ख्वाबों के परिंदे उड़ चले हैं-Mukesh Kumar

अनुराधा अपने 3 साल की बेटी जानवी को लेकर बाजार में सब्जी खरीद रही थी.  अनुराधा सब्जी वाले से आलू का भाव पूछ रही थी तभी उसके कंधे पर किसी ने हाथ रख दिया अनुराधा ने पीछे मुड़ कर देखा तो उसकी दोस्त पुष्पा पीछे खड़ी थी।  अनुराधा ने आश्चर्य से पूछा अरे पुष्पा तुम यहां कैसे ! पुष्पा ने कहा जैसे तुम यहां बाजार में सब्जी खरीदने आई हूं वैसे मैं भी। पहले तुम बताओ तुम जबलपुर में कैसे तुम्हारी तो शादी  भोपाल में हुई थी ना।

पुष्पा स्कूल के दिनों की अनुराधा की सहेली थी और वह दोनों एक दूसरे के बेस्ट फ्रेंड थे मतलब बिल्कुल सच्ची वाले बेस्ट  फ्रेंड जो एक दूसरे से कोई भी बात नहीं छुपाते थे चाहे वह कोई भी बात क्यों ना हो। पुष्पा की शादी जबलपुर में ही हुई थी और वह जबलपुर में ही रहती थी लेकिन पुष्पा और अनुराधा की यह मुलाकात स्कूल के बाद पहली बार ही हो पाई थी।

अनुराधा ने  पुष्पा को बताया कि हां उसकी शादी भोपाल में ही हुई थी लेकिन अब यहीं पर जॉब करती है।  अनुराधा ने पुष्पा से पूछा कि तुम जबलपुर में कैसे। पुष्पा ने कहा भाई जबलपुर में ही तो मेरा ससुराल है  और सबसे अच्छी बात मैं यहीं बगल में ही रहती हूं चल मेरे साथ मेरे घर चाय पीते हैं और ढेर सारी बातें करते हैं कितने दिनों बाद तो मिली हो।  मैं कितनी बार तुम्हें फेसबुक पर सर्च करती रहती थी लेकिन तुम मिली ही नहीं। पुष्पा ने अनुराधा से पूछा तुम कहां रहती हो। अनुराधा ने कहा यही राजीव नगर में।  पुष्पा बोली अब तो हमारी मुलाकात होती ही रहेगी। कुछ देर के बाद ही पुष्पा के घर पर अनुराधा पहुंच चुकी थी। पुष्पा ने अनुराधा की बेटी को बहुत सारे खिलौना खेलने के लिए दे दिया था वह खिलौने में खेलने में व्यस्त हो गई दोनों सहेलियां किचन में चाय बनाते हुए बातें करना शुरू कर दी।

पुष्पा ने अनुराधा से पूछा अनुराधा एक बात पूछूं बुरा तो नहीं मानेगी।  अनुराधा ने कहा ” पुछो बुरा क्यों मानूंगी”



पुष्पा ने अनुराधा से कहा अनुराधा पता नहीं मुझे क्यों ऐसा लग रहा है कि तुम वह बचपन वाली अनुराधा नहीं हो कितनी बदल गई हो तुम्हारे चेहरे पर इतना गंभीरतापन नजर आ रहा है ऐसा लग नहीं रहा है कि तुम अंदर से खुश हो।  अच्छा छोड़ो मैं भी कहां उलझ गई यह बताओ जीजा जी कहां हैं और क्या करते हैं।

अनुराधा अपने हस्बैंड का नाम सुनते ही उसके चेहरे पर तनाव आ गया और वह बिल्कुल विचलित सा हो गई।  चेहरा पूरी तरह से लाल हो गया और मार्च के महीने में पसीना निकलना शुरू हो गया। पुष्पा ने पूछा क्या हुआ अनुराधा तुम इतना परेशान क्यों हो गई।  यह लो पानी पियो पुष्पा ने कहा चलो बाहर सोफे पर बैठे हैं फिर बातें करते हैं।

दोनों सहेलियां सोफे पर बैठ गई कुछ देर के बाद अनुराधा ने अपनी सहेली पुष्पा से कहा।  पुष्पा मैं यहां अकेली रहती हूं मेरा मेरे पति से तलाक का केस चल रहा है। पुष्पा ने कहा क्या बात करती है ऐसा क्या नौबत आ गई जो तुझे अपने पति से तलाक लेना पड़ा रहा है। तुम्हारे जैसे लड़कियों को भी तलाक लेना पद रहा है  मैं सोच भी नहीं सकती तुम तो जहां भी जाओ उस घर को स्वर्ग बना दो इस तरह का नेचर है तुम्हारा।

अनुराधा ने पुष्पा से कहना शुरू किया।  उस वक्त तुम्हें याद है ना जब हम स्कूल में थे तो मुझे शिक्षक बनने का बहुत ही शौक था और मेरा सपना भी।

