मायके की ललक

रागिनी का जन्म एक संयुक्त परिवार में हुआ था। रागिनी के पापा के चारों भाई दादा-दादी सब साथ ही रहते थे। संयुक्त परिवार में होने के कारण रागिनी, रिश्तो की कद्र करना जानती थी और वह खुद भी एक बेहद समझदार और जिम्मेदार लड़की थी।

जब रागिनी कॉलेज में थी तभी उसकी शादी प्रकाश से हो गई, प्रकाश बैंक में कैशियर की नौकरी करता था, प्रकाश का परिवार ज्यादा बड़ा नहीं था, प्रकाश से बड़ी उसकी दो बहने थी, जिनकी शादी पहले ही हो चुकी थी। प्रकाश की मां सरकारी स्कूल में प्रधानाध्यापक थी, रागिनी की सास का स्वभाव था, हर काम में कोई न कोई गलती निकालना वैसे भी वह बेहद तेज और चालाक औरत थी।

रागिनी के ससुर तो अपने पत्नी के आगे बिल्कुल ही चूहा बने रहते थे और रागिनी की सास बिल्ली नजर आती थी किसी की मजाल नहीं था जो रागिनी की सास के बातों का विरोध कर सकें वह चाहे रागिनी के हस्बैंड प्रकाश क्यों ना हो।



रागिनी के पापा ने इस घर में अपनी बेटी की शादी इसलिए की थी कि परिवार छोटा है बेटी को आराम होगा, ज्यादा काम करने को नहीं मिलेगा और घर में पैसे की भी कोई कमी नहीं है, सास भी सरकारी शिक्षक है और पति भी कमाता है।

लेकिन मां-बाप जो सोच कर अपनी बेटी की शादी करते हैं असल में वह होता नहीं है। रागिनी की औकात अपने ससुराल में एक काम वाली बाई से ज्यादा नहीं थी। सुबह सोकर उठना फिर पति के लिए नाश्ता बनाना और उनका लंच तैयार करके देना,

थोड़ी देर के बाद सास का नाश्ता और लंच तैयार करके देना, अपने ससुर के लिए नाश्ता बनाना, पूरे दिन रागिनी इसी काम में उलझी रहती थी। शादी से पहले रागिनी ने सोचा था कि ससुराल में कोई है नहीं, पूरे दिन खाली बैठेगी तो वह अपनी पढ़ाई पूरा कर लेगी, वह समाज शास्त्र में पीएचडी करना चाहती थी। लेकिन यहां तो अलग ही पीएचडी होने लगा था।

रागिनी को भी कई बार लगता था कि लोग बहू को समझकर क्या रखे हैं, लोग शादी इसीलिए करते हैं क्या ? कि फ्री की नौकरानी मिल जाए। कई दिन तो पूरा दिन बीत जाता था, वह अपनी मां से फोन पर बात भी नहीं कर पाती थी। रागिनी की मां कहती थी तुम पूरे दिन करती क्या हो?

जो तुम्हें बात करने तक की फुर्सत नहीं है। रागिनी अपनी मां से कहती तुम दो दिन यहां रह कर तो बिताओ, पता चल जाएगा कि मैं पूरे दिन क्या करती हूं। रागिनी की मां भी यही कह कर बात टाल देती थी क्या करेगी बेटी घर तो तुम्हारा ही है चाहे रोकर करो या हंसकर करना तो तुम्हें ही पड़ेगा। हां माँ मैं कब इंकार कर रही हूं कि नहीं करूंगी लेकिन घर में इतना पैसे आते हैं कम से कम एक नौकरानी तो रखनी चाहिए। मैं जब भी प्रकाश से यह बात करती हूं, वह बोलते हैं भाई मेरे में हिम्मत नहीं है, कहने कि तुम माँ से कहना हो तो खुद कह लो।



हम जब छोटे थे तब भी तो माँ नौकरी करती थी और हम सब को भी पाल कर इतना बड़ा कर दिया आज तक घर में कोई नौकरानी नहीं रही। पता नहीं तुम्हें कितना काम करना पड़ता है घर में कुल मिलाकर हम तीन लोग तो हैं, अब प्रकाश को कौन समझाए जिस पर बितता है वही जानता है।

रागिनी ने सोचा कि गर्मी की छुट्टी में जब उसकी ननद यहां पर आ जाएंगी तो वह भी अपने मायके चली जाएगी कुछ दिन तो उसे भी आराम मिलेगा और अपने परिवार वालों के साथ मौज करेगी।

