपनी सभी पोतियों  को गले लगा रही थी और गले लगा कर फफक फफक कर रो रही थी। 

 इधर सलोनी खड़ी होकर आंखों में आंसू लिए सोच रही थी कि आज अपनी सास की प्यार पाने के लिए उसने कितनी बड़ी कीमत चुकाई है।

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