12वीं करने के बाद मैंने ग्रेजुएशन कंप्लीट की और उसके बाद B.Ed की तैयारी करना शुरू कर दिया।  B.Ed का एग्जाम भी क्वालीफाई कर लिया। लेकिन B.Ed कॉलेज में एडमिशन नहीं करवा पाई क्योंकि तभी पापा ने मेरी शादी वैभव से तय कर दिया था।  मैंने पापा से कहा पापा अभी मुझे B.Ed कर लेने दो उसके बाद मेरी शादी कर देना इतनी मुश्किल से तो B.Ed का एंटरेंस क्वालीफाई किया है।

पापा ने यह कह कर मेरा मुंह बंद कर दिया कि बेटी तुम्हें तो पता ही है आजकल लड़कियों की शादी करना कितना मुश्किल काम है और फिर तुम तो 3 बहने हो।  पहले तुम्हारा होगा तभी तो तुम्हारी छोटी बहनों का भी होगा और B.Ed का क्या है यह तो तुम शादी के बाद भी कर सकती हो। लड़की हूँ ना क्या कर सकती थी पापा की बात मानना ही पड़ा।

वैभव भोपाल में एक सॉफ्टवेयर कंपनी में इंजीनियर था मैंने सोचा चलो लड़का अच्छा है पढ़ा लिखा है खुली सोच वाला होगा मैंने शादी के लिए हां कर दी।  कुछ दिनों के बाद मेरी शादी हो गई और मैं भोपाल अपने ससुराल चली गई। शादी के कुछ दिनों बाद मैंने वैभव से B.Ed की तैयारी करने के बारे में बताया। उसने बोला हां हां कर लो मुझे कोई एतराज नहीं।  मुझे वैभव पर सच में प्यार हो गया था मैं कभी सोच भी नहीं सकती थी कि शादी के बाद पति से भी प्यार हो जाता है। भोपाल के ही एक B.ed कॉलेज में मेरा दाखिला हो गया और मैं रेगुलर कॉलेज आने जाने लगी।



उस दौरान मैंने महसूस किया कि हम दोनों अपने काम में इतना बिजी हो गए कि एक दूसरे के लिए समय ही नहीं है।  मैं भी पूरे दिन कॉलेज से थकी हारी आती फिर घर का काम भी निपटाना होता था। वैभव देर रात से घर आता है और घर आने के बाद सीधे ही खाना खा कर सो जाता।  मुझे लगता था वैभव कंपनी के काम में व्यस्त है डिस्टर्ब नहीं करना चाहिए।

एक दिन संडे का दिन था मैंने वैभव से कहा वैभव हम दोनों एक साथ कितने दिन हो गए समय नहीं बिताया है चलो आज मूवी देखने चलते हैं। वैभव ने कहा यार तुम तो देखती हो पूरे सप्ताह कितना ऑफिस में काम होता है मैं बहुत थका हुआ हूं आज मैं पूरे दिन आराम करना चाहता हूं तुम्हें देखने का मन है तो मैं ऑनलाइन टिकट बुक कर देता हूं तुम और मम्मी साथ में मूवी देखने चले जाओ।

मैंने वैभव को परेशान नहीं किया।  मैं और मम्मी 3:00 बजे का शो देखने के लिए घर से निकल चुके थे।  हम लोग सिनेमा देखकर जैसे ही निकले। ऐसा लगा की वैभव एक लड़की के साथ हाथ में हाथ डालकर सीढ़ियों से नीचे उतर रहे हैं।   मुझे लगा वो की उसी की तरह ही कोई होगा वैभव तो घर पर है और वह किसी और लड़की के साथ क्यों घूमेंगे।

कुछ देर के बाद हम जब घर पहुंची तो घर में ताला लटका हुआ मिला हमने फोन लगाया है आप कहां हो घर में ताला लटक रहा है।  वैभव ने कहा कि चाभी मैंने बगल वाली आंटी के घर पर दे दिया है मैं इधर पार्क घूमने आया हूं सोचा थोड़ा सा ताजी ताजी हवा ले लूं।

थोड़ी देर के बाद वैभव भी घर आ चुका था मैंने वैभव से पूछा वैभव पार्क  घूमने इतना सज-धज के गए थे। वैभव बोला तो क्या हो गया क्या पार्क टॉवल पहन कर चले जाते हैं क्या। पता नहीं क्यों उस दिन वैभव की बातों पर मुझे विश्वास नहीं हुआ।  रात में जब वैभव सो गया तो उस दिन पहली बार मैंने वैभव का फोन चेक किया मैंने देखा कि वह एक सारिका नाम की लड़की से चैट करता है और उससे मुझे एहसास हो गया कि जो मैंने मॉल में लड़के को देखा था वह कोई और नहीं वैभव ही था क्योंकि लड़की का चेहरा मुझे याद था और यह सारीका वही लड़की थी और इस पर इन दोनों की प्यार भरी बातों वाली चैट भी मैंने पढ़ लिया था।



