निराशा के बादल छंटने लगे हैं-Mukesh Kumar

आज मेरी पहला करवा चौथ था।  मैंने अपने पति दिनेश से आज जल्दी ऑफिस से घर आने को बोला था. शाम के 5:00 बज गए थे लेकिन दिनेश अभी भी ऑफिस से घर नहीं आए थे।  मैंने उनको फोन किया तो उन्होंने बोला रास्ते में हूं तुम्हें तो पता ही है कि पहाड़ी वाले मेरास्ते मे कितना ट्रैफिक होता है और आज तो एक एक्सीडेंट भी हो रखा है इस वजह से एक तरफ का रोड पूरी तरह से जाम लगा हुआ है बस थोड़ी देर इंतजार करो मैं  आधे घंटे में आता हूं।

पहाड़ी वाले रास्ते में एक्सीडेंट का नाम सुनकर मैं डर सी गई  और 5 साल पुराना वह हादसा मुझे आज भी याद है जो मुझे अंदर तक झकझोर देता है।

  मैं और अमित दोनों साथ ही  एक ही इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ाई किया करते थे पढ़ाई के दौरान ही हम दोनों में काफी गहरी दोस्ती हो गई थी और हमारा दोस्ती कब प्यार में बदल गया यह हमें भी एहसास नहीं हुआ।  इंजीनियरिंग पास आउट हुए और एक ही कंपनी में हम दोनों का प्लेसमेंट हो गया। हम दोनों बैंगलोर में अलग अलग पीजी में रहने लगे थे फिर कुछ दिनों के बाद हम दोनों लिव-इन रिलेशनशिप में साथ ही रहने लगे। धीरे धीरे हमें साथ रहते हुये1 साल से भी ज्यादा हो गया।

 



दिवाली की छुट्टियों में अमित अपने गांव चला गया और मैं भी अपने घर दिल्ली आ गई।  छूटियाँ समाप्त हुई और हम दोनों बंगलुरु लौट चुके थे। लेकिन इस बार अमित के स्वभाव में बिल्कुल ही बदलाव आ चुका था अमित बिल्कुल निराश रहने लगा था मुझसे बात भी नहीं करता था यहां तक कि एक ही फ्लैट में हम दोनों रहते थे एक ही बेड पर साथ सोते थे लेकिन ऐसा लगता था कि हम दोनों के बीच मिलों की दूरियां हो।  अमित का इस तरह से व्यवहार करना मुझे बहुत अजीब लग रहा था। मैंने आखिर अमित से पूछ लिया अमित सच सच बताओ बात क्या है तुम इतना उदास क्यों रहते हो क्या मेरे से कोई गलती हो गई है। अमित ने कहा ” नहीं पूजा मैं तुम्हें बहुत प्यार करता हूं लेकिन अब हम पूरी जिंदगी साथ नहीं रह सकते हैं। ” मैंने आश्चर्य से अमित से पूछा क्यों क्या हो गया  अमित।

अमित ने बताया है कि वह जब अभी घर गया था तो उसके पापा ने उसकी शादी तय कर दी थी जब मैं ने बताया कि मैं तुमसे प्यार करता हूं और तुम ही से शादी करना चाहता हूं यह सुनकर मेरे पापा को हार्ट अटैक आ गया और आनन-फानन में पापा को  पटना हॉस्पिटल में भर्ती किया गया। पापा ठीक होते ही दोबारा से वही बात दोहराने लगे बेटा मैंने लड़की के पिताजी को वचन दे दिया है और मैं नहीं चाहता हूं कि मेरी नाक कटे। अब तुम ही बताओ पूजा मैं क्या करूं मैंने पापा को भी हां कर दिया है और तुम्हें भी छोड़ नहीं सकता।

मैं गुस्सा हो गई अमित पर और मैंने कहा छोड़ नहीं सकता का क्या मतलब है तुमने तो छोड़ दिया जब तुम्हें अपने घर वालों के सामने स्वीकार करने की हिम्मत ही नहीं थी तो फिर मुझसे प्यार क्यों किया अब तुम ही बताओ मैं कहां जाऊं।  अमित मुझसे माफी मांगने लगा। बस क्या था मैंने बैग पैक किया और और एक प्रॉपर्टी डीलर से मिलकर तुरंत पीजी ज्वाइन कर लिया।

