मायके का बेटा – मुकेश कुमार

मैं बाथरूम से जैसे ही नहा कर निकली मेरी पड़ोसन शीला ने दरवाजा खटखटाया।   दरवाजा खोलते ही मैंने बोला अंदर आओ, कैसी हो और क्या हाल है। तभी शीला ने कहा मैडम हाल-चाल बाद में पूछना पहले यह बताओ तुम्हारा फोन कहां है तुम्हारे मिस्टर ने हमें फोन किया है यह लो बात करो। जैसे ही मैंने फोन लिया मेरे पति मोहित ने उधर से कहा रानी तुम कब से कहां हो? कब से तुम्हारे फोन पर रिंग कर रहा हूं तुम उठा ही नहीं रही हो।  मैंने कहा “मैं नहा रही थी बताओ क्या बात है इतनी क्या तुम्हें जरूरी पड़ गई जो शीला को फोन करना पड़ा।”

मोहित ने कहा “जरूरी है तुम जल्दी से अपना सामान पैक करो अभी तुम्हारे मायके चलेंगे।”  मैंने मैंने बोला बताओ तो सही “बात क्या है।” मोहित ने कहा “तुम्हारी चाची मां अब नहीं रही तुम्हारे पापा ने बोला है की रानी को लेकर जल्दी आने के लिए कम से कम आखिरी दर्शन तुम कर सको । ”

यह खबर सुनकर मैं बहुत ही उदास हो गई क्योंकि वह मेरी मां तो नहीं थी लेकिन मां से कम भी नहीं थी वह मेरी चाची थी लेकिन मैं उसे बचपन से ही चाची मां कहती थी।  मैं जब 5 साल की थी तभी मेरी मां टीबी नामक गंभीर बीमारी से उनकी मृत्यु हो गई थी।



मैंने जल्दी से अपना बैग पैक किया और मोहित के आते ही  बाइक से अपने मायके के लिए चल दी। मोहित अपनी बाइक 80 की स्पीड में चला रहे थे और मैं पीछे बैठे मोहित के कंधे पर अपना सिर दे दिया था और अपने बचपन के स्मृतियों में खो गई। मैं तब 4 साल की ही थी जब मेरी चाचा की शादी हुई थी चाची देखने में इतनी सुंदर थी कि उनकी सुंदरता की चर्चा पूरे मोहल्ले भर में मशहूर हो गए जो भी आता चाची को देखने के बाद यही कहता।  राकेश की दुल्हन ऐसा लगता है की हूर की परी है राकेश मेरे चाचा का नाम था। चाची के शादी के एक साल बाद ही मेरी मां का देहांत हो गया था।  अब मेरी देखरेख की सारी जिम्मेदारी मेरी दादी ने चाची को ही दे रखी थी और चाची सच में बहुत प्यारी थी मैं उसी समय से प्यार से चाची को चाची मां कहना शुरू कर दी थी।

मेरी दादी ने पापा पर बहुत दबाव डाला दूसरी शादी करने के लिए लेकिन पापा ने इस बात से बिल्कुल ही इंकार कर दिया कि वह दुबारा शादी करेंगे। चाची की शादी के भी 5 साल से ज्यादा हो गए थे लेकिन चाची अभी तक मां नहीं बन सकी थी दादी इसी चिंता में रहती थी कि चाची कैसे भी करके मां बन जाए।

अब चाची को दादी ने ताना भी मारना शुरू कर दी थी  इतना सुंदर चेहरा रखने से क्या फायदा जो इस घर को एक वंश ही ना दे सको। दादी ने कितने सारे डॉक्टर से चाचा और चाची को जांच कराया और तंत्र मंत्र, पंडित सब कुछ करवा कर देख लिया लेकिन फिर भी चाची मां नहीं बन सकी। देखते देखते  चाची की शादी को अब 10 साल से भी ज्यादा गुजर चुका था और मैं भी  मैट्रिक पास कर चुकी थी। लेकिन अभी भी चाची मां नहीं बनी। दादी मेरी बहुत परेशान रहने लगी थी दादी को लगता था कि अब हमारा  वंश यहीं पर खत्म हो जाएगा।

