बंद दरवाजा-मुकेश पटेल

संडे का दिन था,  मैं बाथरूम में कपड़े धो रहा था  तभी अचानक से एक लड़की मेरे फ्लैट में घुस आई और उसने  अंदर से दरवाजा बंद कर लिया। मैं जल्दी से बाथरूम से निकला और लड़की से पूछने लगा कौन हो तुम और दरवाजा क्यों बंद कर रही हो।  उसने मेरे होंठ पर अपनी उंगली रख दी और सिर्फ इतना ही कहा वो लोग मेरा पीछा कर रहे हैं वह आयें तो बोल देना कि यहां कोई नहीं है।  तभी थोड़ी देर में ही किसी ने मेरा दरवाजा खटखटाया दरवाजा खोला तो देखा कुछ गुंडे टाइप से लोग दरवाजे पर खड़े हैं और मुझसे पूछ रहे थे यहां पर कोई लड़की आई है क्या।  मैंने मना कर दिया और वो चले गए।

मैंने लड़की से बोला, ” वो लोग चले गए ,अब  जाओ तुम भी, लड़की बोली, “थोड़ी देर बाद चली जाऊंगी”  मैंने लड़की से पूछा, “तुम कौन हो और वह लोग कौन थे जो तुम्हारा पीछा कर रहे थे।”  लड़की बोली, “मैं मुश्किल से जीबी रोड के कोठे से भाग कर आ रही हूं और यह लोग वही के गुंडे थे मेरे पति ने मुझे दिल्ली लाकर उस कोठे पर बेच दिया था।”  मैंने बोला, “मैं कुछ समझा नहीं।” लड़की बताने लगी कि मेरा नाम सलमा है और मैं बंगाल के आसनसोल की रहने वाली हूं।

मैं अब्दुल नाम के एक लड़के से प्यार करती थी।  वह दिल्ली में ही नौकरी करता था मेरे अब्बा मेरी शादी किसी और से करने लगे थे।  एक दिन मैं अब्दुल के साथ दिल्ली भाग कर आ गई। दिल्ली आकर कुछ दिन तो मैं अब्दुल के कमरे पर रुकी हुई थी एक दिन अब्दुल मुझे बोला कि अब  हम यहां नहीं रहेंगे चलो एक जगह मेरी वहां मौसी रहती है हम वही रहेंगे और मुझे जीबी रोड पर एक कोठे पर बेच कर यह बोल कर गया कि तुम यहीं पर रहो मैं कुछ दिन में अच्छे घर का इंतजाम कर तुम्हें यहां से ले जाऊंगा।



 लेकिन कई दिन बीत गए वह नहीं आया और ना ही उसका फोन लग रहा था।  बाद में मुझे पता चला कि उसने मुझे यहां पर बेच दिया है। मैं वहां से भागने का मौका देख रही थी और बड़ी मुश्किल से वहां से भागी हूं।

सलमा की कहानी सुनकर मैं भी दंग रह गया कोई ऐसे कैसे कर सकता है इंसान कोई वस्तु है क्या जिसे जब चाहे कोई बेच दे इस दुनिया में प्यार को भी लोगों ने मजाक बना दिया है।  अगर लोग ऐसे करते रहे तो लोगों का प्यार से विश्वास उठ जाएगा यह एक मजाक बनकर रह जाएगा। मैंने सलमा से कहा चलो पुलिस में एफआईआर कर देते हैं। सलमा बोली नहीं मुझे अपने गांव जाना है।