हम एक ही ऑफिस में नौकरी करते थे लेकिन अब हम एक दूसरे से बातचीत नहीं करते थे लेकिन कुछ दिनों के बाद लंच के दौरान अमित आया और बोला पूजा क्या हम एक अच्छे दोस्त बनकर नहीं रह सकते।  मैंने बोला ठीक है। फिर हम दोस्त बनकर रहने लगे।



दिसंबर में अमित की शादी हो गई और वह अपनी पत्नी को लेकर बेंगलुरु आ गया। मैंने एक दिन ऑफिस में कहा अमित क्या तुम अपनी पत्नी से नहीं मिलाओगे मुझे।  अमित बोला हां हां क्यों नहीं इस संडे डिनर तुम मेरे घर पर ही करोगी। संडे के दिन मैं अमित के घर पर डिनर कर रही थी अमित की पत्नी अमित के बगल में बैठी हुई थी और मैं सोच रही थी किकितना  जल्दी सब कुछ बदल जाता है कुछ दिन पहले वह जगह मेरी थी और आज मैं सामने हूं और वहां पर कोई और आ चुका है।

समय अपनी रफ्तार से चलता रहा।  ऑफिस में एक दिन अमित ने बताया कि कल मैं ऑफिस नहीं आऊंगा मैंने बोला क्यों तुम्हें नहीं पता कल करवा चौथ है तो मैं चाहता हूं कल का पूरे दिन अपनी पत्नी के साथ बिताऊँ।  मैंने कहा अमित मुझे कैसे पता रहेगा मैं कौन सी शादी शुदा हूं। मैंने भी मन ही मन अमित को अपना पति मान चुकी थी अब दोबारा किसी से भी शादी करने का इरादा नहीं था पता नहीं क्यों मुझे भी मन किया मैं भी करवा चौथ की व्रत रखूं।

अगले दिन मैंने भी ऑफिस से छुट्टी ले लिया और अमित के नाम पर करवा चौथ का व्रत रख लिया।  दोपहर को मैंने अमित को फोन किया और बोला अमित मैं तुम्हें शाम को 6:00 बजे पहाड़ी वाली मंदिर के पास मिलना चाहती हूं।  अमित बोला यार पूजा आज मैं शाम को कैसे आ सकता हूं तुम्हें तो पता है आज करवा चौथ है और मैंने छुट्टी भी इसीलिए लिया था कि आज पूरे दिन अपनी पत्नी रिया के साथ बिताऊँगा।  मैंने बोला अमित क्या तुम मेरे लिए इतना भी नहीं कर सकते हो आखिर मैंने भी तुमसे प्यार किया था और अभी भी करती हो अगर हमारे प्यार की थोड़ी सी भी इज्जत करते हो तो प्लीज 6:00 बजे मंदिर के पास आ जाना मैं तुम्हारा इंतजार करूंगी।

6:00 बजे मैं मंदिर पहुंच चुकी थी और अब अमित का इंतजार कर रही थी मुझे पूरा विश्वास था अमित जरूर आएगा और अमित आया भी।  अमित ने मुझे देखते ही बोला यह बताओ तुमने मुझे यहां पर क्यों बुलाया और आज तुम ऑफिस नहीं गई थी और तुम दुल्हन के लिबास में क्यों हो क्या इसी मंदिर में शादी है तुम्हारी।



मैंने कहा अमित कैसी बात कर रहे हो प्यार तो जीवन में एक बार ही होता है और वह तुमसे हो चुका है मैंने भी तुम्हारे नाम का  करवा चौथ रखा है और मैं तुमसे मिलना चाहती थी। अमित बोला पूजा यह सब ठीक नहीं है हां सही है कि मैं तुमसे बहुत प्यार करता था और अभी भी करता हूं लेकिन अब हमारा ऐसे  मिला ठीक नहीं है तुम भी किसी और से शादी कर के घर बसा लो कल को मेरी पत्नी रिया को इस बात का पता चलेगा तो वह भी बहुत नाराज होगी क्योंकि मैंने उसे हमारे रिश्ते के बारे में कभी नहीं बताया है मैंने सिर्फ इतना बताया है कि तुम मेरी एक अच्छी वाली दोस्त हो।

अमित का फोन बजा और उस तरफ से रिया की आवाज आ रही थी अभी आप कहां हैं आपका फोन भी कब से नहीं लग रहा था जल्दी आइए चांद निकलने वाला है।  मैंने पूजा से कहा पूजा जल्दी चलो चांद निकलने वाला है। मैंने अमित की एक वीडियो बनाई और सोची घर जा कर यह वीडियो देखकर अपना व्रत तोडूंगी।