दादी ने चाचा को भी कई बार दूसरी शादी करने के लिए कहा लेकिन चाचा ने यह कह कर मना कर दिया कि यह क्या गारंटी है कि दूसरी लड़की आएगी उससे भी बच्चा पैदा ही हो  क्योंकि यह भी तो हो सकता है कि मेरे में ही कमी हो।



कई बार तो दादी मेरे पापा से भी दूसरी शादी करने को जिद करने लगती थी लेकिन पापा ने साफ मना कर दिया था मां तुम भी कैसी बात करती हो अब क्या मेरी उम्र है शादी करने की और फिर शीला भी हमारी बेटी है क्या बेटियां वंश  नहीं बढ़ा सकती हैं। दादी कहती तुम सबके दिमाग में भूसा भर गया है कौन तुम्हें समझाएं।

चाची का सुंदर चेहरा तनाव के कारण बिल्कुल ही पीला पड़ गया था आंखें धंस के अंदर चली गई थी।  चाची के शरीर में मांस सिर्फ कहने को था पूरा हड्डी नजर आती थी। यह बात सच भी है आखिर चाची का इसमें क्या दोष अगर वह मां नहीं बन पा रही है तो लेकिन दादी को भी कौन समझाए।

एक दिन तो चाचा और चाची को दादी ने घर से बाहर निकल जाने के आदेश दे दिए।  दादी ने कहा जब तुम इस घर को वंश नहीं दे सकते हो तो तुम्हें इस घर में रहने का कोई हक नहीं है निकल जाओ यहां से और जहां मर्जी रहो अपना हिस्सा लेना चाहो वह भी ले लो।

चाचा भी दादी की बातों से तंग आ चुके थे चाची भी बीमार रहने लगी थी। चाचा ने चाची को संग लिया और घर छोड़ कर चले गए  उन्होंने दादी से बोला हमें कुछ नहीं चाहिए इस घर से।  मैं जितना कमाता हूं उसमें हम दोनों का पेट भर जाएगा।

चाचा और चाची जाने लगे मैं दौड़कर चाची को रोकने लगी चाची माँ  प्लीज मत जाओ। लेकिन मेरा हाथ दादी ने पकड़ लिया है और बोली तुम चलो अंदर।  चाचा और चाची के जाते ही ऐसा लगा मैं दोबारा से अनाथ हो गई। 

उस दिन मैं खूब रोई शाम को पापा जब ड्यूटी से घर आए पापा से लिपटकर मैंने सारी बात बताई लेकिन पापा ने दादी  को डांटा जरूर लेकिन पापा की भी दादी के आगे एक भी नहीं चलती थी।  उस दिन के बाद से घर की सारी जिम्मेदारी मेरे ही सिर पर आ गई।

दादी मेरी बूढ़ी हो गई थी उससे कुछ हो नहीं पाता था बैठे-बैठे सब्जी जरूर काट देती थी। अब तो घर का खाना भी मुझे ही बनाना पड़ता था और फिर स्कूल जाना भी जरूरी था। अगले दिन जब मैं स्कूल गई तो बाहर एसटीडी बूथ से  चाचा के नंबर पर फोन किया चाचा आपने  कहां पर कमरा लिया है। 



चाचा से एड्रेस लेकर मैं चाची से मिलने चली गई। चाची के पास पहुंचते ही मैं चाची के गले लिपट गई ऐसा लग रहा था हम दोनों मां बेटी कितने दिनों के बिछड़े मिल रहे हैं।  चाची भी मुझे मां से कहीं  कम प्यार नहीं करती थी।

थोड़ी देर मिलने के बाद मैंने बोला चाची मैं जा रही हूं अब घर पर भी खाना मुझे ही बनाना पड़ता है । मैंने चाची को बोला कि मैं रोजाना स्कूल से वापस आते हुए आपसे जरुर  मिलने आया करूंगी। स्कूल से वापस आते ही मैं चाची के घर जाती थी चाची मेरे लिए खाना बना कर रखी रहती थी और हम और चाची कुछ देर आपस में बातें करते फिर मैं घर चली आती। मेरे पापा ने कई बार दादी को समझाया अब तो उनको घर बुला लो।  मैंने भी कई बार दादी से आग्रह किया कि दादी चाची का इसमें क्या दोष बुला लो ना यहीं पर।