मैं जिस फ्लैट में रहता था मेरे ऊपर ही राकेश भी रहता था जो मेरे साथ ही मेरे कंपनी में काम करता था।  संडे के दिन अक्सर हम लंच बाद शतरंज खेला करते थे। लंच बाद वह आकर हमारा दरवाजा खटखटाया। मैंने दरवाजा खोला।  मैंने दरवाजे पर ही बोला राकेश आज शतरंज खेलने का मन नहीं है, मैं थका हूं, किसी और दिन खेलते हैं। मैं सोच रहा था कि राकेश अंदर ना आ पाए नहीं तो 10 सवाल पूछेगा कि सलमा कौन है ?  फिर मैं क्या बताऊंगा। राकेश बोला ठीक है नहीं खेल रहा है तो तुम हटो तो सही मुझे अंदर जाने दे। राकेश जबरदस्ती मेरे फ्लैट के अंदर आ गया। अंदर आते ही सलमा को देखकर राकेश ने पूछा मनीष यह लड़की कौन है।

मेरे मुंह से निकल गया तुम्हारी भाभी है, आज ही गांव से आई है।  भाभी! तुम्हारी शादी कब हो गई, तुमने तो कभी बताया नहीं कि तुम शादीशुदा हो। मैंने बोला अरे यार वह बताने का मौका ही नहीं मिला आज ही सुबह आई थी मेरे गांव के चाचा का लड़का दिल्ली आ रहा था तो मेरे मम्मी पापा ने उसी के साथ इसको भेज दिया।  रोशनी (बदला हुआ नाम) नमस्ते करो यह मेरा दोस्त राकेश है।

थोड़ी देर के बाद राकेश चला गया।  सलमा बोली मनीष जी प्लीज मुझे कोई ट्रेन पकड़ा दीजिए और हो सके तो कुछ पैसे दे दीजिए मैं गांव जाकर आपके पैसे आपके अकाउंट में भेज दूंगी।  मैंने सलमा से पूछा तुम्हारे पास एक भी रुपए नहीं है। उसने बोला, “नहीं” मैंने बोला महीने के आखिरी दिन चल रहे हैं, मेरे पास भी अभी पैसे नहीं है अगर तुम्हें कोई एतराज नहीं है, एक-दो दिन के लिए रुक जाओ, जैसे ही मेरी तनख्वाह मिलेगी मैं तुम ट्रेन में रिजर्वेशन भी कर दूंगा और तुम्हारे गांव भेज दूंगा।



शाम होते ही मैं खाना बनाने के लिए किचन में गया,  सलमा बोली रहने दो आप आज खाना मैं बना देती हूं। वाकई सलमा बहुत ही स्वादिष्ट खाना बनाती थी ऐसा लग रहा था कितने दिनों बाद मां के हाथों का बना हुआ खाना खा रहा हूं।  खाना खाने के बाद मैंने सलमा से कहा तुम बेड पर सो जाओ, मैं सोफे पर सो जाता हूं।

सुबह होते ही मैं ऑफिस के लिए निकलने लगा और मैंने सलमा से कहा कि मैं बाहर से दरवाजा बंद कर देता हूं तुम इसी में रहना अगर कोई दिक्कत हो तो तुम मुझे फोन कर लेना मैंने उसे अपना एक फोन देकर चला गया।  मैं सलमा को बाहर से इसलिए भी दरवाजा बंद करके गया क्योंकि अभी मैंने उसको बहुत जानता नहीं था। यह दिल्ली शहर है यहां फूंक-फूंक कर कदम रखना होता है रात में भी सलमा जब कमरे में सोई हुई थी तो मैं बाहर से दरवाजा बंद कर दिया था क्योंकि पता नहीं उसकी कहानी सच्ची है या झूठी।

मेरे ऑफिस पहुंचने से पहले ही राकेश ऑफिस पहुंचकर सारे लोगों को बता दिया था कि मैं शादीशुदा हूं और कल ही मेरी बीवी आई है।  ऑफिस के सारे लोग मुझसे पार्टी मांगने लगे यार तुम तो छुपा रुस्तम निकले, आज तक किसी से बताया ही नहीं कि तुम शादीशुदा हो। मैं क्या बताता सब ने बोल दिया कि आज लंच पार्टी तुम ही दोगे।