काली मंदिर के पास से अमित का घर आधे घंटे की दूरी पर था अमित बोला जल्दी से मेरी बाइक पर पीछे बैठो नहीं तो लेट हो जाएगा।  अमित बहुत तेज बाइक चला रहा था मैंने उसे कई बार बोला भी अमित थोड़ा धीरे चला लो और रास्ता देखो कितना संकरा है। रास्ते में बहुत तीखा  मोड़ था। फिर क्या था वहीं पर हमारी बाइक उधर से आती हुई कार में सीधी टक्कर हो गई। उसके बाद मुझे कुछ याद नहीं था सुबह हुआ तो मैं हॉस्पिटल के बेड पर थी।

पता चला कुछ लोग मुझे हॉस्पिटल पहुंचा गए थे।  मुझे ज्यादा चोट तो नहीं आई थी पैर फ्रैक्चर हो चुका था।

मेरे फोन से नंबर लेकर हॉस्पिटल वालों ने मेरे मम्मी पापा को फोन कर दिया था पापा मेरे बाई प्लेन बेंगलुरु पहुंच चुके थे।



मेरे होश आते ही मैंने पापा से अपना फोन मांगा और अमित को फोन लगाने लगी लेकिन अमित का फोन स्विच ऑफ आ रहा था। मैंने अमित की पत्नी रिया को फोन लगाया रिया ने फोन जैसे ही उठाया रिया रोना शुरू कर दी थी मैंने पूछा लिया क्या हो गया क्यों रो रही हो।   रिया ने बताया कि कल शाम को अमित उसे बोलकर बाहर गये थे कि मैं बस 5 मिनट में बाजार से आ रहा हूं और वह आधे घंटे तक नहीं आए तो वह फोन लगाने लगी लेकिन 1 घंटे बाद खबर आया उन’का पहाड़ी वाले मंदिर के पास एक्सीडेंट हो चुका है और जैसे ही मैं वहां पहुंची अमित का वहीं पर स्पॉट डेथ हो गया था।  पता नहीं अमित मंदिर की तरफ क्यों गए थे। मैंने रिया को यह नहीं बताया कि अमित मुझसे मिलने के लिए पहाड़ी वाले मंदिर के पास आया था और मेरा भी एक्सीडेंट हो रखा है मैंने अपने आप पर बहुत काबू किया क्योंकि मैं नहीं चाहती थी कि यह बात किसी और को पता चले।

उस दिन के बाद से मैं अपने आप को अमित के मृत्यु का दोषी मानने लगी कितना खुश था अमित अपने जीवन में मैंने उसे मार दिया अगर ना मैं उसे पहाड़ी वाले मंदिर के पास बुलाती है उसका एक्सीडेंट होता अमित की हँसती-खेलती दुनिया मैंने  उजाड़ी दी। बेचारी रिया अमित की पत्नी अभी उसकी उम्र ही क्या है अभी से मैंने उसकी जीवन बर्बाद कर दी।

मन ही मन में अपने आप को बहुत पश्चाताप कर रही थी।

हॉस्पिटल से छुट्टी होते ही  पापा मुझे दिल्ली लेकर आ गए कुछ दिनों के बाद में पैर से मेरा प्लास्टर कट चुका था और मैंने दोबारा से  बंगलुरु जाकर कंपनी ज्वाइन कर लिया था। मैं वहां जाकर लगातार रिया से बात करती रहती थी। मैंने तो कई बार रिया से बोला रिया अब जो कुछ हुआ उसे भूल जाओ और मेरी मानो तो दोबारा से शादी करके अपनी नई जिंदगी की शुरुआत करो।  लेकिन रिया हमेशा मुझसे यही बोला करती थी कि दीदी हमारे तरफ एक बार जिससे शादी हो जाता है उसी के साथ पूरी जिंदगी गुजारते हैं दोबारा शादी करने का रिवाज नहीं है। और मैं भी नहीं करना चाहती हूं मैं भी अमित से बहुत प्यार करती हूं अमित जी की अलावा मेरे दिल में किसी और के लिए जगह नहीं है।



कई बार मेरे माता-पिता भी मुझे ले जाने  के लिए कहते हैं। लेकिन मैं कैसे चली जाऊं अमित के माता-पिता अकेले हैं बूढ़े हैं अमित का कोई भाई और बहन भी नहीं था फिर इनकी देखभाल कौन करेगा।

