मुझे क्षमा कर दो बाबा –   हेमलता गुप्ता : Moral stories in hindi

बाबा… मेरी सभी सहेलियों का ब्याह हो गया, बस तू ही है जो मेरा विवाह नहीं करना चाहता, पता है बापू …मेरी जो सहेली है रीना, उसको अपने विवाह में चार जोड़ी लहंगा चोली, बहुत सारी साड़ियां आए हैं ,और उसके छोटे भाई को भी दो जोड़ी कपड़े सिलवाए हैं उसके बापू ने! और बाप रे…

कितनी सारी मिठाइयां.. बाबा.. हमें तो नाम भी ना पता इतनी सारी मिठाइयों का! कितनी खुश है रीता… कल अपने ससुराल चल जाएगी, मोटरसाइकिल भी है उसकी ससुराल में! अब रीता अपने दूल्हे के साथ में खूब घूमेगी! 10 साल की बिंदिया के मुंह से ऐसी बातें सुनकर उसका बापू राम प्रसाद तनाव में आ गया और बोला.. बिटिया.. अभी  रीता की शादी की उम्र थोड़ी है,

अभी तो बच्ची है वह, अभी तो उसकी पढ़ने लिखने और खेलने कूदने  की उम्र है, इतनी छोटी बच्ची की शादी ना करनी चाहिए, मैं तो ना करूंगा अपनी लाडो का ब्याह! मैं तो खूब पढ़ाऊंगा लिखाऊंगा, अपने पैरों पर खड़ा करूंगा, तब देखना कितनी धूमधाम से शादी करूंगा! 4 जोड़ी क्या 8 जोड़ी कपड़े  दिलवाऊंगा! नहीं बाबा…

मुझे तो अभी शादी करनी है, अगर तुमने मेरी शादी न करी तो मैं तेरे से बात ना करूंगी और फिर बिंदिया नाराज होकर चली गई! उसका बापू सर पकड़ कर बैठ गया, यह कैसी जिद्दी करके बैठी है उसकी लाडो, जिसका कोई समाधान भी नहीं है! किंतु राम प्रसाद ने ठान लिया चाहे बिटिया की नाराजगी सहन कर लेगा किंतु उसे अभी ससुराल की देहरी नहीं चढ़ने देगा,

वह उसका हंसता खिलखिलाता बचपन नहीं छीन सकता, और अभी तो वह शादी विवाह का मतलब भी नहीं जानती, उसके लिए तो शादी ब्याह मतलब.. खाना पीना नए कपड़े और खूब सारी मिठाइयां, नहीं नहीं… मैं ऐसा अन्याय नहीं होने दूंगा! उधर बिंदिया इस तनाव में जीने लगी कि उसका बाबा उससे प्यार नहीं करता,

वह उसके लिए पैसे खर्च नहीं करना चाहता, दोनों बाप बेटी  नाम मात्र को ही बोलने लगे!  राम प्रसाद जानता है बिन मां की बच्ची को कितने मुश्किलों से पाल  कर बड़ा किया है और उसका एक ही सपना है बस अपने पैरों पर खड़ी हो जाए और फिर अच्छी जिंदगी मिले उसे! किंतु बिंदिया भी तो अभी बच्ची थी, अपनी सभी सहेलियों का एक-एक कर ब्याह होते देख उसके मन में भी ब्याह करने की जिज्ञासा थी, इसी तरह से 5 साल निकल गए! 

घर में हर समय तनाव का वातावरण रहता! परंतु अब धीरे-धीरे बिंदिया को बाल विवाह के दुष्परिणाम नजर आने लगे! एक दिन जब बिंदिया को पता चला उसकी 15 वर्षीय सहेली  रीता गर्भवती हो गई और जचकी के समय जच्चा बच्चा दोनों की मृत्यु हो गई, क्योंकि  रीता इतनी कम उम्र में बच्चों का भार सहन नहीं कर पाई, 

कम उम्र की कमजोर बच्ची ही तो थी रीता भी! इस घटना ने बिंदिया के दिलो दिमाग को हिला कर रख दिया और अब उसे अपनी नादानी और बेवकूफी दोनों पर ही गुस्सा आने लगा, अब समझ में आया उसका बाबा और सहेलियों के बाबा से कितना अलग है, वह अपनी बच्ची को नरक में नहीं रखना चाहता था बल्कि वह तो उसके लिए एक अच्छी जिंदगी तैयार कर रहा था!

अपनी भूल का अहसास होते ही बिंदिया अपने बाबा के पास गई और अपनी हर भूल के लिए क्षमा मांगी, बाबा तो  कब से  इसी दिन का इंतजार कर रहा था, उसने अपनी बेटी को गले लगा लिया और बस इतना ही कहा, बेटी… मैं तुझे कभी भी गलत रास्ते पर नहीं चलने दूंगा!

फिर बिंदिया ने पढ़ाई में अपना तन मन सब झोक दिया और उसे समय पश्चात एक अस्पताल में नर्स की नौकरी मिल गई, अपने काम में वह इतनी दक्ष थी और इतनी व्यवहार कुशल कि वहां अस्पताल में आने वाले सभी लोग उसके काम से प्रसन्न रहते, बिंदिया देखने में भी खूबसूरत थी और व्यवहार कुशल तो थी ही, वहीं के डॉक्टर को बिंदिया पसंद आ गई और उसने बिंदिया के सामने शादी का प्रस्ताव रखा

जिसे बिंदिया मना नहीं कर पाई और राम प्रसाद के आशीर्वाद से बिंदिया की शादी उसकी मर्जी से अच्छे घर में हो गई! आज रामप्रसाद ने अपनी बेटी को मजाक में  कहा.. क्यों बिंदिया बेटा… चार जोड़ी कपड़े, मिठाइयां, मोटरसाइकिल भी चाहिए क्या? तब बिंदिया ने शरमाते हुए कहा.. क्या बाबा… आप भी… अब मैं बड़ी हो गई हूं,

अब मैं समझ गई हूं की कपड़े और मिठाइयों से शादी का कोई मतलब नहीं है, बाबा आपने मेरी जिंदगी को नष्ट होने से बचा लिया, और ऐसा कहकर वह अपने बाबा के गले लग गई, आज दोनों की जिंदगी से हमेशा के लिए तनाव गायब हो गया!

   हेमलता गुप्ता स्वरचित

  कहानी प्रतियोगिता (तनाव)

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