मुझे पता नहीं था कि वैभव मेरे पीठ पीछे क्या गुल खिला  रहे हैं। मेरे अंदर का खून गुस्से मे उबल रहा था। मन कर रहा था कि अभी वैभव से जगा कर पूछो कि मुझ में क्या कमी है जो आप मेरे पीठ पीछे यह सब कर रहे हो।  लेकिन मैं अब रुकने वाली नहीं थी। सुबह होते ही मैंने वैभव से पूछा एक बात पूछनी है “बोलो सच सच बताओगे।” वैभव बोला “बोलो अनुराधा क्या बात है।” मैने कहा सच सच बताओ तुम कल कहां गए थे पार्क गए थे या कहीं और।  वैभव ने यार अजीब बात है जब मैंने तुमसे बोल दिया है कि मैं पार्क घूमने गया था तो फिर इसमें क्या पूछने वाली बात है।

मैने कहा तुम झूठ बोल रहे हो कल तुम सारिका के साथ मॉल में घूम रहे थे।  मैंने तुम्हारे फोन में सारिका के साथ तुम्हारा फोटो देख लिया है। वैभव ने कहा अनुराधा यह बिल्कुल गलत बात है किसी का फोन चेक करना मैंने क्या तुम्हारा कभी फोन चेक करता हूं तुम कहां किससे बात करती हो और क्या करती हो।

मैने कहा पति हो चेक कर सकते हो मैंने तो कभी मना नहीं किया और मैं तुम्हारी पत्नी हो क्या तुम्हारा फोन छूने का अधिकार नहीं है मुझे।  वैभव वो मुझे नहीं पता था कि तुम मेरे पीठ पीछे यह सब कर रहे हो मुझे लगता था कि तुम अपने काम में व्यस्त हो इसलिए देर से आते थे अब मुझे पता चला तुम्हारे देर  से आने का कारण।

वैभव अपना बेतुका तर्क देना शुरू कर दिया था और अनुराधा तो मैं क्या करता  हमारी शादी तो सिर्फ नाम की हुई थी तुम्हारे पास मेरे लिए समय ही नहीं था तुम अपने काम में व्यस्त हो गई थी तुम्हें B.Ed से फुर्सत मिले तब तो तुम मेरे साथ बिताओ।  मैंने कहा यह सब बहाने हैं हस्बैंड वाइफ दोनों नौकरी करते हैं तो वह फिर बाहर में किसी और से प्यार करने लग जाते हैं।

अनुराधा और वैभव की आवाज सुनकर अनुराधा की सास भी आ चुकी थी।  अनुराधा ने अपने सास से सारिका के बारे में बताया। अनुराधा के सास ने भी अपने बेटे का पक्ष लेते हुए कहा अरे बेटी सारिका तो इसके स्कूल की फ्रेंड है और यह दोनों अच्छे फ्रेंड हैं तुम गलत सोच रही हो इन के बारे में।  अनुराधा ने कहा कि मैं बिल्कुल सही सोच रही हूं फ्रेंड के साथ कौन उसके कमर में हाथ डाल कर घूमता है।



वैभव उस दिन पकड़ा गया था।  अनुराधा की रिश्ते में दूरियां उस दिन के बाद से और बढ़ने लगी थी वैभव अनुराधा से माफी मांगने के बजाय अब तो सारिका को खुलेआम घर लाने लगा।  कई दिन तो सारिका और अनुराधा में भी लड़ाई हो जाती थी सारिका बोलती थी तुम अपने पति से बोलो मुझसे कुछ मत कहो।

अनुराधा ने अपने ससुराल की सारी बातें अपने मम्मी पापा से बताई।  अगले दिन ही अनुराधा के पापा अनुराधा के ससुराल आए। अनुराधा के सास  ने अनुराधा की गलती अनुराधा के पापा के सामने ठहरा दी उसने बोला सरिका वैभव की ऑफिस की दोस्त है और वह कभी-कभार आ जाती है इसमें क्या गलत है दोस्त है अगर घर आ भी जाए तो।

अनुराधा के पापा ने भी अनुराधा से समझाया भी छोटी-छोटी बातों को लेकर अपने घर गृहस्ती को खराब मत करो तुम्हें तो पता ही है अभी तुम्हारी  दो बहनों की शादी करनी है और फिर यह सब तो चलता ही रहता है। अनुराधा अपने पापा से कुछ ना बोल सकी।

