पता नहीं किस ज़माने में जी रही हो माँ – मीनाक्षी सिंह : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : माँ…. कितनी बार बोला तुमसे कि कोई मेहमान आयें तो बाहर मत आय़ा करो… एक तो कपड़े ऐसे पहनती हो… ऊपर से आपकी भाषा ऐसी है …. जमाना कितना बदल गया है …… अब मैं सिर्फ अब आपका बेटा ही नहीं हूँ….. एक डॉक्टर हूँ…. हर तरह के लोग मिलने आतें है मुझसे….. और बहू भी तुम्हारी मोडर्न ज़माने के हिसाब से चलने वाली आगे  आने वाली  गायनोकोलोज़िस्ट है ….. अब तो बदलो ज़माने के हिसाब से… प्लीज माँ…. कितना खराब लगा मुझे… जब डॉक्टर त्रिपाठी आयें और आप उनके सामने ही सोफे पर बैठके सुड़ककर कटोरे में चाय पीने लगी…. एक पल को तो वो आपको मानसिक रुप से अस्वस्थ समझे……

आज बेटे राजन का गुबार निकल रहा था… अभी अभी बस वो अपने सीनियर डॉक्टर को बाहर ड्रोप करके आया था….

बचवा…. भले ही तू डॉक्टर बन गया है …. पर ये क्यूँ भूल जाता है कि कितने गरीबी हालातों से पाल पोषकर , तुझे पढ़ा लिखाकर तेरे बाऊ जी ने तुझे यहां तक पहुँचाया  है…..और गांव के ही है  हम….. जब अब तक आदत ना छूटी तो अब क्या ही जायेगी…..

मेरी तेरे पापा के सोफे पर बैठके ही चाय पीने की आदत रही है …. वो तो इस जन्म में जाने से रही…. और कपड़े में का बुराई है … फटे तो ना है ,,, साफ सुधरे घड़ी टिकीय़ा के धुले है …. देख कैसी खूशबू आती है …… भाषा तो मैं गांव की ही बोलूँ हूँ….. चाय जल्दी ठंडी हो जावें है कटोरे में….. डॉक्टर साहब जो आयें तेरे बड़े मन से बात कर रहे थे मेरे संग…..

राजन की माँ लाजवती बोली….

इन्हे समझाने का कोई मतलब नहीं राजन… ऐसा करो…. मम्मीजी को वो पीछे वाला कमरा दे दो… सारी व्यवस्था वहीं कर दो इनकी… इनका सोफा भी वहीं डलवा दो… इन्होने मुझे भी कई बार इम्बैरिश् किया है सबके सामने…. सब ज़रूरी चीजें राकेश (नौकर) वहां पहुँचा दिया करेगा….. इन्हे बाहर निकालने की ज़रूरत ही नहीं….. फिर चाहे कटोरे में चाय पिये य़ा कूकर में…… बहुत ज्यादा गंवार है ये…..

बहुरानी राशि गुस्से में बोली…..

हां सही बोल रही हो राशि…. वहीं ठीक रहेगा इनका बन्दोबश्त ….. फिर कोई भी आयेगा तो ये सामने नहीं पड़ेगी…..

बेटा राजन पत्नी से सहमति जताते हुए बोला….

बचवा…. बहू….. उस कमरे में तो तुम दोनों अपने कुत्तो को सुलाते हो ना …. वहां कैसे रह पाऊंगी मैं …..

माँ रात को ही सोते है वहां शैंकी और उसके बच्चे…. कमरा काफी बड़ा है ….. आप क्या और चार लोग रह ले उसमे…..

पता है मुझे बचवा…. मुझे क्या बता रहा ……तेरे बाऊ जी का ही बनवाया हुआ है ….पर  बदबू तो आयेगी ना …….

बेचारी माँ बोली….

कोई बदबू नहीं आयेगी… आपकी वजह से हमें कितनी दिक्कत आ रही है उसका क्या …. फैसला हो गया है मम्मी जी….

बहूरानी अपने फैसले पर अडिग थी…..

अगले दिन से बेबश माँ की एक ना चली… उन्हे जनवारों वाले कमरे में रहने को विवश कर दिया गया…..

15 दिन हुए होंगे उन्हे रहते हुए….. तभी एक वकील आया…. बहू राशी , बेटे राजन और माँ लाजवती जी को बुलाया उसने…..

हां तो लाजवती जी फैसला सुना दिया है आपने इन्हे य़ा मैं सुनाऊँ??

वकील बोला….

कैसा फैसला माँ??

विच डीसिजन ??

दोनों बेटे बहू एक साथ लाजवती जी के चेहरे की तरफ देखते हुए  बोले…..

बहू….बचवा….. मैने वो का कहते है वसीयत करवा दी है …..

हम तो आपके एकलौते बहू बेटे है ना फिर कैसी वसीयत माँ??

बेटा राजन बोला….

बचवा… मैने तेरे बाऊ जी का ये घर अपने नाम रखा है …. इस घर में तू और बहू नहीं रह सकते अब से……… बाकी जमीन जायदाद मैने अपने परिवार के जेब से तंग लोगों में बांट दी है …कम से कम उनके घर जाऊंगी तो इज्जत से दो रोटी तो पूछेंगे………सब कुछ लिखवा दिया है कागजों में…….

लाजवती जी बोली…..

पर माँ….. आप ऐसा कैसे कर सकती है ……

बेटा राजन घबराया हुआ था…..

हम कोर्ट ज़ायेंगे…. इट्स ईल्लीगल …..

बहू राशि झल्लाते हुए बोली….

लाजवती जी कुछ भी कर सकती है …. सब कुछ इनके नाम है ……

वकील बोला…..

पर माँ आपको हमारे बारे में सोचना चाहिये था…..

राजन बोला….

बचवा  बहुत सोचने के बाद ही फैसला लिया है ….. तूने ही कहा था ना किस ज़माने में जी रही हो माँ….. तो आजकल के ज़माने में माँ बाप भी स्वार्थी हो गए है बचवा…….. तो मैं भी हो गयी…. ज़माने के साथ मिलकर चल रही हूँ….. अब पीछे ना हूँ बचवा ज़माने से…. अब तो तू खुश है ….. वैसे भी तुम दोनों डॉक्टर बन गए हो… पैसे की कोई कमी नहीं होगी तुम लोगों पर …..

पर माँ अभी हम डॉक्टर बने नहीं है पूरी तरह से….. अभी तो बहुत स्ट्रगल फेस करनी है …..

तू ही तो बोला बेटा डॉक्टर बन गया है तू …..

ये सब बातें आप लोग करते रहियेगा…. अगले 7 दिनों में आप दोनों को लाजवती जी का ये घर खाली करना होगा….

वकील बोला…..

राजन और पत्नी राशि एक दूसरे का चेहरा देख रहे थे…. लाजवती जी कटोरे में सोफे को आगे वाले कमरे में  करवाके चाय सुड़क रही थी…..

मीनाक्षी सिंह की कलम से

आगरा

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