मेरी तो हालत खराब थी थोड़ी देर में  ऋतु आने वाली थी। जिसे मैं बेहद प्यार करता हूं उसे जब पता चलेगा कि मैं शादीशुदा हूं वह तो मेरा जान ही ले लेगी।  मुझे नहीं पता था कि एक झूठ इतना बड़ा बवाल बन जाएगा।

ऋतु जैसे ही ऑफिस आई उसे भी यह बात पता चल गया कि मैं आज लंच पार्टी देने वाला हूं गांव से मेरी पत्नी आई है उस खुशी में।

ऋतु ने मेरा कॉलर पकड़ा और ऑफिस के बालकनी में खींच कर ले गई और बोली मनीष मई यह  क्या सुन रही हूं तुम शादीशुदा हो और आज तक तुमने मुझे बताया नहीं और मेरे साथ प्यार का झूठा खेल खेलते रहे।  मैंने ऋतु से कहा यार मैं कोई शादीशुदा नहीं हूं मैं तुझे बाद में बताता हूं क्या बात है। तुम मेरा विश्वास करो शाम को मैं सब कुछ आराम से बताऊंगा।  ऑफिस को छुट्टी होते ही ऋतु से मैंने सारा माजरा बता दिया। ऋतु को लेकर मैं अपने फ्लैट पर भी आया था ताकि उसे पूरी तरह से विश्वास हो सके कि सलमा मेरी कोई नहीं है।



ऋतु बोली मैं पैसा देती हूं कल सुबह की ट्रेन से सलमा को उसके गांव भेज दो।  अगले दिन मैंने कोलकाता जाने वाली ट्रेन में सलमा को बिठा दिया और उसे कुछ पैसे भी दे दिए।  सलमा को बोला जब तुम अपने घर पहुंच जाना तो मुझे फोन जरूर करना कि तुम सही सलामत पहुंच गई हो।

सलमा को दिल्ली से गए हुए 2 दिन हो गए थे लेकिन उधर से कोई कॉल नहीं आया तो मैं परेशान हो गया कि वह अभी तक पहुंची या नहीं उसने जो मुझे नंबर दिया था, मैंने उस पर फोन लगाया तो एक आदमी ने फोन उठाया, मैंने पूछा सलमा से बात करनी है, उस आदमी ने जवाब दिया कि यहां पर कोई भी सलमा नाम की लड़की नहीं रहती है।

कई दिन हो गए सलमा का कोई भी फोन कॉल नहीं आया।

मैंने यह बात ऋतु से भी बताया कि पता नहीं सलमा का कोई फोन नहीं आया वह अपने घर पहुंची या नहीं कुछ पता नहीं चल रहा है जो उसने नंबर बताया था उस नंबर पर फोन करने पर जवाब आता है कि यहां कोई सलमा नाम की लड़की नहीं रहती है।  सलमा से मेरी कोई जान पहचान बहुत पुरानी नहीं थी 2 दिन के अंदर ही पता नहीं क्यों उसके बारे में फिक्र होने लगी थी।

मैंने एक  दिन ऋतु से कहा मेरा मन नहीं मान रहा है मन कर रहा है कि सलमा के गांव जाऊं और पता कर के आऊं की  सलमा सच में अपने गांव पहुंची या नहीं।

रितु ने बोला ठीक है चले जाओ।  सलमा ने जो मुझे पता बताया था उस पते पर मैं उसके गांव आसनसोल के पास गया वहां गया तो मुझे बताया गया कि यहां पर कोई सलमा नाम की लड़की नहीं रहती है।  मैं बहुत परेशान हो गया क्योकि सलमा ने मुझे गलत पता क्यों दिया। मैं उस गांव से वापस पैदल मेन रोड की तरफ जा रहा था शाम की ट्रेन पकड़ कर अब मैं दिल्ली वापस आ जाऊंगा।