दादी हमें डांट देती थी तुम्हें रहना है तो रहो नहीं तो तुम लोगों को भी जाना है तो जाओ मैं अकेले रह लूंगी। समय चक्र चलता रहा मैं कॉलेज में चली गई लेकिन मैंने अपनी चाची से मिलना नहीं छोड़ा था रोजाना मैं किसी न किसी बहाने अपनी चाची से मिलकर आ ही जाती थी। 

एक दिन मेरे मामा हमारे घर आए और पापा से उन्होंने बोला कि एक लड़का बैंक में कैशियर है मैंने अपने रानी के लिए उससे बात किया है तुम कहो तो बात को आगे बढ़ाऊँ। पापा को भी यह रिश्ता पसंद आया और पापा ने उस लड़के से मेरी शादी तय कर दी।

मैंने यह खुशखबरी सबसे पहले जाकर अपनी चाची को सुनाई मेरी शादी तय हो गई है और आपको मेरी शादी में जरूर आना है।  चाची ने कहा हां हां बेटी क्यों नहीं आएंगे तुम ही तो एक हमारी बेटी हो और तुम्हारी शादी में नहीं आएंगे तो किसकी शादी में आएंगे।



3 महीने बाद मेरी शादी का डेट निकल गया था मेरी दादी मेरी शादी की तैयारियों में लग गई थी मेरी दादी की उम्र वैसे तो 65 साल से ज्यादा हो चुका था लेकिन  मेरी शादी के नाम पर तो ऐसा लगता था कि मेरी दादी में ना जाने कहां से एक्स्ट्रा ताकत आ गया हो।

दादी ने मेरे पापा से कह दिया था कि मेरी पोती की शादी ऐसा होना चाहिए कि इस मुहल्ले में किसी की  भी ऐसी शादी ना हुई हो चाहे जितना भी खर्चा हो सके खर्चा करने से मत डरना। देखते-देखते शादी का दिन नजदीक आ गया घर में सारे मेहमान आना शुरू हो गए थे।

मैंने दादी से बोला कि दादी चाची को भी तो शादी में बुला लेते हैं। दादी ने कहा उस मनहूस को तुम्हारी शादी में क्यों बुलाएंगे तुम्हें क्या पता बांझ औरत बिल्कुल मनहूस होती है।  मैंने दादी से बहुत बार आग्रह किया तो दादी, चाची को बुलाने के लिए मान गई। मैं जाकर चाची को लेकर आई। शादी से 1 दिन पहले सारे मेहमानों के सामने कपड़े और जेवर दिखाने के बाद दादी ने  उसे सहेज कर अपने कमरे में ले जाकर रख दिया। 

अगले दिन सुबह अचानक से दादी ने पापा को आवाज दिया और मुझे भी बुलाया हम लोग जैसे ही दादी के कमरे में गए दादी चीखने चिल्लाने लगी।  

दादी ने बताया जिस बक्से में जेवर रखा हुआ था वह बक्सा ही गायब था। पापा ने दुबारा से कमरे में वह बक्सा ढूंढना शुरू किया। पापा बक्से को ऐसे ढूंढ रहे थे जैसे कमरे में बख्शा नहीं सुई ढूंढ रहे हो।  पूरे घर में बक्से को ढूंढा गया कहीं पर भी बक्सा नहीं मिला यह तो पक्का हो गया कि बक्सा  चोरी हो गया है। मेरी दादी ने बिना कुछ सोचे समझे चाची को मनहूस कहना शुरू कर दी उन्होंने कहा कि देख लिया ना मैं कह रही थी ना कि उसको अपनी शादी में मत बुलाओ देखो उसके आते ही क्या हो गया अब बताओ आज ही तुम्हारी शादी है कहां से इतनी जल्दी इतने गहने का इंतजाम होगा।  चाची ने जब सुना की दादी उनको मनहूस कह रही है चाची भी खूब रोने लगी और अपने आपको कहने लगी कि मैं मनहूस नहीं हूं. मैंने बेटी को जन्म नहीं दिया है तो क्या हुआ रानी मेरी बेटी है कोई जन्म देने से ही मां नहीं हो जाता है। घर में सब परेशान हो गए थे पापा भी आखिर इतनी जल्दी अब गहने का इंतजाम कैसे होगा।  मामा ने कहा अब तो एक यही उपाय है चलकर नकली गहने बनाया जाए।

