प्रायश्चित

मैं अपने पापा की इकलौती बेटी थी, हां मुझसे दो बड़े भाई जरूर थे सब लोग मुझे बहुत प्यार करते थे।   इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से मैंने ग्रेजुएशन कंप्लीट की पापा का हमेशा से मन था कि मैं आईएएस की तैयारी करूं।  पापा ने मुझे तैयारी करने के लिए दिल्ली के मुखर्जी नगर में कोचिंग में एडमिशन करवा दिया। कोचिंग में एक सुमित नाम के लड़के से मुझे प्यार हो गया। 4 साल तक  मैंने तैयारी की लेकिन मुझे एग्जाम में सफलता नहीं मिली पापा ने मेरे लिए लड़का देखना शुरू कर दिया था। मैंने सुमित से कहा कि सुमित मेरे पिताजी से बात करो नहीं तो  मेरी शादी कहीं और हो जाएगी।

वैसे तो मेरे पापा खुले विचारों के थे इसलिए मैंने सुमित को बोला कि तुम मेरे पापा से बात करो वह मना नहीं करेंगे।  सुमित मेरे घर आया हुआ था और मेरे पापा से मेरे शादी के बारे में बात की। पापा ने मेरे सुमित से प्यार से समझाया देखो बेटा सुमित मुझे तुमसे शादी करने में कोई दिक्कत नहीं है लेकिन तुम ठहरे ब्राम्हण और हम हैं राजपूत हमारी शादी कैसे हो सकती है अगर तुम हमारे जाति के होते तो मैं तुमसे रश्मि की शादी जरूर कर देता लेकिन मैं अंतरजातीय विवाह को सपोर्ट नहीं कर सकता हूँ।  इसलिए बेटा तुम वापस लौट जाओ बात को आगे बढ़ाने से कोई फायदा नहीं।

मेरे में इतनी क्षमता नहीं थी कि मैं जबर्दस्ती अपने घर वालों के खिलाफ जाकर शादी कर पाऊं। मेरे पापा ने यूपी पुलिस के एक दरोगा से मेरी शादी तय कर दी।  शादी के बाद भी मैं सुमित से लगातार बात करती रही मैं क्या करूँ सुमित को भुला नहीं पा रही थी। शादी के 1 महीने बाद ही एक एनकाउंटर में मेरे पति को गोली लग गई और  मौके पर ही मौत हो गई।



मेरे ससुराल में भी सन्नाटा छा गया था मुझे उतना  दुख नहीं था क्योंकि मैंने उसे कभी प्यार किया ही नहीं शादी भले मेरी उससे हो गई थी। अब तो मैं और आजाद हो गई थी, सुमित से बात करने के लिए अब तो मुझे किसी का डर भी नहीं था पूरी रात में सुमित से बात करती रहती थी।

कुछ दिनों के बाद मुझे पता चला कि मेरी शादी मेरे देवर से करने की घर में बात चल रही है।  एक दिन मेरी मां का भी फोन आया और उसने भी मुझसे यही कहा कि बेटी आखिर तुम अपना जीवन कब तक ऐसे  काटोगी तुम्हारे ससुराल वाले भी राजी हैं तुम्हारे देवर से तुम्हारी शादी करने के लिए।

इस बार  मैं चुप रहने वाली नहीं थी मैंने मां से कह दिया मां तुम लोगों ने मुझे जानवर समझ रखा है क्या जिस खूँटे जी करता है बांध दो।  मुझे क्या पसंद है नहीं पसंद है इससे किसी को कोई परवाह नहीं है कुछ भी हो जाएगा मैं अपने देवर से शादी नहीं करूंगी।

सब लोग जबरदस्ती मेरी शादी मेरे देवर से करवाने पर लग गए थे।  मैंने भी ठान लिया था कि इस बार मैं शादी नहीं करूंगी। मैंने सोच लिया था कि इस बार मैं सुमित से ही शादी करूंगी।  प्यार सचमुच अंधा होता है यह मैंने महसूस किया था। एक दिन मेरे सास-ससुर कहीं बाहर गए हुए थे। घर में देवर अकेला था।

मैं इंतजार कर रही थी कि कब मेरे सास-ससुर आए और मैं अपना ड्रामा शुरू करू।  सास-ससुर के आते ही मैंने अपने कपड़े फाड़ लिए और चिल्लाने लगी रितेश ने मेरी इज्जत लूट ली।  रितेश ने कहा कहा, ” भाभी यह क्या कर रही हो मैंने कुछ नहीं किया।” मैंने घर का दरवाजा पहले से ही खोल दिया था मेरे सास-ससुर को भी लगा कि रितेश  ने मेरे साथ जबरदस्ती करने की कोशिश की है। उन्होंने अपने बेटे को मारना पीटना शुरू कर दी। मैंने अपनी मम्मी को भी फोन लगाकर बता दिया कि मेरे साथ ऐसा ऐसा हुआ है।  थोड़ी देर के बाद ही मेरे पापा और दोनों बड़े भाई आकर मेरे देवर को बहुत पीटा।