मैं जा ही रहा था तभी रास्ते में एक औरत ने आवाज दी।  मैंने पीछे मुड़ कर देखा तो एक औरत जो बुर्के में थी। मुझे आवाज दे रही थी मैंने पूछा आंटी क्या आप मुझे बुला रही हो।  उस औरत ने कहा हां बेटा तुम कौन हो, मैंने भी उस औरत से पूछा कि आप कौन हो, उस औरत ने बताया कि मैं उस अभागिन सलमा की मां हूं, उसके बाप ने सब को मना किया है बताने के लिए  सलमा यहां आई थी लेकिन सलमा के बाप ने उसे घर से भगा दिया। मुझे पता चला है कि आसनसोल में ही एक एनजीओ है जहां पर बेसहारा महिलाएं रहती है।



वहां से मैं सीधे आसनसोल पहुंच गया और उस एनजीओ का पता करके वहां पहुँच गया,  पता लगाया तो मुझे पता चला कि सलमा यहां पर रहती है। सलमा मुझे देख कर रोने लगी और वह मेरे गले भी लग गई, मैंने सलमा से पूछा तुमने मुझे फोन क्यों नहीं किया। सलमा बोली मनीष जी मैं आपकी परेशानी नहीं बढ़ाना चाहती थी मैंने तो अपनी जिंदगी बर्बाद कर ही दी थी।

सलमा ने मुझे बताया कि वह अपने घर वापस आई थी लेकिन उसके अब्बा  ने घर में रखने से मना कर दिया था वह क्या करती कहां जाती तब किसी ने बताया कि आसनसोल में  एक एनजीओ है जो हमारी तरह की महिलाओं को शरण देता है। मैंने तो अपनी जिंदगी बर्बाद कर ही ली है अब जैसे तैसे गुजारा कर ही लूंगी आप  मनीष जी वापस लौट जाओ और मेरी चिंता छोड़ो।

उसी शाम को ही ट्रेन  से मैं दिल्ली आ गया यहां आकर मैंने ऋतु से सलमा के बारे में बताया कि उसके साथ ऐसा ऐसा हुआ था इसलिए वह हमें कॉल नहीं कर रही थी।  उस दिन के बाद से मेरा ध्यान हमेशा सलमा की तरफ ही होता था। अगर क्या लड़की नासमझी में एक गलती कर दे तो क्या उसके घर वाले उसे स्वीकार नहीं करेंगे, उसकी जिंदगी यहीं पर खत्म हो जाएगी।

मैं जब भी ऋतु से मिलता सलमा  के बारे में ही बात करता रहता था, ऋतुने एक दिन मुझसे कहा।  मनीष मैं तुमसे एक बात कहूं अगर मानोगे तो कहो। मैंने कहा क्या? उसने बोली तुम सलमा से शादी कर लो।  मैंने ऋतु से कहा क्या बात करती हो ! मैं तुमसे प्यार करता हूं और शादी भी तुमसे करूंगा। ऋतु ने कहा मनीष मुझे तो और भी मनीष मिल जाएंगे लेकिन सलमा को कोई और मनीष नहीं मिलेगा।  उसकी जिंदगी तबाह हो जाएगी बर्बाद हो जाएगी और फिर तुम भी तो सलमा के बारे में कितना सोचते हो। हम हमेशा दोस्त बने रहेंगे मेरी बात मान लो सलमा की जिंदगी आबाद कर दो।

अगले सप्ताह ही रितु और मैं आसनसोल पहुंच गए थे और मैं सलमा से जाकर उससे शादी की बात की।  सलमा ने इनकार कर दिया और बोली नहीं मनीष जी मैं आपकी जिंदगी नहीं बर्बाद कर सकती। ऋतु ने सलमा का हाथ पकड़कर मेरे हाथ में दे दिया और हम दोनों ने एक सादे रीति रिवाज से उसी एनजीओ के अंदर शादी कर ली।  आज सलमा मेरी पत्नी है और उसके साथ मैं बहुत खुश हूं। ऋतु की भी शादी हो चुकी है हम दोनों के रिश्ते आज भी दोस्ती के बने हुए हैं।

Writer:Mukesh Kumar

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