गर्मी की छुट्टी पड़ गई और दोनों ननद और उनके बच्चे रागिनी के ससुराल में आ गए, रागिनी ने अपने सासू मां से कहा, “मम्मी मैं भी अपने मायके जाना चाहती हूं अब तो सब लोग आ ही गए हैं कुछ दिन तो मैं भी इसी बहाने अपने मायके घूम आती हूं मां की भी तबीयत ठीक नहीं है जाऊंगी तो कुछ आराम हो जाएगा।” तभी सासु माँ ने जोर से कहा, “बहू कैसी बात करती हो तुम्हारे घर में मेहमान आए हैं और तुम हो कि छोड़कर मायके जाने की सोच रही हो । मेरी दोनों बेटियां बेचारी अपने ससुराल में कितना काम करती हैं यही एक महीना तो उनको फुर्सत मिलता है आराम करने की और तुम हो कि अपने मायके चल दी।”

रागिनी अपना मन मसोसकर रह गई और मन में सोचने लगी की ननंद को मायके में आराम चाहिए तो क्या मैं जिंदगी भर सब की खातिरदारी करने के लिए जन्म ली हूं। पूरे दिन रागिनी कि दोनों ननद और उसकी सास तीनों मिलकर गप्पे लड़ाते रहते अगर रागिनी गलती से उनके पास चली जाती तो तीनों चुप्पी साध लेते।

रागिनी पूरे घर में अपने आप को अकेला महसूस करती थी। शाम होते ही सासु मां अपनी बेटियों को लेकर बाजार शॉपिंग करने के लिए चली जाती और उसकी दोनों ननद अपनी माँ से ढेर सारा सामान खरीदवा कर लाती।

एक दिन सब बाजार जा रहे थे रागिनी बोली, “मम्मी जी मैं भी बाजार चलूं क्या मुझे भी कुछ खरीदना है” रागिनी के सास ने कहा, “अगर तुम बाजार चली जाओगी तो घर में खाना कौन बनाएगा।” रागिनी अपने सास से कुछ भी सामान खरीदने को कहती तो बड़ी मुश्किल से खरीद कर देती थी

और अपनी बेटियों के लिए तो ऐसा लग रहा था कि सारे पैसे लुटा देंगी। रागिनी की दोनों ननद अपने भाई के सामने ऐसे दिखाती थी कि वह अपने भाई से कितना प्यार करती है और भाभी से भी। रागिनी ने अपने पति प्रकाश से कहा, “मुझे भी मायके जाना है अपनी मां से बोलो।”



प्रकाश ने एक दिन अपनी मां से कहा, “मां रागिनी को भी बहुत दिनों अपने मायके गए हुए हो गए और अभी तो दीदी भी आई हुई हैं।” प्रकाश के सामने प्रकाश कि माँ ऐसे दिखाती थी जैसे वह कितना प्यार करती हो रागिनी से।

प्रकाश की मां बोली, “हां बेटा मैं कब मना कर रही हूं ले जाओ कल सुबह और वहीं पर रुक जाना अगले सुबह लेकर फिर बहू को वापस आ जाना बार-बार लेने ही जाते रहोगे क्या?। रागिनी ने सोचा चलो कोई बात नहीं एक दिन ही सही कुछ तो आराम मिलेगा। सुबह होते ही प्रकाश रागिनी को लेकर उसके मायके पहुंच गया। अगली सुबह होते ही प्रकाश बोला, “चलो जल्दी से तैयार हो जाओ मुझे ड्यूटी भी जाना है।” रागिनी की मां बोली, “बेटा अभी रागिनी को कुछ दिन यहीं पर रहने दो कितने दिनों के बाद तो आई है और आपके घर में तो अभी आपके बहन भी आई हुई हैं

कोई दिक्कत भी नहीं है। प्रकाश बोला यही तो दिक्कत है माँ जी अब आप ही सोचिए आपके घर में कोई आया हुआ है और आप भी घर से बाहर चले जाए क्या यह अच्छा लगता है।

रागिनी बोल उठी कि यह तो हर साल होगा हर साल गर्मी की छुट्टियों में आप की दोनों बहन यहां पर आएंगी तो क्या मैं कभी गर्मी की छुट्टियों में अपने मायके नहीं आऊंगी। प्रकाश ने कहा, “मैंने कब कहा कि नहीं जाओगी लेकिन रागिनी सब मैनेज करना पड़ता है

अभी चलो बाद में देखेंगे जो होगा।” रागिनी मन को मार कर वापस आ गई और अपनी मां से कहा कि मैं रक्षाबंधन में मैं जरूर आऊंगी इस बार 10 दिन रह कर जाऊंगी। रक्षाबंधन का त्यौहार आने वाला था रागिनी ने पूरी तैयारी कर ली थी,

इस बार मायके जाने की सासू मां ने भी इजाजत दे दी थी सासु मां बोली, “ठीक है चली जाना।” रक्षाबंधन के सुबह जैसे ही रागिनी तैयार हो गई थी अपने मायके जाने के लिए तभी उसकी बड़ी ननद अचानक से उसके ससुराल आ गई। उनको देखकर रागिनी बोली, “अरे दीदी आप अचानक कैसे!”