मेरे पापा और मामा जैसे ही बाजार जाने के लिए निकले।चाचा ने पूछा भैया कहां जा रहे हो। पापा ने बताया तुम्हें तो पता ही है कि रानी के सारे गहने चोरी हो गए हैं पुलिस FIR तो करवा दिया गया है लेकिन अब शादी के लिए गहने का इंतजाम तो करना ही पड़ेगा।

इसी सिलसिले में नकली गहने बनवाने जा रहे हैं। तभी मेरी चाची बोल उठी भाई साहब आपको कहीं जाने की जरूरत नहीं है मेरी बेटी नकली गहने पहन कर थोड़ी मायके से ससुराल विदा होगी उसकी चाची मां अभी जिंदा है आखिर मेरे गहने किस काम का। 

चाची अपने शादी के सारे जेवर लाकर दादी के पैरों में रख दिया था और बोली सासु मां यह रानी को दे दीजिए। रानी भी तो हमारी बेटी ही है। बेटी की विदाई नकली जेवर से हो एक माँ कैसे बर्दाश्त कर सकती है। दादी मां का कलेजा पिघल गया था जिस चाची मां को दादी इतना  ताने देते रहती थी। 



 चाची फिर भी दादी की किसी भी बात को बुरा नहीं मानती थी। दादी ने उसी समय चाची को गले लगा लिया और चाची को कहा बहु पता नहीं मेरे मन में क्या आ गया था मैं अपने सोने जैसी बहू को इतने दिनों से घर से बाहर रखी हुई थी। मैं पता नहीं किस मोह माया में पड़ गई थी तुम मां नहीं बन सकी उस में तुम्हारा क्या दोष  मैं तुम्हारे अंदर की ममता नहीं देख सकी बहू मुझे माफ कर दो। दादी ने उसी समय फरमान जारी किया कि रानी की शादी का सारे रीति रिवाज रानी की चाची और चाचा करेंगे और कन्यादान भी यही करेंगे।

पता नहीं क्यों अब मुझे उस गहने चोरी होने का बिल्कुल भी गम नहीं था क्योंकि अगर गहने के बदले मां मिल गई इससे ज्यादा मुझे खुशी क्या हो सकती थी।  शाम होते ही बारात आई और सुबह होते ही मैं अपने मायके से विदा होकर ससुराल आ गई

लेकिन मायके से विदा होते वहाँ मुझे कहीं से भी एहसास नहीं हुआ कि चाची मां मेरी मां नहीं है इतनी रोई  इतनी रोई कि शायद मेरी मां भी होती तो वह भी इतनी ही रोती। उस दिन के बाद से दादी ने चाची को यहीं पर रख लिया। मैं सच में बहुत खुश थी और सब खुश थे

किसी को भी उस गहने चोरी होने का अब गम नहीं था क्योकि कुछ गहने के बदले बिछड़ा हुआ परिवार जो मिल गया था। तभी अचानक से मेरे पति ने बाइक का ब्रेक लगाया रानी कहां खोई हुई हो तुम्हारा घर आ गया।  मैंने देखा सच में यह तो मैं अपने मायके पहुंच गई। 

उतरते ही मैं भी खूब रोई मैं देख रही थी कि मेरी दादी, मेरे पापा और  मेरे चाचा सब रो रहे थे । इस बार सच में मुझे भगवान पर बहुत गुस्सा आ रहा था क्योंकि मैं इतनी कम उम्र में दो बार अनाथ हो चुकी थी। मैंने अपनी चाची के अंतिम दर्शन किए और उसके बाद चाची के दाह संस्कार करने के लिए बनारस ले जाया गया।

उस दिन के बाद से मेरे ऊपर सिर्फ मेरे ससुराल की ही जिम्मेदारी नहीं थी बल्कि मेरे मायके के भी क्योंकि यहां पर मेरी एक दादी और मेरे पापा और चाचा भी थे उनकी जिम्मेवारी अब मेरे ही ऊपर थी।  मेरे पति बहुत अच्छे हैं और मेरे ससुराल वाले भी वह कभी भी मुझे मेरे मायके आने से मना नहीं करते थे

वह सब यही कहते थे कि तुम बेटी नहीं बल्कि अपने मायके का बेटा भी हो ।

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