यंहा  तो खर्चा चलाना भी मुश्किल हो रहा है क्योंकि अमित थे तो अपने माता पिता के लिए हर महीने पैसे भेज दिया करते थे। घर चलाने के लिए पापा जी को दोबारा से काम करना पड़ रहा है असल में अमित के पापा अपने जिले  कोर्ट में टाइपिस्ट की नौकरी करते थे अब कमाई का दूसरा जरिया नहीं होने के कारण वह दोबारा से टाइपिंग की नौकरी करना शुरू कर दिया था। मैं किसी तरह से अब रिया के घर वालों की मदद करना चाहती थी क्योंकि आज इनके घर की जो दुर्दशा है वह सब मेरे कारण ही है।  मैंने रिया से उसके ससुर का बैंक अकाउंट देने को कहा। रिया ने साफ मना कर दिया है नहीं दीदी आप क्यों पैसे भेजोगी। मैंने रिया से कहा रिया अमित भी मेरा बहुत अच्छा दोस्त था और दोस्त ही तो दोस्त के काम आता है। उस दिन के बाद से मैं हर महीने रिया के ससुर के  अकाउंट में ₹5000 ट्रांसफर कर दिया करती थी।

मैंने एक दिन रिया से कहा या तुम्हें कंप्यूटर तो चलाने आता ही है अगर कोई तुम्हें  घर से ही पार्ट टाइम काम मिल जाए तो क्या करोगी ?। रिया ने कहा हां दीदी क्यों नहीं करूंगी।  मैं समय निकालकर धीरे धीरे धीरे रिया को डिजिटल मार्केटिंग करना सिखा दिया था और बेंगलुरु के कुछ कंपनियों का वर्क फ्रॉम होम रिया को  दिलवा दिया था।

रिया महीने के ₹6000 कमाने लगी थी।  मेरा मन थोड़ा सा तो हल्का हुआ है कि चलो कुछ तो मैं उनके परिवार की हेल्प कर पाई।  धीरे धीरे मेरी बात चीत रिया के सास ससुर से भी होने लगी थी। मैंने सब को मना लिया था रिया के शादी के लिए और कुछ दिनों के बाद रिया के सास ससुर ने रिया को अपनी बेटी बनाकर रिया की शादी वहीं गांव में ही एक सरकारी शिक्षक से कर दिया था।



अब मेरे मन से भी थोड़ा बोझ तो कम ही हो गया था।  लेकिन मैंने अपने मन में यह जरूर ठान लिया था कि मैं अमित के पापा जब तक जिंदा रहेंगे उनके अकाउंट में पैसे ट्रांसफर करना नहीं भूलूंगी।

समय के साथ मेरे मम्मी पापा ने भी मुझ पर दबाव डाल कर शादी करने पर मजबूर कर दिया।   मेरे मम्मी पापा ने बैंगलोर में ही एक लड़के से मिलने के लिए कहा बेटी तुम एक बार मिल लो अगर तुम हां कहोगी तभी हम तुम्हारी शादी करेंगे।

रविवार का दिन था मैं रोशन से मिलने जा रही थी पास के ही एक कॉफी हाउस में हम दोनों मिले और रोशन से मिलते ही पता नहीं क्यों मुझे उसमें अमित दिखाई देने लगा ऐसा लग रहा था कि अमित दोबारा से जन्म लेकर रोशन के रूप में आ चुका है।  धीरे-धीरे रोशन भी मेरा अच्छा दोस्त बन गया और फिर मैंने अपने घर पर शादी के लिए हां कर दी।

आज मेरा शादी के बाद पहला करवा चौथ था।  तभी अचानक से दरवाजे की बेल बजी और दौड़ कर मैं दरवाजे पर गई देखी तो रोशन  सही सलामत था। मैंने रोशन को आते ही गले लगाया रोशन बोला क्या हो गया इतनी डरी हुई क्यों हो।  मैं अपनी जिंदगी के बारे में रोशन से कुछ नहीं बताना चाहती थी। थोड़ी देर के बाद चांद निकला और मैंने अपने करवा चौथ का व्रत तोड़ा।

समय की धारा में धीरे धीरे मेरे और रिया के जिंदगी में जो निराशा  के बादल आ गए थे वह अब छंट चुके थे।

Writer:Mukesh Kumar

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