रागिनी की ननंद बोली, “क्यों आज रक्षाबंधन है तो क्या मैं अपने भाई को राखी बांधने नहीं आ सकती हूं।दरअसल बात यह है कि आप के बहनोई भी अपनी बहन के घर राखी बंधवाने गए हैं तो मैंने सोचा मैं भी अपने भाई को राखी बांधने चली आती हूं।”

रागिनी बोली, “दीदी लेकिन हम तो अभी कुछ देर में ही अपने मायके जाने वाले हैं और प्रकाश भी मुझे लेकर जाएंगे।” ननद बोली, “ऐसे कैसे चले जाएगा उसके लिए मैं इतनी दूर से आई हूं।”

रागिनी की सास भी अपनी बेटी का पक्ष लेकर कहा कि बहू तुम्हें भी कुछ समझ नहीं आता तुम्हारा भाई जितना प्यार है उतना ही प्यारा, मेरी बेटी को भी भाई प्यारा है, वह इतनी दूर से अपने भाई को राखी बांधने आई है, तुम 2 घंटे बाद चली जाओगी तो पहाड़ नहीं टूट जाएगा।

और हां शाम तक जरूर आ जाना क्योंकि मैं भी आज अपने भाई को राखी बांधने जाऊंगी। रागिनी मन ही मन सोच रही थी कि ऐसे तो हर साल कोई राखी बांधने नहीं जाता था। आज मैं अपने मायके जाने लगी तो सब को राखी बांधना है अपने भाई को।जल्दबाजी में रागिनी मायके गई और शाम तक वापस आ गई। वह सोच रखी थी कि इस बार तो 10 दिन अपने मायके जरूर रहेगी। रागिनी ने सोचा इस बार तो चलो लेकिन दिवाली में मैं मायके जरूर जाऊंगी। कुछ दिनों बाद मेरी छोटी वाली ननद को डिलीवरी होने वाला था



मेरी सासू मां ने कहा कि बहु कुछ दिन के लिए छोटी ननद के घर चले जाओ उसको कुछ आराम हो जाएगा। अब क्या था सासू मां की फरमान निकल गया था जाना तो पड़ेगा ही। छोटी ननद के घर जाकर भी नौकरानी का काम करना शुरू कर दिया था।वहां से आए अभी कुछ ही दिन हुए तो पता चला कि बड़ी ननद बीमार हो गई है सासू मां ने कहा बहुत कुछ दिन बड़ी बेटी के यहां रह कर आ जाओ थोड़ा आराम हो जाएगा। मैं तो यही सोच कर परेशान थी कि मैं क्या सब की दाई मां हूं जब जिसकी जरूरत पड़ रही है वहां चली जाती हूँ।

मेरी मां की तबीयत भी बहुत दिनों से खराब थी मां कई बार बोलती थी कि कुछ दिनों के लिए आ जाओ। लेकिन यहां से टाइम मिले तब तो जाऊं। 1 दिन पापा का फोन आया तुम्हारे मां को लकवा मार दिया है। जल्दी से आ जाओ।

मैंने सासू मां से जब यह कहा तो सासू मां ने कहा। तुम्हारे जाने से क्या उनका लकवा ठीक हो जाएगा तुम्हारे मायके में तो कितने सारे लोग हैं तुम्हारी चाची तुम्हारी माँ को सब सेवा करते ही तो है तुम्हें तो पता ही है कि कल से मुझे ट्रेनिंग के लिए दिल्ली जाना है यहां पर कौन खाना बनाएगा प्रकाश और ससुर जी का।

इस बार मैं रुकने वाली नहीं थी मैंने अपना बैग पैक किया और सासू मां का पैर छुआ और घर से बाहर निकली ऑटो पकड़ी और सीधे अपने मायके पहुंच गई। मैं बेटी हूं और किसी को मतलब हो या ना हो मुझे तो अपनी मां से मतलब होगा ही।

ननंद को दिक्कत होता था तो सासू मां कैसे जल्दी से मुझे भेज दी थी लेकिन मेरी मां का तबीयत खराब हो गया उनको बिल्कुल ही चिंता नहीं। मेरे जाते ही मेरे ससुर ने मेरी सासू मां से कहा एक दिन तो यह होना ही था कोई भी किसी की कद्र तभी करता है जब खुद भी सामने वाले की कद्र करो और उसकी परेशानी को समझो।

मेरी सासू मां ने मेरे ससुर को डांट दिया और कहा आप तो चुप ही रहो जी। दोस्तों हमें यह समझना चाहिए हर लड़की को अपने मायके से उतना ही प्यार होता है जितना दूसरी लड़की को सास को भी यह समझना चाहिए कि जैसे आप अपनी बेटी को अपने मायके में बुलाकर प्यार दुलार देते हो

वैसा ही प्यार दुलार बहू को भी अपने मायके में चाहिए होता है लेकिन हम यह भूल जाते हैं कि बहू का भी मायका होता है।

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