पुण्य कमाई – दर्शना जैन

स्कूल में आयोजित चित्रकला प्रतियोगिता में गोपाल प्रथम आया। पुरस्कार लेने वह मंच पर गया, प्रिंसिपल ने उसे बधाई

दी और पूछा कि बेटा, अपने प्रथम आने पर तुम कुछ कहना चाहते हो? गोपाल बोला – सर, यह पुरस्कार मुझे मेरी माँ की वजह से मिला है।

     प्रिंसिपल ने जमुना को मंच पर आमंत्रित किया। जमुना आयी, गोपाल बोला,” ये मेरी मम्मी है और वे मेरी माँ है, इशारा विमला जी की ओर था। मम्मी की बहुत इच्छा थी कि मुझे ड्राइंग क्लास भेजे परंतु फीस के पैसे न होने से वे मुझे भेज नहीं सकी तब मेरी माँ ने मेरी मम्मी की इच्छा जान मुझे अग्रवाल सर के पास ड्राइंग सीखने भेजा और मेरी फीस भी जमा कर दी।”

      गोपाल के मुख से अपने लिये माँ शब्द सुनकर विमला जी ने मंच पर आकर गोपाल को गले लगा लिया। वहाँ खड़ी जमुना ने विमला जी के पैर छू लिये, उसकी आँखों में हर्ष के आँसू थे। यह दृश्य देख वहाँ उपस्थित हर कोई हैरान था। प्रिंसिपल ने विमला जी से उनके, जमुना व गोपाल के रिश्ते को समझाने का आग्रह किया। विमला जी ने एक गाने के बोल गुनगुना दिये – ” सिर्फ अहसास है ये, रूह से महसूस करो। प्यार को प्यार ही रहने दो, कोई नाम न दो।”

   जमुना ने विमला जी के लिये कुछ कहने की इच्छा जाहिर की। प्रिंसिपल ने उसे माइक देकर कहा कि बिल्कुल कहिये, हम भी विमला जी के विषय में जानना चाहेंगे, और आप उनसे कहाँ मिली यह भी बताइये। जमुना बोली,” विमला मैडम जैसी महिला हर संपन्न घर में हो तो गरीबी के मारे हर गोपाल के सपनों को आसमान मिल सकता है। आपने मुझसे पूछा कि मेरा उनसे मिलना कहाँ हुआ तो मेरा हर रोज उनके घर जाना होता है, उनकी कामवाली जो हूँ। आज जब कई लोग अपनों की मदद करने से पीछे हटते हैं वहीं विमला मैडम मेरे बेटे की सहायता करने आगे आयी। मैं अपने बेटे को जो न दे सकी वह उन्होंने…।” कहते-कहते जमुना की सिसकियाँ बंध गयी।


     विमला जी ने जमुना को बाहों में भरते हुए कहा,” जमुना, मैंने कुछ नहीं किया, जो किया वह गोपाल की काबलियत ने किया। एक सच बात बताऊँ, जो मैंने किया उसके पीछे मेरा भी स्वार्थ था। जब कभी गोपाल तुम्हारे साथ आता था, उसे देख मन कहता कि अगर मैं माँ होती तो मेरा बेटा भी गोपाल जितना ही बड़ा होता। वैसे आज एक तथ्य मैंने जाना कि सिर्फ माँ ही बच्चे को जन्म नहीं देती है, एक बच्चा भी माँ को जन्म दे सकता है जैसे गोपाल ने मुझे दिया।”

   वहाँ उपस्थित सभी एक बार फिर हैरान थे, सभी की जुबान पर विमला जी की तारीफ थी। प्रिंसिपल ने कहा,” विमला जी, आपका कृत्य स्तुत्य है। आपके किये ने यह बता दिया कि जब तक आप जैसे लोग हैं, समाज में इंसानियत बनी रहेगी। गोपाल ने आपके अंदर की माँ को और आपने एक सुंदर अनाम रिश्ते को जन्म दिया है।”

   विमला जी बोली कि दिल से बने रिश्ते को नाम की जरूरत भी नहीं है। सभी की आँखों में नमीं थी और साथ में एक निश्चय भी था कि हम भी इस दिशा में कदम बढ़ाकर कुछ।पुण्य कमायेंगे।

दर्शना जैन

खंडवा मप्र

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