शिक्षा और संस्कार-Mukesh Kumar

सविता देहरादून की जिला अधिकारी थी. वह  प्रत्येक साल गर्मियों की छुट्टी में कहीं घूमने जाए या ना जाए लेकिन 1 सप्ताह के लिए अपने बच्चों के साथ अपने गांव रतनपुर जरूर जाती थी।  बच्चों के स्कूल की छुट्टियां शुरू हो चुकी थी, गांव जाने की तैयारी शुरू हो गई थी। सविता के बच्चे भी … Read more

बंद दरवाजा-मुकेश पटेल

संडे का दिन था,  मैं बाथरूम में कपड़े धो रहा था  तभी अचानक से एक लड़की मेरे फ्लैट में घुस आई और उसने  अंदर से दरवाजा बंद कर लिया। मैं जल्दी से बाथरूम से निकला और लड़की से पूछने लगा कौन हो तुम और दरवाजा क्यों बंद कर रही हो।  उसने मेरे होंठ पर अपनी … Read more

प्रायश्चित

मैं अपने पापा की इकलौती बेटी थी, हां मुझसे दो बड़े भाई जरूर थे सब लोग मुझे बहुत प्यार करते थे।   इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से मैंने ग्रेजुएशन कंप्लीट की पापा का हमेशा से मन था कि मैं आईएएस की तैयारी करूं।  पापा ने मुझे तैयारी करने के लिए दिल्ली के मुखर्जी नगर में कोचिंग में एडमिशन … Read more

मायके की ललक

रागिनी का जन्म एक संयुक्त परिवार में हुआ था। रागिनी के पापा के चारों भाई दादा-दादी सब साथ ही रहते थे। संयुक्त परिवार में होने के कारण रागिनी, रिश्तो की कद्र करना जानती थी और वह खुद भी एक बेहद समझदार और जिम्मेदार लड़की थी। जब रागिनी कॉलेज में थी तभी उसकी शादी प्रकाश से … Read more

मायके का बेटा – मुकेश कुमार

मैं बाथरूम से जैसे ही नहा कर निकली मेरी पड़ोसन शीला ने दरवाजा खटखटाया।   दरवाजा खोलते ही मैंने बोला अंदर आओ, कैसी हो और क्या हाल है। तभी शीला ने कहा मैडम हाल-चाल बाद में पूछना पहले यह बताओ तुम्हारा फोन कहां है तुम्हारे मिस्टर ने हमें फोन किया है यह लो बात करो। … Read more

पाप और पुण्य मेरे चश्में से – हरेन्द्र कुमार

गंगुवा ने जैसे ही आलू की बोरी (थैला) को माथे से नीचे उतरा बाबूसाहेब के आंगन में , बाबूसाहब आंगन में ही खड़े थे , गरजते हुए लहजे में बोले :- केकर लइका हवस (किसके लड़के हो)। गंगुवा डरे हुए और दबूपन नजरों से बाबूसाहब को देख कर बोला :- बुधिया के ह‌ई । गंगुवा … Read more

निराशा के बादल छंटने लगे हैं-Mukesh Kumar

आज मेरी पहला करवा चौथ था।  मैंने अपने पति दिनेश से आज जल्दी ऑफिस से घर आने को बोला था. शाम के 5:00 बज गए थे लेकिन दिनेश अभी भी ऑफिस से घर नहीं आए थे।  मैंने उनको फोन किया तो उन्होंने बोला रास्ते में हूं तुम्हें तो पता ही है कि पहाड़ी वाले मेरास्ते … Read more

ख्वाबों के परिंदे उड़ चले हैं-Mukesh Kumar

अनुराधा अपने 3 साल की बेटी जानवी को लेकर बाजार में सब्जी खरीद रही थी.  अनुराधा सब्जी वाले से आलू का भाव पूछ रही थी तभी उसके कंधे पर किसी ने हाथ रख दिया अनुराधा ने पीछे मुड़ कर देखा तो उसकी दोस्त पुष्पा पीछे खड़ी थी।  अनुराधा ने आश्चर्य से पूछा अरे पुष्पा तुम … Read more

मैं अपनी दादी माँ जैसा बनना चाहती हूं-Mukesh Kumar

सुबह सुबह का टाइम था बच्चों और पति को स्कूल भेज चुकी थी थोड़ी देर सोचा सोफा पर आराम कर लेती हूं फिर बाकी घर का काम निपटाऊंगी.  तभी मेरी मां का फोन आया मैंने मां से पूछा मां सब कुछ ठीक तो है ना इतनी सुबह फोन ! क्योंकि मेरी मां अक्सर दोपहर में … Read more

एक हजारों मे मेरी बिटियाँ हैं-Mukesh Kumar

गीता जल्दी से नाश्ता लाओ ऑफिस के लिए लेट हो रहा है।  गीता के पति रमेश ने आवाज लगाई। गीता जल्दी से नाश्ता लेकर अपने पति को दे ही रही थी तभी सासु मां ने कहा बहु मेरी चाय कब दोगी। गीता ने कहा अभी लाती हूं। माँ जी।  गीता की सास को शुगर की … Read more

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