पापा ने कहा अभी हम इसको जेल  भिजवाते हैं। मैं अंदर ही अंदर खुश हो रही थी।  मेरे सास ससुर ने मेरे पापा से माफी मांगी मेरे लड़के को माफ कर दो।  बहू को आप लोग अपने घर ले जाओ। मैं तो यही चाहती थी।

उसी दिन मैं अपने मायके वापस लौट आई।  कुछ दिनों के बाद मैंने सुमित से बोला कि तुम वापस से आकर मेरे पापा से मेरा हाथ मांगू।  सुमित दोबारा से मेरे पापा से शादी की बात करने आया इस बार पापा ने मना नहीं किया क्योंकि कोई भी मां बाप लड़की को अपने घर रखना नहीं चाहता है और पहले से शादीशुदा लड़की की शादी भी तो जल्दी नहीं होती है उन्होंने एक पल में ही हां कह दी।

सुमित के साथ मेरी मंदिर में शादी हो गई और मैं दिल्ली वापस आ गई। सुमित जब अपने ऑफिस चला जाता तो घर में मुझे पता नहीं ऐसा क्यों लगता था कि कोई मेरे आस-पास है।  मुझे अपने ही घर में डर लगने लगा, मुझे बुरे बुरे सपने आने लगे। एक दिन तो सपने में मैंने अपने पहले पति को देखा जो खून से लथपथ चेहरा सना हुआ था वह मुझसे कह रहे थे रश्मि तुमने ऐसा क्यों किया माना कि तुम मुझसे प्यार नहीं करती थी मैं भी इस दुनिया में नहीं था तुम मेरे भाई से भी शादी नहीं करना चाहती थी लेकिन तुमने मेरे भाई की जीवन बर्बाद क्यों की मेरे मां-बाप का क्या दोष था।

तुम्हें पता है तुम्हारी एक गलती की वजह से मेरा परिवार बदनाम हो गया है कोई भी हमारे मोहल्ले में मेरे परिवार से बातचीत नहीं करना चाहता है क्या गलती थी मेरे परिवार की।  रोजाना मुझे सपने में मेरे पति का चेहरा दिखता और वह मुझसे बार-बार यही कहते क्या गलती थी मेरे परिवार की। उस दिन के बाद से मुझे भी लगने लगा कि मैं भी अपने प्यार में कुछ ज्यादा ही अंधी हो गई थी।  मैं अब अपना प्रायश्चित करना चाहती थी।



मैंने 1 दिन सुमित को सब कुछ बता दिया।  सुमित भी मुझ पर गुस्सा करने लगा मैं तुम्हारी अच्छाइयों की वजह से तुम से प्यार करता था मुझे नहीं पता था कि तुम मुझे पाने के लिए किसी और की जिंदगी बर्बाद कर सकती हो।  सुमित ने बोला तुम्हें सबके सामने जाकर यह स्वीकार करना चाहिए कि तुमने जो भी कुछ भी किया वह सब झूठ था, मैं जानबूझकर यह सब किया। यह सब करने के लिए बहुत हिम्मत चाहिए था और सुमित ने मुझे हिम्मत दिया।

एक दिन मैं अपने पुराने ससुराल गई और वहां पर आसपास के लोगों को इकट्ठा कर पंचायत बुलवाई।  और पंचायत में ही मैंने यह स्वीकार किया कि मैं अपने देवर से शादी नहीं करना चाहती थी बल्कि सुमित से करना चाहती थी लेकिन सब मुझ पर जबर्दस्ती करना चाहते थे मेरे पास कोई उपाय नहीं था और मैं नासमझी में इतनी बड़ी गलती कर बैठी, मैं माफी मांगना चाहती हूं।  आप सब लोग जो सजा देना चाहते हैं मुझे दे सकते हैं।

 पंचायत के लोगों ने यह फैसला सुनाया कि तुमने  सच को स्वीकार किया और एक परिवार को दोबारा से उनकी इज्जत वापस लौटाया। तुम्हें क्या सजा देनी चाहिए यह तुम्हारे ससुराल वाले तय करेंगे।  मेरे ससुराल वालों ने मुझे माफ कर दिया और बोला बेटी जाओ तुम खुश रहो तुमने यही स्वीकार कर लिया यही हमारे लिए बड़ी बात है।

दोस्तों कई बार हम प्यार में इतने अंधे हो जाते हैं कि हमें कुछ भी नहीं दिखाई देता है ना अपना परिवार ना समाज कई बार आप अखबारों में भी इस तरह की खबर सुनते होंगे कई औरतें अपने बच्चों को छोड़कर अपने प्रेमी के साथ भाग गई।  तो किसी ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर अपने पति का ही खून कर दिया। यह सब प्यार में अंधेपन की निशानी है प्यार तो त्याग का नाम है प्यार तो एक ईश्वर की की बनाई हुई ऐसी इबादत है जिसे पाकर लोग पाक हो जाते हैं।

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