पहले तो वैभव सब कुछ  छुप कर करता था लेकिन अब वह खुलेआम करने लगा सारिका भी खुलेआम घर आती।  अनुराधा को पहले यह भी नहीं पता था कि वैभव नशा भी करता है लेकिन अब घर में भी पीना शुरू कर दिया था।  वैभव की माँ वैभव को शराब पीने से मना करती तो वह अपनी मां को भी गाली देना शुरू कर देता था। पूरा घर का माहौल खराब हो चुका था अनुराधा की बेटी भी अब डरी सी रहने लगी थी  वैभव कभी उसे अपने गोद में लेने की कोशिश भी करता तो वह नहीं जाती थी क्योंकि वह छोटी सी बच्ची को भी कई बार पीट देता था।

वैभव और अनुराधा के बीच तनाव इतना बढ़ गया था अनुराधा के घर वालों ने भी अनुराधा का सपोर्ट किया और आखिर में तलाक के लिए कोर्ट में केस फाइल कर ही दिया।  उसी दौरान अनुराधा का ट्रांसफर जबलपुर हो गया था अनुराधा बहुत खुश थी वैभव नाम के जानवर से मुक्ति तो मिली।

जबलपुर आने के बाद भी अनुराधा खुश नहीं थी क्योंकि वैभव यहां पर भी उसे फोन कर कर मानसिकता पीड़ा देता रहता था फोन पर शराब पीकर खूब गाली गलौज करता रहता था।



कई बार तो वह अनुराधा के स्कूल भी आ चुका था।  आता था तो ऐसा दिखाता था कि वह अनुराधा से कितना प्यार करता है वह सबके सामने अनुराधा को अपने घर वापस लौट जाने को कहता था और माफी मांगने लगता था।  लेकिन यह सब दिखावा था वह जानती थी कि वह कभी नहीं बदल सकता है।

पुष्पा अनुराधा की कहानी सुनकर दंग रह गई।  और बोली तू तो सच में बहुत परेशान है फिर तो। अनुराधा बोली कि मुझे वैभव से किसी भी हाल में छुटकारा चाहिए और उसे जल्द तलाक लेना है पुष्पा मुझे कोई उपाय बताओ।

तुमको तो पता ही है कि भारत में इस तरह के कितने केस कोर्ट में पेंडिंग पड़े हुए हैं और मैं नहीं चाहती कि इसकी वजह से मेरी जिंदगी और मेरी बेटी की जिंदगी पेंडिंग पड़ जाए मैं इस वैभव नाम के परेशानी से बाहर निकलना चाहती हूं।  अब मैं सिर्फ अपनी बेटी के लिए जीना चाहती हूं।

पुष्पा ने उसे यही सलाह दी कि वह मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना के आधार पर तलाक की मांग करें क्योंकि उसके पति जैसा वहसी इंसान के खिलाफ यही सबसे अच्छा उपाय होगा और इस आधार पर उसे कोर्ट से तलाक मिलने में भी ज्यादा परेशानी नहीं आएगी।

कुछ दिनों के बाद अनुराधा ने वैभव के खिलाफ एक और कंप्लेंट थाने में लिखवाया जिससे उसका केस और मजबूत हो गया और कुछ दिनों के बाद ही कोर्ट ने तलाक की अर्जी मंजूर कर ली और अनुराधा का वैभव से तलाक हो गया।

अनुराधा खुश है अपनी बेटी को आईएस अधिकारी बनाना चाहती है और अपनी छोटी सी दुनिया जिसमें सिर्फ मां और बेटी है उसमें किसी भी अब तीसरे की जगह नहीं थी।  अनुराधा के मां बाप ने कई बार कहा दूसरी शादी करने के लिए लेकिन पहली बार में ही शादी इतना गहरा आघात उस पर था कि वह किसी और लड़के के नाम से ही डर जाती थी कि कहीं दोबारा भी वह भी उसके साथ ऐसा ही बर्ताव ना करें उसने ठान लिया था कि अब  किसी से भी शादी नहीं करेगी कोई जरूरी नहीं है कि जिंदगी में एक पुरुष हो तभी जिंदगी चलती है और उसके बिना भी जिंदगी चल सकती है।

दोस्तों इस कहानी का निष्कर्ष आप खुद ही निकालिए इसमें गलती किसकी थी आराधना की या वैभव की या मां बाप की।  आजकल बड़े शहरों में यह आम बात हो गई है शादी के बाद दूसरों के साथ संबंध रखने वाला चाहे पति हो या पत्नी लेकिन वह यह भूल जाता है कि या संबंध उसके बसी बसाई दुनिया को जला कर राख कर सकता है आप किसी से दोस्ती रखो उसमें कोई बुराई नहीं है लेकिन आप हर रिश्तो को दोस्ती के नाम देकर ढँक  नहीं सकते हैं एक न एक दिन उसका सैलाब आएगा और आप की दुनिया को निगल जाएगा।

Writer:Mukesh Kumar

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