अपनों की अहमियत – संगीता अग्रवाल 

ये क्या खुशी और अथर्व तुम दोनों फिर फोन में लग गए हो !” तृप्ति ने अपने दोनों बच्चों से कहा। ” और क्या करें मम्मा स्कूल की छुट्टियां है कुछ काम नहीं करने को तो फोन ही चलाएंगे ना !” बारह साल का अथर्व बोला। ” और नहीं तो क्या !” दस साल की … Read more

मायके की दीवाली – शुभ्रा बनर्जी 

“मम्मी! हम इस बार भी दीवाली नहीं मनाएंगे क्या?” आशू की मायूस आवाज सुनकर नेहा सहम गई।”क्यों बेटा? तुमने ऐसा क्यों सोचा? नेहा ने उसे पुचकारते हुए पूछा। “मम्मी काॅलोनी में सभी के यहां दीवाली की तैयारी शुरू हो गई है।और तुम हो कि पिछले कई दिनों से ऐसे ही गुमसुम बैठी हो।”बोलो ना मम्मी … Read more

स्नेह का बंधन – निभा राजीव “निर्वी”

“गिरिधर भैया, तुमसे मैंने कितनी देर पहले शटल कॉक लाने को कहा था बाजार से, पर तुम अभी तक लेकर नहीं आए। कामचोरी की भी हद होती है। एक काम भी बोल दूं तो ढंग से नहीं होता तुमसे।” … सुमित की आंखें गुस्से से जैसे आग बरसा रही थी। “तू इस नालायक से काम … Read more

याचक – डा. पारुल अग्रवाल  : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : पापा के जाने के बाद परिवार में भाइयों में संपत्ति के विवाद हो गया। विवाद इतना बढ़ा कि वो मां को भी तभी रखने को तैयार थे जब नूतन अपने हिस्से को भी भाइयों के नाम कर दे। नूतन को अपना हिस्सा देने में भी कोई समस्या नहीं थी पर … Read more

समय का चक्र – स्वप्निल “आनंद” : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : सरिता जी प्रत्येक गर्मी की छुट्टियों में अपने दोनों बेटों को लेकर अपने मायके चली जाती थीं। उनके मायके में उनका छोटा भाई, भाई की पत्नी ऋतु और उनके 2 छोटे–छोटे बच्चे थे। गांव का समाज था, इसलिए सामाजिक प्रचलनों का भी पालन करना अनिवार्य माना जाता था। सरिता जी … Read more

प्रतिस्पर्धा- मंगला श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : सुहाना और सविता दोनो बहनें थी। सुहाना बड़ी थी और सविता उससे चार साल छोटी थी । सुहाना को बचपन से ही विहान और संजीता ने बहुत लाड़ प्यार से पाला था क्योंकि उसका जन्म उन लोगो की शादी के काफी दिनों बाद बहुत मान मन्नत से हुआ था, लेकिन … Read more

लड़के वाले (भाग -9) – मीनाक्षी सिंह : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : जैसा कि आप सबने अभी तक पढ़ा कि नरेश जी अपने बड़े बेटे उमेश जो कि फौज में हैं,,के लिए भुवेश जी के यहां लड़की देखने आयें हुए हैं… पहली बार तो लड़के वालों को लड़की शुभ्रा बिल्कुल पसंद नहीं आती .. पर वीनाजी(उमेश की माँ) के कहने पर लड़की … Read more

एक थी श्रद्धा…..  – विनोद सिन्हा “सुदामा”

आप समझते नहीं पापा…आपके खयालात आज भी वही पुराने और घिसेपिटे हैं… अब मैं बड़ी हो गई हूँ..और अपना अच्छा बुरा सोच सकती हूँ.और मुझे मेरा फैसला लेने का पूरा अधिकार है.. लेकिन बेटा …..ऐसी भी क्या जल्दी…पहले उसे समझ तो ले..जान ले अच्छी तरह क्या करता है..कहाँ रहता है..घर परिवार कैसा है… विकास जी … Read more

टांग अड़ाना – सरोज माहेश्वरी : Moral Stories in Hindi

हॉल में सजे मेडलों को देखकर लालाराम जी बोल उठे..अरे सुहानी! ये तुम्हारे दौड़ में मिले मेडलों से क्य़ा फायदा , तुम पी. टी ऊषा तो बनने वाली हो नहीं फिर क्य़ों  दौड़ भाग के चक्कर में पड़ी हो.. अरे शेखर! खिलाड़ी बनाने में क्यों बेटी का समय बर्बाद कर रहे हो। थोड़ी देर बाद … Read more

“अर्धांगिनी…. – रेणु मंगल : short story with moral

घूमने का शौक किसे नहीं होता और ये तब और भी खुशनुमा बना जाता है जब किसी युवा जोड़े की शादी हुई हो और वह एकसाथ घूमने जाएं मोहन और सुधा की शादी को भी बस महीना भर ही हुआ था कम्पनी से पूरे पंद्रह दिनों की छुट्टी मिली थी सो मोहन अपनी नवविवाहिता पत्नी … Read more

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